सरकार खाना और नौकरी नहीं दे सकती तो भीख मांगना अपराध कैसे: दिल्ली हाईकोर्ट

भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने की से जुड़ीं जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की पीठ ने की टिप्पणी.

A girl begs for alms in rain at a street in Mumbai. (Photo: Reuters)

भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने की से जुड़ीं जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की पीठ ने की टिप्पणी.

A girl begs for alms in rain at a street in Mumbai. (Photo: Reuters)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार कहा कि देश में अगर सरकार भोजन या नौकरियां देने में असमर्थ है तो भीख मांगना एक अपराध कैसे हो सकता है?

अदालत उन दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी, जिनमें भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने का आग्रह किया गया था.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की एक पीठ ने कहा कि एक व्यक्ति केवल ‘भारी ज़रूरत’ के कारण ही भीख मांगता है न कि अपनी पसंद के कारण.

अदालत ने कहा, ‘यदि हमें एक करोड़ रुपये की पेशकश की जाती है तो आप या हम भी भीख नहीं मांगेंगे. यह भारी ज़रूरत होती है कि कुछ लोग भोजन के लिए भीख के वास्ते अपना हाथ पसारते है. एक देश में जहां आप (सरकार) भोजन या नौकरियां देने में असमर्थ है तो भीख मांगना एक अपराध कैसे है?’

केंद्र सरकार ने अदालत को बताया था कि बॉम्बे प्रिवेंशन आॅफ बेगिंग एक्ट में पर्याप्त प्रावधान हैं. इस अधिनियम के तहत भीख मांगने को अपराध बताया गया है.

केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि यदि ग़रीबी के कारण ऐसा किया गया है तो भीख मांगना अपराध नहीं होना चाहिए. यह भी कहा था कि भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर नहीं किया जायेगा.

बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट को चुनौती देते हुए हर्ष मंदर और कर्णिका साहनी द्वारा दाख़िल जनहित याचिका में भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के अलावा राष्ट्रीय राजधानी में भिखारियों को आधारभूत मानवीय और मौलिक अधिकार देने का आग्रह किया गया था.

केंद्र सरकार और दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने अक्टूबर 2016 में अदालत से कहा था कि सामाजिक न्याय मंत्रालय भीख मांगने को अपराध की श्रेणी के बाहर करने और उनके पुनर्वास को लेकर मसौदा तैयार कर रही है, लेकिन क़ानून में बदलाव करने के फैसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पहली बार भीख मांगते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे तीन साल तक की सज़ा हो सकती है. इसके अलावा इस क़ानून के अंतर्गत 10 साल तक हिरासत में रखने का प्रावधान है.

फिलहाल भीख मांगने के काम को रोकने के लिए केंद्र सरकार स्तर पर कोई क़ानून नहीं है. जितने भी राज्यों ने भीख मांगने के पेशे को अपराध की श्रेणी में रखा है, वे सभी बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट की तरह क़ानून को लागू किए हैं और कुछ ने उसमें थोड़ा बदलाव कर लागू किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)