नॉर्थ ईस्ट डायरी: असम-मेघालय में नागरिकता विधेयक का विरोध, सोनोवाल ने कहा- इस्तीफा दे दूंगा

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम, नगालैंड और मणिपुर के प्रमुख समाचार.

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(फाइल फोटो: पीटीआई)

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मेघालय, त्रिपुरा,  मिज़ोरम, नगालैंड और मणिपुर  के प्रमुख समाचार.

(फाइल फोटो: पीटीआई)
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गुवाहाटी/शिलॉन्ग: नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बीते सात मई को गुवाहाटी में हुई बैठक विरोध प्रदर्शनों के बीच हुई. विभिन्न संगठन विदेशी हिंदुओं को भारतीय नागरिकता दिए जाने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह असम के स्थानीय लोगों के लिए ख़तरा होगा.

कुछ ऐसा ही क़दम मेघालय में भी उठाया जा रहा है. यहां बीते आठ मई को मुख्यमंत्री कर्नाड के. संगमा की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है.

उधर, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भी एक बड़ा बयान देकर इस्तीफा देने की बात कही है. सोनोवाल ने कहा है कि यदि वह राज्य के लोगों के हितों की रक्षा नहीं कर पाए तो उनका इस पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है.

वह नागरिकता संशोधन विधेयक , 2016 पर संयुक्त संसदीय समिति ( जेपीसी ) की हाल की यात्रा के बाद के राज्य में व्याप्त स्थिति पर शनिवार शाम यहां प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संपादकों के साथ रूबरू हुए थे.

सोनोवाल ने कहा, ‘मुख्यमंत्री होने के नाते यह मेरा कर्तव्य है कि सभी को साथ लेकर चलें और केवल ख़ुद से ही निर्णय नहीं ले. असम के लोगों की राय लेकर हम इस मुद्दे पर फैसला करेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘आप सब लोगों द्वारा दिये गये सुझावों पर मैं गंभीरता से विचार करूंगा और मैं आगामी दिनों में इस संबंध में वरिष्ठ नागरिकों और बुद्धिजीवियों के साथ विचार-विमर्श करूंगा.’

उन्होंने लोगों से शांति की अपील की और कहा कि लोगों को आंदोलित होने की ज़रूरत नहीं है.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम असम के लोगों के ख़िलाफ़ जाकर कोई फैसला नहीं करेंगे. हम सबको राज्यभर में शांति सुनिश्चित करनी है और सरकार में लोगों का विश्वास कायम रखना है. मैं शांति बनाए रखने के लिए सभी से अपील करता हूं ताकि अप्रिय परिस्थितियां राज्य में पैदा नहीं हों.’

उन्होंने कहा, ‘जेपीसी अध्यक्ष ने संकेत दिया है कि समिति विधेयक पर लोगों की और राय लेने के लिए असम वापस आएगी. हालांकि लोगों को अपनी राय देना जारी रखना चाहिए.’

राज्य में संयुक्त संसदीय समिति के दौरे के बाद यह मुख्यमंत्री की ओर से इस संबंध में दिया गया पहला बयान है. मुख्यमंत्री सर्बानंद को राज्य में ‘जातीय नायक’ कहा जाता है. दरअसल असम के लोगों ने सोनोवाल को ‘जातीय नायक’ का तमगा तब दिया जब साल 2005 उनकी ओर से दाख़िल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अवैध प्रवासी (ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारित) अधिनियम को रद्द कर दिया. अब केंद्र सरकार के प्रस्तावित नागरिकता (संशोधन) विधेयक से उनकी इस छवि की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकता है.

मालूम हो कि भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल की अध्यक्षता वाली 16 सदस्यीय जेपीसी ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर सभी पक्षों से राय जानने के लिए सात मई से नौ मई तक राज्य का दौरा किया था.

जेपीसी ने ब्रह्मपुत्र घाटी जिलों के लिए सात मई को और तीन बराक घाटी ज़िलों के लिए अगले दो दिनों तक गुवाहाटी में व्यक्तियों, राजनीतिक और अन्य संगठनों से विधेयक पर राय ली थी.

नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को लोकसभा में ‘नागरिकता अधिनियम’ 1955 में बदलाव के लिए लाया गया है.

