महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने भंडारा-गोंदिया उपचुनाव में मिली हार पर कहा कि यदि चुनाव मानसून में होता तो भाजपा ज़रूर जीतती. उधर, एक भाजपा विधायक ने उत्तर प्रदेश में मिली हार के लिए योगी सरकार, उनके मंत्रियों और नौकरशाही को ज़िम्मेदार ठहराया है.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने गुरुवार को उपचुनाव परिणाम के बाद मुंबई के नरिमन पॉइंट स्थित भाजपा कार्यालय में प्रेसवार्ता की. (फोटो: पीटीआई)
मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने भंडारा-गोंदिया लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की हार के लिए शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में गड़बड़ी और सूखे को ज़िम्मेदार ठहराया.
फड़णवीस ने कहा, ‘ज़्यादातर भाजपा मतदाता शिक्षित मतदाता हैं जो सुबह में ही मतदान केंद्र पर चले जाते हैं. उनमें से कई (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी के चलते) वोट नहीं डाल पाए. उन्हें वापस जाना पड़ा और दिन में बाद में वे (मतदान केंद्र पर) नहीं लौटे.’
मुख्यमंत्री ने यहां भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘अतएव भाजपा को ईवीएम में गड़बड़ी का खामियाजा उठाना पड़ा.’
उन्होंने दावा किया, ‘भंडारा-गोदिंया क्षेत्र में पिछले चार-पांच सालों की तुलना में इस बार भीषण सूखा रहा जिससे मतदाताओं में सत्ताविरोधी मूड बन गया. सूखे के कारण अपनी फसल का नुकसान उठा चुके किसानों में सरकार चुनाव आयोग की आपत्ति के चलते वित्तीय राहत नहीं बांट पाई. यदि चुनाव मानसून में होता तो भाजपा अवश्य ही चुनाव जीतती.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम 2019 में भंडारा-गोंदिया सीट से जीतेंगे.’
भाजपा और उसके सहयोगी दल शिवसेना के बीच कटु प्रचार अभियान के विषय पर उन्होंने कहा कि इसे टाला जा सकता था.
मालूम हो कि भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट पर राकांपा को जीत मिली है. राकांपा उम्मीदवार मधुकर कुकड़े ने भाजपा के हेमंत पाटले को 48,097 वोटों से हराया. यह सीट भाजपा सांसद के नाना पटोले के इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो जाने की वजह से खाली हुई थी.
लोकसभा और विधानसभा की 14 सीटों के उपचुनाव परिणाम 31 मई को घोषित हुए जिसमें भाजपा को क़रारा झटका लगा है. विपक्षी पार्टियों ने जहां 11 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि भगवा पार्टी तथा उसके सहयोगियों को केवल तीन सीटों पर भी जीत मिल सकी.
चुनाव आयोग से गठबंधन के कारण पालघर सीट पर मिली भाजपा को जीत: शिवसेना
महाराष्ट्र की पालघर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत के एक दिन बाद शुक्रवार को इसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के साथ भाजपा के गठबंधन, पुलिस तंत्र के इस्तेमाल और ‘कचरे जैसी’ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में गड़बड़ी के कारण उसे जीत मिली.
शिवसेना ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने राज्य के भंडारा-गोंदिया लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को हराया और उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में वोटरों ने भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को क़रारी मात दी.
अपने मुखपत्र ‘सामना’ में शिवसेना ने कहा, ‘भाजपा को देश की नौ विधानसभा सीटों में से आठ पर धूल चाटनी पड़ी.’
पार्टी ने कहा, ‘भाजपा ने देश भर में लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव हारे हैं. लेकिन पालघर (लोकसभा क्षेत्र) में जीत चुनाव आयोग के साथ (भाजपा के) गठबंधन का नतीजा है.’
शिवसेना ने कहा कि पालघर सीट जीत के लिहाज़ से मुश्किल सीट थी और भाजपा ने जीत के लिए ‘साम दाम दंड भेद’ की नीति अपनाई.
कांग्रेस के पूर्व नेता राजेंद्र गावित को भाजपा ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया था. उन्होंने 2,72,782 वोटों से यह उपचुनाव जीता. उनके क़रीबी प्रतिद्वंद्वी और शिवसेना उम्मीदवार श्रीनिवास वानगा को 2,43,210 वोट मिले.
उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना ने कहा, ‘भाजपा को पालघर में ऐसा कोई उम्मीदवार नहीं मिला जो इसकी हिंदुत्व की विचारधारा को सूट करता हो? इसलिए कांग्रेस के एक नेता का ‘शुद्धिकरण’ किया गया और पार्टी में शामिल किया गया. फिर उन्होंने गावित की जीत के लिए (वोटरों को) पैसे बांटे.’
अगर योगी सरकार के मंत्री पद पर बने रहे तो पार्टी का गर्त में जाना तय: भाजपा विधायक
बलिया/उत्तर प्रदेश: अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनावों में 31 मई को अपनी पार्टी की हार का ठीकरा उत्तर प्रदेश सरकार, उसके मंत्रियों और नौकरशाही के सिर फोड़ते हुए शुक्रवार को कहा कि अगर वे मंत्री अपने पद पर बने रहे तो भाजपा का गर्त में जाना तय है.
सिंह ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में उपचुनाव परिणाम का ठीकरा प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के सिर फोड़ते हुए कहा कि पराजय के लिए मुख्यमंत्री योगी कम, उनके मंत्री ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं. राज्य सरकार के आधे मंत्रियों के कामकाज का तरीका अच्छा नहीं है. वे पार्टी कार्यकर्ताओं की बातों को तवज्जो नहीं दे रहे हैं. सरकार में अगर ऐसे मंत्री अपने पद पर बने रहे तो भाजपा दिनोंदिन गर्त में जाएगी.
उन्होंने कहा कि गरीब व्यक्ति थाने, तहसील और ब्लॉक पर अपनी समस्या लेकर जाएगा और उसकी सुनवाई नहीं होगी तो वह भाजपा को वोट नहीं देगा. भाजपा पारदर्शी सरकार नहीं दे सकी है. थाना, तहसील और ब्लॉक के स्तर पर अपेक्षित सुधार नहीं होने के कारण चुनाव में भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ रहा है.
बैरिया से भाजपा विधायक सिंह ने कहा कि वह देश में लोकसभा और विधानसभा की विभिन्न सीटों के उपचुनावों में भाजपा की पराजय के लिए पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों की भी भूमिका बताने वाले जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के महासचिव केसी त्यागी के बयान से सहमत हैं.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीटों पर 31 मई को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित हुए. इन दोनों ही सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा.
कैराना लोकसभा उपचुनाव में रालोद उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह को 44,618 मतों से हराया. तबस्सुम को 4,81,182 और मृगांका को 4,36,564 वोट मिले.
इस जीत के साथ तबस्सुम हसन 16वीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश से पहली मुस्लिम सांसद बन गई हैं.
वहीं नूरपुर विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी नईमुल हसन ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की अवनी सिंह को 5662 मतों से शिकस्त दी.
कैराना सीट पर सपा ने रालोद उम्मीदवार को समर्थन दिया है. वहीं, नूरपुर में रालोद ने सपा का सहयोग किया है. इन दोनों ही सीटों के उपचुनाव के लिए गत 28 मई को वोट पड़े थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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