मध्य प्रदेश में 60 लाख फ़र्ज़ी मतदाता होने के कांग्रेस के दावे को चुनाव आयोग ने किया ख़ारिज

प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की शिकायत पर 3 जून को चुनाव आयोग ने राज्य की चार विधानसभा सीटों पर फ़र्ज़ी मतदाताओं की जांच के लिए आठ दलों का गठन किया था जिन्होंने 7 जून को अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंप दी.

कमल नाथ और शिवराज सिंह चौहान (फोटो: पीटीआई)

प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की शिकायत पर 3 जून को चुनाव आयोग ने राज्य की चार विधानसभा सीटों पर फ़र्ज़ी मतदाताओं की जांच के लिए आठ दलों का गठन किया था जिन्होंने 7 जून को अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंप दी.

कमल नाथ और शिवराज सिंह चौहान (फोटो: पीटीआई)
कमल नाथ और शिवराज सिंह चौहान (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश में मतदाता सूचियों में भारी पैमाने पर गड़बड़ी होने की कांग्रेस की शिकायत को जांच के बाद गलत बताया है.

आयोग की ओर से शुक्रवार देर शाम कांग्रेस को भेजी गई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि शिकायत के आधार पर गठित जांच दलों ने राज्य के चार विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूचियों का निरीक्षण किया, जिनमें गड़बड़ी जैसी कोई कोई बात नहीं मिली है.

आयोग ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा गत तीन जून को की गई शिकायत में वर्णित गड़बड़ी वाले विधानसभा क्षेत्रों नरेला, होशंगाबाद, भोजपुर और सिवनी-मालवा में मतदाता सूचियों की विस्तृत जांच कराई.

इनमें से सिवनी-मालवा क्षेत्र में 17 मतदान केंद्रों की 82 सूचियों में से किसी में भी मतदाताओं के नाम का एक से अधिक बार उल्लेख नहीं पाया गया.

जबकि, इसी विधानसभा क्षेत्र के 20 मतदान केंद्रों की मतदाता सूचियों में 2442 नाम मिलते जुलते पाए गए. इसकी जांच में 2397 नाम सही पाए गए जबकि 45 नामों को संबद्ध मतदाता की मौत या स्थानांतरण के कारण मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया चल रही है.

इसी तरह नरेला विधानसभा क्षेत्र की शिकायत में मतदाता सूची के 22,252 नामों में से 17,684 मतदाताओं के मामले अनूठे पाए गए. इनमें से 1,776 मामलों में मतदाता के नाम और उसके रिश्तेदार के नाम एक ही पाए गए. इनमें से 154 मामलों की जांच में 153 मामले सही पाए गए.

रिपोर्ट के अनुसार, जांच दल ने होशंगाबाद विधानसभा क्षेत्र की शिकायत में वर्णित 552 मामलों की जांच की जिसमें एक भी मतदाता का नाम मतदाता सूची में अनेक बार दर्ज होने की पुष्टि नहीं हुई. वहीं, भोजपुर में शिकायत वाले 36 मामलों की जांच में 29 के नाम सही पाए गए जबकि जो सात मामले सही नहीं पाए गए, उन्हें मतदाता सूची दुरुस्त करने की प्रक्रिया के तहत सही कर लिया जाएगा.

आयोग ने विस्तृत जांच के आधार पर निष्कर्ष के तौर पर कहा कि इन चारों विधानसभा क्षेत्रों में एक ही मतदाता का नाम मतदाता सूची में कई बार दर्ज होने के मामलों की बहुतायत होने की शिकायत सही नहीं है. जबकि एक ही तस्वीर वाले अनेक मतदाता पाए जाने की शिकायत को आयोग ने यह बताते हुए सही नहीं पाया कि यह एक ही मतदाता का सूची में बार-बार उल्लेख का मामला नहीं है. बल्कि यह महज एक ही फोटो के अनेक बार उपयोग का मामला है जिसे ठीक करने के लिए कह दिया गया है.

आयोग ने फर्जी मतदाता सूची की शिकायत पर कहा कि मध्य प्रदेश में जनसंख्या के हिसाब से मतदाताओं की हिस्सेदारी साल 2008 में 52.76 प्रतिशत से बढ़कर 2018 में 61.45 प्रतिशत हो गई है. इसलिए जनसांख्यिकीय आंकड़ों के आधार पर मतदाता सूचियों को अपडेट किया गया है. इस आधार पर इसे फर्जी मतदाता सूची का मामला नहीं माना जा सकता है.

आयोग ने शिकायत के विभिन्न आधारों की पुख्ता जांच के बाद इन्हें खारिज करते हुए कांग्रेस से इस तरह की आशंकाएं पाए जाने पर भविष्य में भी सूचित करने का आग्रह किया जिससे शंकाओं का तत्काल समाधान किया जा सके.

गौरतलब है कि आयोग ने पांच मापदंडों नाम, उम्र, लिंग, रिलेशनशिप और रिलेशन नेम के आधार पर शिकायत की जांच की थी.

आयोग ने भोपाल जिले की नरेला, रायसेन की भोजपुर, होशंगाबाद और सिवनी मालवा विधानसभा सीट की मतदाता सूची में गड़बड़ी की जांच के लिए दो-दो सदस्यीय जांच दल गठित किए थे.

टीमें सोमवार 4 जून को भोपाल पहुंचीं. चार दिन में उन्हें अपनी जांच रिपोर्ट आयोग को सौंपनी थी जो निर्धारित समय में उन्होंने सौंप दी.

गौरतलब है कि कांग्रेस नेताओं ने रविवार को दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत से मतदाता सूची में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी और इस संबंध में सबूत भी सौंपे.

कांग्रेसी नेताओं ने आरोप लगाया था कि प्रदेश में 60 लाख फर्जी मतदाता पाए गए हैं जो भाजपा के इशारे पर बनाए गए हैं.

आयोग पहुंचने वाले नेताओं में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी, राज्यसभा सांसद विवेक तलखा और सत्यव्रत चतुर्वेदी शामिल थे.

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था, ‘सब भाजपा का किया धरा है. वरना कैसे मुमकिन है कि 10 साल में मध्य प्रदेश की जनसंख्या 24 प्रतिशत बढ़ी लेकिन वोटरों की तादाद में 40 फीसद का इजाफा हो गया. हमने हरेक विधानसभा में पड़ताल की तो पाया कि एक वोटर का नाम 26 लिस्टों में है. ऐसा दूसरी जगहों पर भी हुआ है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25