कर्नाटक: भाजपा विधायक बोपैया अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त, विधानसभा में कराएंगे शक्ति परीक्षण

येदियुरप्पा ने कहा, बहुमत साबित करने का सौ प्रतिशत विश्वास. कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा, पार्टी के सभी विधायक हमारे साथ.

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Bengaluru: Karnataka Governor Vajubhai Vala appoints BJP MLA KG Bopaiah as Pro-Tem Speaker, ahead of floor test tomorrow, in Bengaluru, on Friday. PTI Photo (PTI5_18_2018_000160B)
Bengaluru: Karnataka Governor Vajubhai Vala appoints BJP MLA KG Bopaiah as Pro-Tem Speaker, ahead of floor test tomorrow, in Bengaluru, on Friday. PTI Photo (PTI5_18_2018_000160B)

येदियुरप्पा ने कहा, बहुमत साबित करने का सौ प्रतिशत विश्वास. कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा, पार्टी के सभी विधायक हमारे साथ.

Bengaluru: Karnataka Governor Vajubhai Vala appoints BJP MLA KG Bopaiah as Pro-Tem Speaker, ahead of floor test tomorrow, in Bengaluru, on Friday. PTI Photo (PTI5_18_2018_000160B)
कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा विधायक केजी बोपैया को अस्थायी अध्यक्ष के तौर पर शपथ दिलाई. (फोटो: पीटीआई)

बेंगलुरु: कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने शुक्रवार को केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा का अस्थायी अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) नियुक्त किया. वे शनिवार को नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे और उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार सदन में शक्ति परीक्षण कराएंगे. वहीं, कांग्रेस ने राज्यपाल के इस कदम की निंदा की है.

बोपैया आरएसएस से जुड़े रहे हैं. उन्हें राज्यपाल ने अस्थायी अध्यक्ष के तौर पर शपथ दिलाई. बोपैया 2009 से 2013 के बीच विधानसभा के स्पीकर रहे थे.

वह मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के करीबी माने जाते हैं. उन्होंने 2011 में पिछली येदियुरप्पा सरकार की मदद के लिए विश्वासमत से पहले भाजपा के 11 असंतुष्ट विधायकों और पांच निर्दलीय विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था.

उनके फैसले को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कायम रखा था लेकिन उच्चतम न्यायालय ने पलट दिया. शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि बोपैया ने हड़बड़ी दिखाई.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिनेश गुंडु राव ने बोपैया की नियुक्ति पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि राज्यपाल का फैसला स्तब्ध करने वाला है. उन्होंने कहा, परंपरा यह रही है कि सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को अस्थायी अध्यक्ष बनाया जाता है. इस मामले में आरवी देशपांडे को बनाया जाना चाहिए था.

उन्होंने कहा, ‘वजुभाई वाला जी को भाजपा के एजेंट के तौर पर काम करते देख कर दुख हो रहा है.’ सामान्य तौर पर विधानसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है ताकि वह नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएं. गौरतलब है कि कांग्रेस के आरवी देशपांडे नई विधानसभा में सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं.

न्यायालय ने कर्नाटक में शक्ति परीक्षण की रूपरेखा तय की

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक विधान सभा में शनिवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सरकार के शक्ति परीक्षण के लिए चार स्पष्ट निर्देश दिए हैं जिनका पालन करना होगा.

न्यायालय ने अपने आदेश में तत्काल विधानसभा के लिए अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त करने का निर्देश दिया है. अस्थाई अध्यक्ष नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे. यह प्रक्रिया अपराह्न चार बजे से पहले पूरी करनी होगी और चार बजे बहुमत का पता लगाने के लिए शक्ति परीक्षण होगा.

न्यायमूर्ति एके सिकरी, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की विशेष खंडपीठ ने पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त करने का आदेश देते हुए कहा है कि कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक व्यक्तिगत रूप से सारे बंदोबस्त की निगरानी करेंगे ताकि इसमें किसी प्रकार की खामी नहीं रह जाए.

पीठ ने मुख्यमंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के इस कथन को भी नोट किया कि चूंकि शक्ति परीक्षण अपराह्न चार बजे होगा, इसलिए येदियुरप्पा यह प्रक्रिया सम्पन्न होने तक कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे.

पीठ ने यह भी दर्ज किया कि न्यायालय के 17 मई के आदेश के अनुपालन में रोहतगी ने कर्नाटक के राज्यपाल को संबोधित येदियुरप्पा के 15 और 16 मई के पत्रों की प्रतियां पेश की हैं. पीठ ने यह भी नोट किया कि 16 मई के पत्र में यह दावा किया गया है कि येदुयुरप्पा की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है और उसे अन्य का भी समर्थन प्राप्त है तथा उनके पास आवश्यक बहुमत है.

पीठ ने इस तथ्य को भी रिकॉर्ड पर लिया कि इसी आधार पर राज्यपाल से राज्य में सरकार बनाने का दावा किया गया था. न्यायालय ने कांग्रेस और जेडीएस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल के इस कथन को भी रिकॉर्ड में लिया कि राज्यपाल इन पत्रों के आधार पर राज्य में सरकार गठित करने के लिये येदियुरप्पा को आमंत्रित नहीं कर सकते थे.

पीठ ने आदेश में कहा कि रोहतगी ने इस दलील का पुरजोर प्रतिवाद किया. आदेश में यह भी कहा गया, ‘इस तरह के मामले में यह फैसला करने के लिए विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है कि क्या येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने की राज्यपाल की कर्रवाई कानून के अनुरूप थी या नहीं.’

