क्या बिजली बनने से पानी बेकार होने की अफवाह जनसंघ ने फैलाई थी?

हाल ही में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत के वायरल हुए वीडियो में किया गया दावा कितना सही है?

New Delhi: Senior Congress leader Ashok Gehlot addresses a press conference, in New Delhi, on Wednesday. AICC spokespersons Randeep Singh Surjewala and Priyanka Chaturvedi are also seen. (PTI Photo/Kamal Singh)(PTI5_23_2018_000053B)
New Delhi: Senior Congress leader Ashok Gehlot addresses a press conference, in New Delhi, on Wednesday. AICC spokespersons Randeep Singh Surjewala and Priyanka Chaturvedi are also seen. (PTI Photo/Kamal Singh)(PTI5_23_2018_000053B)

हाल ही में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत के वायरल हुए वीडियो में किया गया दावा कितना सही है?

New Delhi: Senior Congress leader Ashok Gehlot addresses a press conference, in New Delhi, on Wednesday. AICC spokespersons Randeep Singh Surjewala and Priyanka Chaturvedi are also seen. (PTI Photo/Kamal Singh)(PTI5_23_2018_000053B)
कांग्रेस महासचिव व राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फाइल फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस के महासचिव व राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वॉयरल हो रहा है, जिसमें वे कह रहे हैं, ‘यह बांध बना रहा है. उसमें बिजलीघर बनाएगा. जब पानी में से बिजली निकल जाएगी तो उसकी ताकत ही खत्म हो जाएगी. आपके खेतों में वो पानी काम क्या आएगा.’

इस वीडियो के बाद ट्विटर पर #ScientistGehlot ट्रेंड करने लगा. हालांकि गहलोत ने ट्विटर पर ही साफ किया कि यह वीडियो कांट-छांट कर तैयार किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में मूल वीडियो भी साझा किया.

इस वीडियो में वे कह रहे हैं, ‘मुझे याद है बचपन में जब जनसंघ हुआ करता था. भाखड़ा डैम बना था तब. यही जनसंघ वाले घूम-घूमकर प्रचार करते थे. पंडित नेहरू का दिमाग खराब हुआ है. यह बांध बना रहा है. उसमें बिजलीघर बनाएगा. जब पानी में से बिजली निकल जाएगी तो उसकी ताकत ही खत्म हो जाएगी. आपके खेतों में वो पानी काम क्या आएगा.’

यह साफ होने के बाद कि सोशल मीडिया पर अशोक गहलोत का जो वीडियो वॉयरल हो रहा है वह फर्जी है, कई लोग कांग्रेस महासचिव के समर्थन में लिख रहे हैं. इस बीच यह सवाल भी खड़ा हो रहा है कि गहलोत जनसंघ पर किसानों के बीच भ्रम फैलाने का जो आरोप लगा रहे हैं उसकी बुनियाद क्या है. ऐसा वाकई में हुआ था या यह महज एक आरोप है?

हकीकत जानने के लिए ‘द वायर’ ने उस दौर की राजनीति के साक्षी रहे पत्रकारों, नेताओं और अधिकारियों से बात की तो सामने आया कि गहलोत हवा में बात तो नहीं कर रहे, लेकिन इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है. उस जमाने में किसानों के बीच इस बात की चर्चा जरूर होती थी कि बिजली बनाने से पानी की ताकत समाप्त हो जाती है और यह सिंचाई के काम का नहीं रहता.

वरिष्ठ पत्रकार श्याम आचार्य कहते हैं, ‘उस समय जवाहर लाल नेहरू का आभामंडल बहुत बड़ा था. जब भाखड़ा बांध बन रहा था तो कई जगह किसानों ने आंदोलन किया. इनमें किसान नेता इस बात को कहते थे बिजली बनने के बाद पानी की ताकत समाप्त हो जाती है. जहां तक इस भ्रम को फैलाने में जनसंघ के हाथ का सवाल है उस समय न तो पार्टी के पास प्रभावशाली नेता थे और न ही पर्याप्त संख्या में कार्यकर्ता.’

आचार्य आगे कहते हैं, ‘मैंने जनसंघ के किसी नेता अथवा कार्यकर्ता को इस तरह की बात करते हुए नहीं सुना. यह संभव है कि अशोक गहलोत ने बचपन में जिस व्यक्ति से यह बात सुनी हो वह जनसंघ से जुड़ा हुआ हो. बाकी इसमें कोई दो-राय नहीं है कि उस दौर में किसानों के बीच यह चर्चा का विषय था कि बिजली बनने के बाद पानी खेती के किसी काम का नहीं रहता.’