बता दें कि इस विधेयक को लेकर ब्रह्मपुत्र घाटी में रहने वाले और बराक घाटी में रहने वाले लोगों के बीच मतभेद है. बंगाली प्रभुत्व वाली बराक घाटी में ज़्यादातर लोग इस विधेयक के पक्ष में हैं जबकि ब्रह्मपुत्र घाटी में लोग इसके विरोध में हैं. जेपीसी की सुनवाई के बाद विधेयक के ख़िलाफ़ ब्रह्मपुत्र घाटी में नियमित रूप से विरोध जताया जा रहा है.

केंद्र सरकार ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक के माध्यम से अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज़ के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है. इसके लिए उनके निवास काल को 11 वर्ष से घटाकर छह वर्ष कर दिया गया. यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.

इधर, असम के कई संगठनों और नागरिकों ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है. इनका दावा है कि यह 1985 के ऐतिहासिक ‘असम समझौते’ के प्रावधानों का उल्लंघन है जिसके मुताबिक 1971 के बाद बांग्लादेश से आए सभी अवैध विदेशी नागरिकों को वहां से निर्वासित किया जाएगा भले ही उनका धर्म कुछ भी हो.

पुलिस ने कहा कि बीते सात मई को प्रदर्शनकारियों का जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से असम एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज पहुंचा और वहां इन लोगों ने जेपीसी को अपना ज्ञापन सौंपा.

इस बीच असम गण परिषद (एजीपी) ने धमकी दी है कि अगर विधेयक पास होता है तो वह असम की भाजपा सरकार से गठबंधन तोड़ लेगी.

बीते 12 मई को एजीपी ने इस विधेयक के ख़िलाफ़ हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है. पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जेपीसी को भेजने के लिए राज्य के 50 लाख लोग के हस्ताक्षर लेने की उनकी योजना है.

कांग्रेस ने भी इस बिल का विरोध किया है. कांग्रेस का कहना है कि यह विधेयक 1985 के असम समझौते की भावना के ख़िलाफ़ है और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को भी प्रभावित करेगा.

मेघालय: राज्य सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध करेगी

शिलॉन्ग: मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस (एमडीए) सरकार ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध करने का बीते आठ मई को फैसला किया.

उपमुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘मंत्रिमंडल ने केंद्र के प्रस्तावित नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 के मसौदे पर विचार करने और उस पर चर्चा करने के बाद उसे ना कहने का फैसला किया है.’

मुख्यमंत्री कर्नाड के. संगमा की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया.

एमडीए सरकार में भाजपा के घटक होने के बाद भी राज्य सरकार द्वारा यह निर्णय लेने के बारे में पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री ने कहा यह छोटे जनजातीय राज्य के लोगों के हितों की पूर्ति नहीं करता.

नगा शांति वार्ता का परिणाम सकारात्मक होगा: रिजिजू

Guwahati: Union Minister of State for Home Affairs Kiren Rijiju addressing a press conference in Guwahati on Saturday. Assam state BJP president Ranjit Das is also seen. PTI Photo (PTI4_7_2018_000050B)
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बीते छह मई को कहा कि मौजूदा समय में जारी नगा शांति वार्ता पर पूरी ईमानदारी से काम किया जा रहा है और इसका नतीजा सकारात्मक होगा लेकिन उन्होंने अंतिम शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कोई समय-सीमा बताने से इनकार कर दिया.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रिजिजू ने यह भी कहा कि सुरक्षा स्थिति में सुधार होने के बाद विवादास्पद आफस्पा क़ानून नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और अन्य इलाकों से हटाया जाएगा.

नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल आॅफ नगालैंड (एनएससीएन-आईएम) के आइजक मुइवा गुट के साथ सरकारी वार्ताकार की बातचीत का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार नगा और पूर्वोत्तर के मसलों के प्रति अति संवेदनशील है .

उन्होंने कहा, ‘नगा शांति वार्ता प्रक्रिया का बेहद ईमानदारी से पालन किया जा रहा है ताकि इसका परिणाम सकारात्मक हो.’

अंतिम शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए संभावित तारीख़ों के बारे में पूछे जाने पर रिजिजू ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में तीन अगस्त, 2015 को एनएससीएन-आईएम के महासचिव थुइंगालेंग मुइवा और सरकार के वार्ताकार आरएन रवि के बीच समझौते की रूपरेखा पर हस्ताक्षर किया गया था .

समझौते की यह रूपरेखा 18 वर्षों में 80 राउंड की बैठक के बाद निकलकर आई थी . 1947 में देश की आज़ादी के तुरंत बाद नगालैंड में शुरू हुए हमलों के सिलसिले में 1997 में पहली सफलता मिली थी जब संघर्ष विराम पर हस्ताक्षर किया गया था.