पीठ ने कहा, ‘चूंकि इसमें काफी समय लगेगा और अंतिम निर्णय तत्काल नहीं दिया जा सकता, इसलिए हम उचित समझते हैं कि एक समूह या दूसरे के पास बहुमत का पता लगाने के लिए तत्काल और बगैर किसी विलंब के सदन में शक्ति परीक्षण होना चाहिए.’

पीठ ने भाजपा और उसके नेताओं को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का वक्त दिया और कहा कि इसके बाद चार सप्ताह के भीतर कांग्रेस औैर जेडीएस की ओर से जवाबी हलफनामा दाखिल किया जाएगा.

सभी विधायक हमारे साथ: सिद्धारमैया

बेंगलुरु: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कांग्रेस में किसी तरह की टूट की बात को खारिज करते हुए आज कहा कि शनिवार विधानसभा में होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले उनके सभी विधायक साथ हैं. सिद्धारमैया ने शक्ति परीक्षण पर उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए इसे ‘ऐतिहासिक’ बताया और कहा कि भाजपा के पास बहुमत नहीं है क्योंकि उसके पास मात्र 104 सीटें हैं.

उन्होंने कहा, ‘उनके पास मात्र 104 सीटें हैं. उनके पास 112 सीटें नहीं हैं, उनके पास 104 से ऊपर एक सीट भी नहीं है क्योंकि दो निर्दलीय विधायक भी हमारे साथ हैं. कांग्रेस (78), जेडीएस(37) और दो निर्दलीय ( निर्दलीय + केपीजेपी ) और बसपा 1.. कुल 118. चूंकि कुमारस्वामी दो सीटों से जीते हैं , यह 117 होता है.’

उन्होंने कहा, ‘हम सभी एकसाथ हैं. हमारे बीच एक सहमति है. इस वास्तविकता के बावजूद, उनके (भाजपा) द्वारा 15 दिन के लिए नहीं कहे जाने के बावजूद, राज्यपाल ने उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया. कोई इससे क्या निष्कर्ष निकाल सकता है ?’

सिद्धारमैया ने कहा, ‘राज्यपाल ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह के निर्देशों का पालन किया है. यदि उन्होंने संविधान का पालन किया होता, उन्होंने ऐसा निर्णय नहीं किया होता.’ उन्होंने प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘नरेंद्र मोदी और अमित शाह इस देश में हिटलर के जीवाश्म हैं. वे संविधान और लोकतंत्र का कोई सम्मान नहीं करते.’

सिद्धारमैया ने कहा, ‘यह लोकतंत्र की हत्या है. यह संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है.’ उन्होंने कहा कि पूर्व में कभी भी किसी मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय नहीं दिया गया. इस बीच, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायक आनंद सिंह भारत सरकार की ‘कैद’ में हैं.

बहुमत साबित करने का सौ प्रतिशत विश्वास: येदियुरप्पा

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शक्ति परीक्षण पर उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि वह राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने को लेकर ‘100 प्रतिशत’ आश्वस्त हैं. शीर्ष अदालत के आदेश के तुरंत बाद येदियुरप्पा ने पत्रकारों से कहा, ‘हम उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे … बहुमत साबित करने के लिए हमारे पास 100 प्रतिशत सहयोग एवं समर्थन है.’

येदियुरप्पा ने कहा, ‘इन सब राजनीतिक खेलों के बीच, हम शनिवार को बहुमत साबित करेंगे. हम उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे.’ येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 112 विधायकों को समर्थन चाहिए.

येदियुरप्पा ने कहा कि वह मुख्य सचिव से बातचीत करेंगे और विधानसभा सत्र बुलाएंगे. इसके बाद अन्य प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. इस बीच कर्नाटक भाजपा की महासचिव शोभा कारनदलाजे ने भी फैसले का स्वागत किया और कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने शनिवार शाम चार बजे विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया है. भाजपा इसका स्वागत करती है. हमें भरोसा है कि शनिवार शाम चार बजे भाजपा विधायक और जो हमारा समर्थन कर रहे हैं वह बहुमत साबित करेंगे.’

कांग्रेस ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा

नई दिल्ली: कांग्रेस ने कर्नाटक में भाजपा के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा नहीं होने के बावजूद राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा भाजपा को आमंत्रित किए जाने के बारे में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अवगत कराने के लिए समान विचार वाली पार्टियों की तरफ से उनसे मिलने का समय मांगा है.

पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा गया है लेकिन शनिवार को कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण को देखते हुए उनसे अगले सप्ताह मुलाकात की संभावना है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस और समान विचार वाली दूसरी पार्टियां राष्ट्रपति को इस बारे में अवगत कराना चाहती है कि कर्नाटक के राज्यपाल ने भाजपा के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं होने के बावजूद उसे सरकार गठन के लिए आमंत्रित किया.

राजद सहित ये दल राष्ट्रपति के समक्ष यह बात रखना चाहते हैं कि हर राज्य में सरकार गठन के लिए अलग अलग नियमों का हवाला दिया जा रहा है. लालू प्रसाद की पार्टी का कहना है कि सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से भाजपा को सरकार गठन का न्योता दिया गया तो फिर यही आधार बिहार में भी लागू होना चाहिए था जहां वह सबसे बड़ी पार्टी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)