वरिष्ठ पत्रकार सीताराम झालानी भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि उन्होंने जनसंघ के किसी बड़े नेता को बिजली बनने से पानी बेकार हो जाने का बयान देते नहीं सुना. वे कहते हैं, ‘उस जमाने में जनसंघ में नेता भी कम थे और उन्हें इतनी तवज्जो भी नहीं मिलती थी. मैंने जनसंघ के किसी नेता या कार्यकर्ता को यह कहते नहीं सुना कि बिजली बनने के बाद पानी सिंचाई के काम का नहीं रहता. हालांकि किसानों के बीच एकाध जगह यह चर्चा जरूर सुनी. उन्हें यह किसने बताया, यह जानने की कभी कोशिश नहीं की.’

वरिष्ठ पत्रकार ओम सैनी कहते हैं, ‘उस समय कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी और जनसंघ खुद को स्थापित करने के लिए जद्दोजहद कर रहा था. जनसंघ के नेताओं के पास सरकार का विरोध करने के लिए बड़े मुद्दे तो थे नहीं इसलिए वे कई बार भ्रम फैलाते थे. मैंने खुद ने जनसंघ के कई कार्यकर्ताओं को यह कहते हुआ सुना है कि पानी में से बिजली बनाने से उसकी ताकत खत्म हो जाती है. हालांकि किसी बड़े नेता को मैंने यह बोलते हुए नहीं सुना.’

राजस्थान के पुलिस महानिदेशक और दो बार भाजपा की ओर से राज्यसभा जाने वाले डॉ. ज्ञान प्रकाश पिलानिया कहते हैं, ‘उस समय किसानों के बीच में यह चर्चा अक्सर होती थी कि बिजली बनने के बाद पानी का सत समाप्त हो जाता है और यह खेती के किसी काम का नहीं रहता. इस पानी से फसल को कोई फायदा नहीं होता. मैंने खुद ने इस प्रकार की बात करते हुए किसानों को सुना है. अब यह अफवाह किसने और क्यों फैलाई, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.’

हालांकि जनसंघ से जुड़े नेता यह नहीं मानते कि उन्होंने कभी कोई अफवाह फैलाई. पार्टी के वयोवृद्ध भंवरलाल शर्मा कहते हैं, ‘अशोक गहलोत का यह कहना पूरी तरह से गलत है कि जनसंघ ने भाखड़ा बांध के बारे में कोई अफवाह फैलाई. यदि उन्होंने जनसंघ के किसी नेता के मुंह से यह सुना हो कि बिजली बनाने से पानी बेकार हो जाता है तो उन्हें उनका नाम बताना चाहिए. जनसंघ के नेता हमेशा तथ्यों के आधार पर अपनी बात कहते थे.’

वहीं, कांग्रेस के बुजुर्ग नेता इस बात को ताल ठोककर कहते हैं कि भाखड़ा बांध के बारे में अफवाह जनसंघ ने ही फैलाई. पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल कहती हैं, ‘उस समय जनसंघ का कोई जनाधार तो था नहीं इसलिए वे लोगों को आकर्षित करने के लिए अक्सर झूठ बोला करते थे. जनसंघ के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने यह भ्रम फैलाया कि बिजली बनने के बाद पानी में कोई शक्ति नहीं बचती. यदि इस पानी से सिंचाई की जाएगी तो यह कोई काम नहीं आएगी.’

अशोक गहलोत तो इस बात को उस समय से कह रहे हैं जब वे 1980 में पहली बार सांसद बने थे. वे कहते हैं, ‘मैंने बचपन में यह जनसंघ वालों के मुंह से सुना है कि जवाहर लाल नेहरू जो बांध बना रहे हैं उसके पानी से बिजली निकाल जी जाएगी. बिजली निकालने के बाद इस पानी में कोई ताकत नहीं बचेगी. यह पानी खेती के किसी काम का नहीं रहेगा.’

वे कहते हैं, ‘इस तरह की बेसिर-पैर की बातें करने में संघ के लोग एक्सपर्ट हैं. मैं लगातार इनकी ओर से फैलाई जाने वाली अफवाहों का जिक्र करता रहता हूं.’

दोनों पक्षों के अपने-अपने दावों के बीच साहित्यकार कृष्ण कल्पित एक नई बात कहते हैं. उनके अनुसार किसानों के बीच पानी में से बिजली निकाल लेने की बात किसान नेता कुंभाराम आर्य कहा करते थे.

वे कहते हैं, ‘जिस समय भाखड़ा बांध बना था उस समय जनसंघ की राजस्थान में कोई हैसियत नहीं थी. तब कुंभाराम आर्य हर जगह बोलते थे कि सरकार जो पानी आपको दे रही है वह थोथा पानी है. सरकार इसमें से बिजली निकाल लेती है.’

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और जयपुर में रहते हैं.)

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