पाक अधिकृत कश्मीर के संविधान में पाकिस्तान सरकार के संशोधन पर भारत ने आपत्ति जताई

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान सरकार को कब्ज़ा किए गए किसी क्षेत्र के क़ानून में बदलाव का कोई अधिकार नहीं, उसे जम्मू कश्मीर के ऐसे हिस्सों से निकल जाना चाहिए.

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(फोटो: रॉयटर्स)

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान सरकार को कब्ज़ा किए गए किसी क्षेत्र के क़ानून में बदलाव का कोई अधिकार नहीं, उसे जम्मू कश्मीर के ऐसे हिस्सों से निकल जाना चाहिए.

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फाइल फोटो: रॉयटर्स

भारत ने पाकिस्तान द्वारा पीओके के दर्जे (स्टेटस) में बदलाव करने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और पाकिस्तान से ऐसे सभी इलाकों से निकल जाने को कहा है.

भारत की यह प्रतिक्रिया पाक अधिकृत कश्मीर अंतरिम संविधान (13वां संशोधन अधिनियम, 2018) में किए गए संशोधनों पर आई है. इस संशोधन में एजेके परिषद की प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियां खत्म करते हुए उसे महज एक सलाहकार इकाई बना दिया है.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बारे में बयान जारी करते हुए कहा, ‘ स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि पूरा जम्मू कश्मीर राज्य, जिसमें तथाकथित आजाद जम्मू कश्मीर भी है, 1947 के अपने विलय के कारण भारत का अभिन्न हिस्सा है. पाकिस्तान के जबरन और अवैध कब्जे वाले क्षेत्र के किसी भी हिस्से के दर्जे में बदलाव के किसी भी कदम का कोई भी कानूनी आधार नहीं है और यह कदम बिल्कुल अस्वीकार्य है. कब्जे वाले क्षेत्र के दर्जे में बदलाव की किसी भी कोशिश की जगह पाकिस्तान को अपने अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तत्काल खाली कर देना चाहिए.’

इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज़ (पीएमएल- एन) के प्रभुत्व वाली पाक अधिकृत कश्मीर विधानसभा और पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर परिषद की संयुक्त बैठक में एजेके संविधान में संशोधन को मंजूरी दी गयी थी.

मालूम हो कि पिछले महीने भारत ने पाकिस्तानी उप उच्चायुक्त सैयद हैदर शाह को तलब करते हुए पाकिस्तान सरकार के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र की स्थानीय परिषद के अधिकारों को सीमित करने के फैसले पर आपत्ति जताई थी.

भारत सरकार ने कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्तान समेत पूरा जम्मू कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी का 21 मई का स्थानीय परिषद के अधिकार खत्म करने का फैसला गैर-कानूनी है.

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