मंत्री ने बताया कि सुरक्षा बलों को अभियान चलाने, बिना पूर्व सूचना के किसी को भी कहीं से गिरफ्तार करने की ताक़त देने वाला आफस्पा क़ानून सुरक्षा स्थिति में सुधार के बाद उन स्थानों से पूरी तरह हटा लिया जाएगा जहां यह क़ानून लागू है.

उन्होंने कहा, ‘पूर्वोत्तर में पिछले चार चाल में चूंकि सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है, आफस्पा विभिन्न स्थानों से हटाया गया है. हम आशावान हैं कि सुरक्षा स्थिति में सुधार होने के बाद निकट भविष्य में यह बचे हुए इलाकों से भी वापस ले लिया जाएगा.’

मेघालय से पूरी तरह और अरुणाचल प्रदेश से आंशिक रूप से आफस्पा हटा लिया गया है. लेकिन, यह क़ानून नगालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश के तीन ज़िलों में अब भी लागू है. यह क़ानून अब भी जम्मू कश्मीर में लागू है.

त्रिपुरा: मंत्री ने केंद्र सरकार से की जनजातियों के लिए समिति बनाने की मांग

अगरतला: त्रिपुरा के जनजातीय कल्याण मंत्री मेवार कुमार जमातिया ने राज्य में जनजातियों की सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और भाषाई समस्याओं को जानने के लिए ‘अंतर मंत्रालयी साधन समिति’ की गठन प्रक्रिया तेज़ करने का बीते 12 मई को केंद्र सरकार से अनुरोध किया.

जमातिया ने कहा कि त्रिपुरा चुनाव से पहले आठ जुलाई को इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के एक दल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी. उन्हें समिति के गठन का आश्वासन दिया गया था.

जमातिया आईपीएफटी के महासचिव भी हैं. उन्होंने 10 मई को केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र भेजा था जिसमें समिति के गठन की मांग की गई है. इसके गठन का ज़िक्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने घोषणापत्र में किया था.

उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार बने दो माह का वक़्त बीत चुका है और मैंने केंद्रीय मंत्री को समिति बनाने की याद दिलाने के लिए पत्र लिखा है.’

मिज़ोरम: भूस्खलन में तीन लोगों की मौत

आइज़ोल: मिज़ोरम के जेमाबाक इलाके में भूस्खलन की एक घटना में एक नाबालिग समेत कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने इसकी जानकारी दी.

राजधानी आइज़ोल के ज़िला पुलिस अधीक्षक सी. लालजांगोवा ने बताया कि घटना में तीन लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है. शवों को बरामद करने की कोशिश की जा रही है.

पुलिस ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि भूस्खलन में अभी भी कई लोगों के फंसे होने की आशंका है.

मणिपुर: उग्रवादी संगठनों की धमकी के बीच रेलवे की अहम परियोजना पर काम जारी

(फोटो साभार: India Rail Info)
(फोटो साभार: India Rail Info)

नोनी/मणिपुर: रेलवे उग्रवादी संगठनों की धमकियों के बावजूद मणिपुर की राजधानी इंफाल को रेल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए एक अहम परियोजना पर काम कर रहा है. अधिकारियों ने बीते 11 मई को यह जानकारी दी.

पिछले 12 महीने में जिरिबाम-तुपुल-इंफाल रेल परियोजना से जुड़े सुपरवाइज़रों और अभियंताओं पर गोलीबारी, उनके अपहरण और हिंसा के 14 मामले सामने आ चुके हैं, फलस्वरूप उसमें देरी भी हो रही है. देरी की वजह मुश्किल भौगोलिक आकृति भी है.

जिरिबाम-तुपुल-इंफाल रेल परियोजना अनिवार्य है क्योंकि यह मणिपुर, जिरिबाम और असम के कछार ज़िले की पश्चिमी सीमा को राजधानी इंफाल से जोड़ती है.

परियोजना के प्रभारी पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य अभियंता (निर्माण) ए. साईंबाबा ने कहा, ‘मणिपुर में कई उग्रवादी संगठनों की मौजूदगी निर्माण स्थलों के इंजीनियरों के लिए बड़ी सुरक्षा चिंता है क्योंकि उन्हें बार-बार धमकी मिल रही है, उन पर हमले हो रहे हैं और जबरन वसूली के लिए अपहरण किया जा रहा है.’

