‘येदियुरप्पा ने किसानों की जितनी बात की, उन्हें ही देश का कृषि मंत्री बना देना चाहिए’

कुछ न्यूज़ एंकरों को केंद्र में मंत्री बना देना चाहिए या फिर मंत्री को अब एंकर बनाने का वक़्त आ गया है.

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Bengaluru: Karnataka Chief Minister B S Yediyurappa at oath-taking ceremony of newly elected members of Assembly house, at Vidhana Soudha, in Bengaluru, on Saturday. Supreme Court has ordered Karnataka BJP Government to prove their majority in a floor test at the Assembly .(PTI Photo/Shailendra Bhojak) (PTI5_19_2018_000082B)
बीएस येदियुरप्पा. (फोटो: पीटीआई)

कुछ न्यूज़ एंकरों को केंद्र में मंत्री बना देना चाहिए या फिर मंत्री को अब एंकर बनाने का वक़्त आ गया है.

Bengaluru: Karnataka Chief Minister B S Yediyurappa at oath-taking ceremony of newly elected members of Assembly house, at Vidhana Soudha, in Bengaluru, on Saturday. Supreme Court has ordered Karnataka BJP Government to prove their majority in a floor test at the Assembly .(PTI Photo/Shailendra Bhojak) (PTI5_19_2018_000082B)
बीएस येदियुरप्पा. (फोटो: पीटीआई)

येदियुरप्पा ने किसानों की जितनी बात की है उतनी तो चार साल में देश के कृषि मंत्री ने नहीं की होगी. उन्हें ही कृषि मंत्री बना देना चाहिए और न्यूज एंकरों को बीजेपी का महासचिव.

एक एंकर बोल रहा था कि येदियुरप्पा इस्तीफा देंगे. नरेंद्र मोदी कभी इस तरह की राजनीति को मंज़ूरी नहीं देते. सुनकर लगा कि अमित शाह, राहुल गांधी से पूछकर ये सब कर रहे हैं. कुछ एंकरों को केंद्र में मंत्री बना देना चाहिए या फिर मंत्री को अब एंकर बनाने का वक्त आ गया है.

अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अब कर्नाटक. बीस मंत्री को लगाकर बोल देने से सब सही नहीं हो जाता. संविधान की झूठी व्याख्याओं के दंभ की हार हुई है.

26 जनवरी की रात अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन लगा था. नशे में चूर जनता को तब नहीं दिखा था, कोर्ट में हर दलील की हार हुई थी. उत्तराखंड में जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा था कि राष्ट्रपति राजा नहीं होता कि उसके फैसले की समीक्षा नहीं हो सकती. आज तक जस्टिस जोसेफ इसकी सज़ा भुगत रहे हैं.

मौलिक अधिकार का विरोध करते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा था कि नागरिक के शरीर पर राज्य का अधिकार होता है. कोर्ट में क्या हुआ सबको पता है.

अदालत और लोकतंत्र में हर मसले की लड़ाई अलग होती है. एक जज की मौत की जांच पर रोक लगी. और भी कई उदाहरण दिए जा सकते. परमानेंट प्रमाणपत्र किसी को नहीं दिया जा सकता. अदालत को न चुनाव आयोग को.

केस-टू-केस के आधार पर मूल्याकंन कीजिए, करते भी रहिए. संविधान को लेकर सरकार का हर दावा और दांव हर बार संदिग्ध क्यों लगता है, इस बात को लेकर सतर्क रहिए.

(यह लेख मूलरूप से रवीश कुमार के फेसबुक पेज पर प्रकाशित हुआ है.)

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