सुप्रीम कोर्ट के भविष्य पर चर्चा के लिए बैठक बुलाएं चीफ जस्टिस, दो वरिष्ठ न्यायाधीशों ने लिखा पत्र

जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन बी लोकुर ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को लिखा पत्र.

(L-R) Justices Kurian Joseph, Jasti Chelameswar, Ranjan Gogoi and Madan Lokur address the media at a news conference in New Delhi, India January 12, 2018. PTI

जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन बी. लोकुर ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को लिखा पत्र.

(L-R) Justices Kurian Joseph, Jasti Chelameswar, Ranjan Gogoi and Madan Lokur address the media at a news conference in New Delhi, India January 12, 2018. PTI
बाएं से: जस्टिस कुरियन जोसफ, जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन बी लोकुर (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के 2 सीनियर जजों जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन बी. लोकुर ने उच्चतर न्यायपालिका के समक्ष संस्थागत मुद्दों पर चर्चा करने के लिए देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) से पूर्ण अदालत की बैठक बुलाने का अनुरोध किया है.

सात विपक्षी दलों द्वारा देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग की अपील के 2 दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस गोगोई और जस्टिस लोकुर ने सर्वोच्च न्यायालय के भविष्य और संस्थागत मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सीजेआई से मीटिंग बुलाने का अनुरोध करते हुए पत्र लिखा है.

सोमवार की सुबह उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्ष की महाभियोग अपील को खारिज कर दिया था. ऐसा बताया जा रहा है कि पत्र में उठाए गए मुद्दों पर सोमवार को चाय पर बुलाई गई बैठक में चर्चा हुई. इस बैठक में सभी जजों ने हिस्सा लिया था.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक उस बैठक में सीजेआई मिश्रा इस मामले में जिम्मेदारी से बचते नज़र आए. दो लाइन के इस पत्र में दोनों वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा ने मांग की गयी  है कि वे कोर्ट के भविष्य और संस्थागत मुद्दों के न्यायिक पक्ष पर चर्चा चाहते हैं.

हालांकि जस्टिस गोगोई और जस्टिस लोकुर की राय थी कि महाभियोग के मुद्दे को पीछे छोड़कर आगे बढ़ा जाना चाहिए और सर्वोच्च न्यायपालिका के समक्ष मुद्दों का हल निकालने के लिए न्यायाधीशों के बीच चर्चा होनी चाहिए.

हालांकि सीजेआई मिश्रा ने अब तक इस पत्र का जवाब नहीं दिया है. मालूम हो कि आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों की फुल कोर्ट मीटिंग न्यायपालिका से जुड़ा कोई जनहित का मामला आने पर मुख्य न्यायाधीश द्वारा बुलाई जाती है.

जस्टिस गोगोई और जस्टिस लोकुर ने 22 अप्रैल को 2 लाइन के संयुक्त पत्र पर हस्ताक्षर किए. इसमें उन्होंने ‘पूर्ण अदालत’ की बैठक बुलाने की बात कही थी.

इस मुद्दे को 21 मार्च को जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने पहली दफा उठाया था. इसके बाद जस्टिस कुरियन जोसेफ ने 9 अप्रैल को इसी तरह का पत्र लिखा था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिए 7 सबसे ज्यादा सीनियर जजों की बेंच बनाने की मांग की थी.

जस्टिस जोसेफ ने सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों को लिखे पत्र में सीजेआई को कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकार के रवैये को लेकर कदम उठाने के लिए जस्टिस केएम जोसेफ और इंदु मल्होत्रा समेत सात न्यायाधीशीय खंडपीठ की स्थापना की मांग की थी.

कॉलेजियम के एक सदस्य ने कहा था कि सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों पर कुछ न करके कानून के हिसाब से शक्ति का दुरुपयोग कर रही है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को रिटायर होने वाले हैं. इसके बाद जस्टिस गोगोई अगले सीजेआई हो सकते हैं.

ख़बरों के अनुसार इस बार दोनों न्यायाधीशों द्वारा उठाये गए मुद्दे मुख्य रूप से न्यायपालिका की आजादी से संबंधित हैं, जिसमें सरकार उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति पर कॉलेजियम की सिफारिशों को अनदेखा करने की बात कही गई है.

सूत्रों ने बताया कि यह पत्र न्यायपालिका की आजादी को सुरक्षित रखने और इसकी विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए सीजेआई पर दबाव बनाने के लिए है.

न्यायपालिका और सरकार के बीच तनाव 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के फैसले के बाद मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) को अंतिम रूप न दिए जाने पर भी सामने आए थे. एमओपी पर सुप्रीम कोर्ट को सरकार के साथ मिलकर दिशा-निर्देश तैयार करने थे, लेकिन यह सरकार की ओर से अधर में लटका हुआ है.

सीजेआई को हाल ही में संयुक्त रूप से पत्र लिखने वाले चार न्यायाधीशों ने इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के कामकाज के बारे में गंभीर चिंताएं व्यक्त करते हुए पिछले नवंबर को भी एक पत्र लिखा था. इन न्यायाधीशों ने बीते जनवरी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्र जनता के सामने पेश किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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