इस परियोजना को 2008 में मंज़ूरी मिली थी और उसकी समयसीमा 2020 है.

त्रिपुरा: गिरफ्तार 24 बांग्लादेशी युवकों से एनआईए ने पूछताछ शुरू की

अगरतला: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 24 बांग्लादेशी युवकों से पूछताछ शुरू कर दी है जिन्हें बीते 10 मई बिना किसी वैध यात्रा दस्तावेज के गिरफ्तार किया गया था. एनआईए ने इन सभी से पूछताछ इनके आतंकवादी संबंधों की आशंका के बारे में पता लगाने के लिए शुरू की है.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि गुवाहाटी से एनआईए की दो सदस्यीय टीम दोपहर में यहां पहुंची और 24 युवकों से पूछताछ शुरू की. टीम में पुलिस अधीक्षक स्तर के एक अधिकारी और निरीक्षक स्तर के एक अधिकारी शामिल हैं.

अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के दौरान युवकों ने कहा कि वे पश्चिम बंगाल में पेतरापोल-बेनापोल सीमा से पिछले एक वर्ष के दौरान अलग-अलग समय में भारतीय सीमा में अवैध रूप से घुसे थे.

अधिकारी ने कहा, ‘एनआईए के अधिकारी उनसे एक गोपनीय स्थान पर पूछताछ कर रहे हैं. उनसे कुछ और दिन तक पूछताछ किए जाने की उम्मीद है. युवकों ने यह भी दावा किया कि वे मदरसा के छात्र हैं. हो सकता है कि इसमें कोई बड़ा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूह शामिल हो.’

त्रिपुरा पुलिस के एक सचल कार्य बल ने 10 मई को अगरतला रेलवे स्टेशन पर छापा मारकर 24 बांग्लादेशी युवकों को गिरफ्तार किया था. वे दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन से चलकर यहां पहुंचने वाली त्रिपुरा सुंदरी एक्सप्रेस से आए थे.

मणिपुर, मेघालय उच्च न्यायालयों में नये मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति

(फोटो साभार: 9curry.com)
(फोटो साभार: 9curry.com)

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की मेघालय और मणिपुर उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति की गई है.

विधि मंत्रालय की अलग-अलग अधिसूचनाओं में कहा गया है कि न्यायमूर्ति रामलिंगम सुधाकर को मणिपुर उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है.

न्यायमूर्ति सुधाकर मूल रूप से मद्रास उच्च न्यायालय से संबंधित है और इस समय वह जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम कर रहे है.

जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद याकूब मीर की मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की गई है.

एक अन्य अधिसूचना में कहा गया है कि न्यायमूर्ति सुधाकर और न्यायमूर्ति मीर के बाद वरिष्ठता में आने वाले न्यायमूर्ति आलोक अराधे की जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की गई है.

नगालैंड लोकसभा सीट उपचुनाव के लिए दो उम्मीदवारों ने नामांकन दाख़िल किया

कोहिमा: सीनियर नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) नेता तोखेहो येपथोमी और नगा पीपुल्स फ्रंट के पूर्व विधायक सी. अशोक जामिर ने नगालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए 28 मई को होने वाले उपचुनाव के वास्ते बीते 10 मई को नामांकन पत्र दाख़िल कर दिए.

सीट 17 फरवरी को विधानसभा चुनाव लड़ने लिए सांसद नेफियू रियो के इस्तीफा देने से खाली हुई थी. वह नार्थन अंगामी-2 सीट से जीत गए और उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री चुन लिया गया.

नगालैंड के आयुक्त एवं उपचुनाव के लिए निर्वाचन अधिकारी एम. पैटन ने राजधानी कोहिमा कहा कि 10 मई को नामांकन दाख़िल करने का आख़िरी दिन था. उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ पहुंचे और नामांकन दाख़िल किया.

उन्होंने कहा कि नामांकन पत्र दाख़िल करने के लिए खिड़की तीन मई को खुली थी लेकिन नौ तक कोई नामांकन पत्र दाख़िल नहीं किया गया.

एनडीपीपी के नेतृत्व वाले सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) ने येपथोमी को कल सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया था.

वहीं जामिर का नाम एनपीएफ प्रवक्ता ए. किकोन ने प्रस्तावित किया था.

पैटन ने कहा कि नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी और नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 14 मई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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