प्रेस की आज़ादी बचाए रखने के लिए सिद्धार्थ वरदराजन को मिला ‘शॉरेंस्टाइन जर्नलिज़्म अवॉर्ड’

अपने देश में प्रेस की आज़ादी बचाए रखने के लिए दिया जाता है यह अवॉर्ड.

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वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन द वायर के संस्थापक संपादक हैं.

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स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में शॉरेंस्टाइन एशिया पैसिफिक रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर प्रोफेसर जी वुक शिन के साथ सिद्धार्थ वरदराजन (फोटो साभार: रॉड सिअर्सी)

नई दिल्ली: द वायर  के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन  को साल 2017 में एशिया में प्रेस की आज़ादी बचाए रखने में उनके योगदान के लिए बीते दिनों स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में शॉरेंस्टाइन अवॉर्ड से नवाज़ा गया.

यह अवॉर्ड देने वाले एशिया पैसिफिक रिसर्च सेंटर ने अपनी वेबसाइट पर जारी बयान में कहा गया  है, ‘यह अवॉर्ड वरदराजन के परंपरागत और नए मीडिया दोनों में भारत के घरेलू और विदेशी मामलों पर उत्कृष्ट रिपोर्टिंग को मान्यता देता है. द वायर  के संस्थापक संपादक के बतौर सिद्धार्थ ने नई डिजिटल रणनीतियों को गुणवत्तापूर्ण रिपोर्टिंग से जोड़ा है, जिससे सकारात्मक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलावों को बल मिलता है.’

एशिया पैसिफिक रिसर्च सेंटर की स्थापना समाजसेवी वाल्टर एच. शॉरेंस्टाइन द्वारा की गयी है. शॉरेंस्टाइन जर्नलिज्म अवॉर्ड 2002 में शुरू किया गया था, जो उन पत्रकारों को सम्मानित करता है, जिन्होंने अपने लेखन के जरिये एशिया की जटिलताओं के बारे में रिपोर्टिंग की. यह अवॉर्ड एक साल पश्चिम से आने वाले किसी पत्रकार को दिया जाता है, जो मूलतः अमेरिकी जनता से जुड़ा मुद्दा उठाया हो और एक साल एशिया के किसी पत्रकार को जो अपने देश में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए काम कर रहा हो.’

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(फोटो साभार: रॉड सिअर्सी)

एशिया में इससे पहले यह अवॉर्ड असाही शिमबन  के पूर्व एडिटर इन चीफ योइची फुनाबशी, द इरावाडी और बीजिंग की स्वतंत्र मीडिया कंपनी काइजिन मीडिया  के संस्थापक और संपादक ऑन्ग ज़ॉव को मिल चुका है.

अवॉर्ड से जुड़े कार्यक्रम में सिद्धार्थ वरदराजन ने भारत, अमेरिका और चीन पर वक्तव्य दिया और भारत में मीडिया की वर्तमान स्थिति के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि यह अवॉर्ड भारत में मुश्किल हालातों में स्वतंत्र मीडिया को बचाए रखने के लिए लड़ रहे पत्रकारों के लिए प्रोत्साहन देगा.

सिद्धार्थ वरदराजन ने एमके वेणु और सिद्धार्थ भाटिया के साथ 11 मई 2015 को द वायर  की शुरुआत की थी.