उत्तर प्रदेश की पूर्व अखिलेश सरकार की ओर से किसानों को जारी 1700 करोड़ रुपये की राहत राशि में से किसानों को सिर्फ़ 480 करोड़ रुपये ही बांटे जा सके.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
साल 2015 में ओला और अतिवृष्टि से प्रभावित प्रदेश के किसानों की मदद के लिए यह रकम जारी की गई थी. उस साल उनकी फसलें बुरी तरह से प्रभावित हुई थीं. अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 के फरवरी, मार्च और अप्रैल महीनों में राज्य में ओला और अतिवृष्टि के कारण काफी संख्या में किसान प्रभावित हुए थे. उनकी पूरी फसल चौपट हो गई थी. इनकी मदद के लिए केंद्र सरकार ने 2801 करोड़ और राज्य सरकार ने 2917 करोड़ रुपये की मंज़ूरी दी थी.
रिपोर्ट के अनुसार, मंजूर की गई रकम सिर्फ आठ ज़िलों ने ही किसानों को पूरी रकम बांटी गई. ये ज़िले आंबेडकरनगर, बागपत, बलिया, गौतमबुद्धनगर, कासगंज, मुरादाबाद, मुज़फ़्फ़रनगर और सहारनपुर हैं.
आठ जिलों के अलावा कुछ ऐसे भी ज़िले हैं जिन्होंने किसानों को रकम बांटे बिना ही ये रकम वापस कर दी. इन ज़िलों में मथुरा, कानपुर नगर, हापुड़ और हमीरपुर हैं.

अमर उजाला में 27 मार्च को प्रकाशित रिपोर्ट.
रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों को राहत की ये रकम बांटने में जिलाधिकारियों ने विशेष रुचि नहीं दिखाई. जिलाधिकारी किसानों को रकम न बांट पाने के पीछे अजीबोगरीब तर्क दे रहे हैं.
कुछ ज़िलाधिकारियों ने चुनाव की वजह से रकम न बांट पाने का हवाला दिया है. इसके अलावा कुछ ने इसका कारण नोटबंदी बताया. इनका कहना था कि नोटबंदी की वजह से किसान अपना जन धन खाता बताने में आनाकानी कर रहे थे.
उत्तर प्रदेश राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार कहते है कि किसानों की मदद सरकार की प्राथमिकता है. उन्होंने जोर देते हुए कहा है कि 31 मार्च से पहले राहत राशि बांटना शुरू किया जाए और बची हुई रकम सरेंडर कर दी जाए.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राज्य सरकार द्वारा मंज़ूर राहत राशि 2917 रुपये में से पिछली सरकार ने 1699.71 करोड़ जी मौजूदा वित्त वर्ष में दिए थे.
1699.71 करोड़ रुपये में से इस साल 20 मार्च तक महज 488 करोड़ 38 लाख 33 हज़ार रुपये ही बांटे गए हैं. बची हुई रक़म वापस करने के लिए उन्नाव, चित्रकूट, बस्ती और सिद्धार्थ नगर आदि जिलों के अधिकारियों ने पैसे सरेंडर करने के लिए मार्गदर्शन भी मांग की है.
साल 2015 में बेमौसम हुई अतिवृष्टि और ओलावृष्टि की भयावहता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश की अखिलेश सरकार ने तब 75 में से 52 ज़िलों को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया था.