यूआईडीएआई ने आपराधिक जांच के लिए आधार डेटा साझा करने से किया इनकार

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण से अपराधिक जांच के लिए पुलिस को आधार डेटा की सीमित उपलब्धता दिए जाने का प्रस्ताव रखा था. गृह राज्य मंत्री ने कहा कि इस बारे में मंत्रालय से चर्चा कर विचार किया जाएगा.

(फोटो साभार: यूट्यूब/विकिपीडिया)

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण से अपराधिक जांच के लिए पुलिस को आधार डेटा की सीमित उपलब्धता दिए जाने का प्रस्ताव रखा था. गृह राज्य मंत्री ने कहा कि इस बारे में मंत्रालय से चर्चा कर विचार किया जाएगा. 

(फोटो साभार: यूट्यूब/विकिपीडिया)
(फोटो साभार: यूट्यूब/विकिपीडिया)

नई दिल्ली/हैदराबाद: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने बीते शुक्रवार को कहा कि आधार अधिनियम के तहत आधार की बायोमेट्रिक जानकारी (डेटा) का इस्तेमाल आपराधिक जांच में नहीं किया जा सकता है.

प्राधिकरण का यह बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले यानी गुरुवार को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपराध पकड़ने के लिए पुलिस को आधार की सूचनाओं की सीमित उपलब्धता की बातें की थी.

एनसीआरबी के डायरेक्टर ईश कुमार ने पुलिस को आधार डेटा की सीमित उपलब्धता दिए जाने का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने कहा कि पहली बार अपराध करने वाले और बिना शिनाख्त के शवों को ट्रेस करने में इससे मदद मिलेगी.

हालांकि दूसरी ओर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने कहा है कि आधार से जुड़ी सूचना साझा करने और कैदी पहचान अधिनियम में संशोधनों को मंजूरी देने से संबंधित सुझावों पर मंत्रालय में चर्चा की जाएगी.

यूआईडीएआई ने जारी बयान में यह भी कहा कि आधार की सूचनाएं कभी भी किसी जांच एजेंसी के साथ साझा नहीं की गई हैं. प्राधिकरण ने कहा, ‘आधार अधिनियम 2016 की धारा 29 के तहत आधार जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल आपराधिक जांच के लिए स्वीकृत नहीं है.’

प्राधिकरण ने कहा कि अधिनियम की धारा 33 के तहत बेहद सीमित छूट दी गई है. इसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला होने पर आधार की जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन यह भी सिर्फ तभी संभव है जब मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता वाली समिति इसके लिए पूर्व- प्राधिकरण दे चुकी हो.

उसने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय में आधार मामले की चल रही सुनवाई में भी भारत सरकार का यह लगातार पक्ष रहा है.’

प्राधिकरण ने आगे कहा कि उसके द्वारा जमा की गई जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल महज आधार बनाने तथा आधारधारक के सत्यापन के लिए की जा सकती है. इसके अलावा किसी भी अन्य उद्देश्य के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

गौरतलब है कि एनसीआरबी की तरफ से गुरुवार को अपराध पकड़ने के लिए पुलिस को आधार की सूचनाओं की सीमित उपलब्धता की बातें की गई थी. एनसीआरबी के डायरेक्टर ईश कुमार ने पुलिस को आधार डेटा की सीमित उपलब्धता दिए जाने का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने कहा कि पहली बार अपराध करने वाले और बिना शिनाख्त के शवों को ट्रेस करने में इससे मदद मिलेगी.

इस पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने गुरुवार को कहा कि केंद्र पहली बार अपराध करने वाले लोगों से जुड़े अपराध के मामले सुलझाने और अज्ञात शवों की पहचान करने के लिए पुलिस के साथ आधार ब्योरा साझा करने के अनुरोध पर विचार करेगा.

उन्होंने हैदराबाद में बीते 21 जून को फिंगर प्रिंट्स ब्यूरो के निदेशकों के 19वें अखिल भारतीय सम्मेलन में कहा कि आधार से जुड़ी सूचना साझा करने और कैदी पहचान अधिनियम में संशोधनों को मंजूरी देने से संबंधित सुझावों पर मंत्रालय में चर्चा की जाएगी.

मंत्री राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के निदेशक ईश कुमार के सुझावों को लेकर बोल रहे थे.

कुमार ने सम्मेलन में कहा कि पहली बार अपराध करने वाले लोगों को पकड़ने और अज्ञात शवों की पहचान करने के लिए पुलिस को आधार ब्योरा सीमित तौर पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए.

बाद में कुमार के सुझाव को लेकर संवाददाताओं के सवाल करने पर मंत्री ने कहा, ‘हम इसे लेकर कोशिश करेंगे… यह काफी महत्वपूर्ण लगता है.’

एनसीआरबी  के निदेशक ईश कुमार इसी सम्मेलन में कहा था कि इस समय देश में हर साल करीब 50 लाख मामले दर्ज किए जाते हैं और उनमें से ज्यादातर पहली बार अपराध करने वाले लोगों द्वारा अंजाम दिए जाते हैं. ऐसे लोग अपनी उंगुलियों के निशान छोड़ जाते हैं जिसका पुलिस के पास रिकॉर्ड नहीं होता.

निदेशक ने कहा, ‘जांच के लिए पुलिस को आधार ब्योरा उपलब्ध कराया जाना चाहिए. यह जरूरी है क्योंकि 80 से 85 प्रतिशत मामले पहली बार अपराध करने वाले लोगों से जुड़े होते हैं जिनका पुलिस के पास रिकॉर्ड नहीं होता.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन अपराध करते समय वे अपने उंगुलियों के निशान छोड़ देते हैं. इसलिए आधार तक सीमित पहुंच देने की जरूरत है ताकि हम उन्हें पकड़ सकें.’

कुमार ने कहा कि इसी तरह हर साल 40,000 अज्ञात शव बरामद होते हैं. आधार ब्योरा उपलब्ध होने पर उनका पता किया जा सकता है और फिर शव उनके परिजनों को सौंपे जा सकते हैं.

निदेशक ने कहा कि हालांकि (आधार से जुड़ा) मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है, उन्होंने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर (जो बैठक में मौजूद थे) से विषय पर गौर करने का अनुरोध किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq