स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में भारत विश्व में 73वें स्थान पर, पिछले साल था 88वां स्थान

स्विस नेशनल बैंक के हालिया जारी आंकड़ों के अनुसार, 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में 50% की वृद्धि हुई है. 2016 में जमा राशि में 44% की गिरावट आई थी. तब भारत का स्थान विश्व में 88वां था.

The logo of the Swiss National Bank (SNB) is seen at the entrance of the SNB in Bern December 18, 2014. REUTERS/Ruben Sprich

स्विस नेशनल बैंक के हालिया जारी आंकड़ों के अनुसार, 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में 50% की वृद्धि हुई है. 2016 में जमा राशि में 44% की गिरावट आई थी. तब भारत का स्थान विश्व में 88वां था.

The logo of the Swiss National Bank (SNB) is seen at the entrance of the SNB in Bern December 18, 2014. REUTERS/Ruben Sprich
स्विस नेशनल बैंक के प्रवेश द्वार पर लगा बैंक का लोगो. (फोटो: रॉयटर्स)

ज्यूरिख/नई दिल्ली: स्विस बैंकों में किसी देश के नागरिक और कंपनियों द्वारा धन जमा कराने के मामले में 2017 में भारत 73 वें स्थान पर पहुंच गया. इस मामले में ब्रिटेन शीर्ष पर बना हुआ है. वर्ष 2016 में भारत का स्थान इस मामले में 88वां था.

उल्लेखनीय है कि हाल में जारी स्विस नेशनल बैंक की एक रपट के अनुसार, 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में 50% की वृद्धि हुई है और यह करीब 7,000 करोड़ रुपये हो गई है. 2016 में इसमें 44% की गिरावट आई थी. तब भारत का स्थान 88वां था.

इस सूची में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का भारत से एक स्थान ऊपर हो गया है, यानी कि वह 72वें नंबर पर है. हालांकि, यह उसके पिछले स्थान से एक कम है क्योंकि उसके द्वारा जमा किए जाने वाले धन में 2017 के दौरान 21% की कमी आई है.

स्विस नेशनल बैंक की रपट में इस धन को उसकी ग्राहकों के प्रति देनदारी के रुप में दिखाया गया है. इसलिए यह स्पष्ट नहीं होता कि इसमें से कितना कथित कालाधन है.

स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक द्वारा इन आधिकारिक आंकड़ों को सालाना आधार पर जारी किया जाता है. इन आंकड़ों में भारतीयों, अनिवासी भारतीयों और अन्य द्वारा अन्य देशों से इकाइयों के नाम पर जमा कराया गया धन शामिल नहीं है.

अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि भारतीय और अन्य देशों के लोग अपनी अवैध कमाई को स्विस बैंकों में जमा कराते हैं, जिसे कर से बचने की सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है.

हालांकि, स्विट्जरलैंड ने भारत समेत कई देशों के साथ स्वत: सूचना साझा करने की संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. इससे अब भारत को अगले साल जनवरी से स्विस बैंक में धन जमा करने वालों की जानकारी स्वत: मिलना शुरु हो जाएगी.

उल्लेखनीय है कि धन के हिसाब से 2015 में भारत का स्थान इस सूची में 75वां और 2014 में 61वां था. ब्रिटेन इस सूची में पहले और अमेरिका दूसरे स्थान पर है.

शीर्ष दस देशों की सूची में वेस्ट इंडीज, फ्रांस, हांगकांग, बहामास, जर्मनी, गुएर्नसे, लक्जमबर्ग और केमैन आईलैंड शामिल हैं.

ब्रिक्स देशों की सूची में चीन का स्थान 20वां, रूस का 23वां, ब्राजील का 61वां, दक्षिण अफ्रीका का 67वां है.

पड़ोसी मुल्कों में मॉरिशस का स्थान 77 वां, बांग्लादेश का 95वां , श्रीलंका का 108वां , नेपाल का 112वां और अफगानिस्तान का 155वां स्थान है.

वर्ष 1996 से 2007 के बीच भारत इस सूची में शीर्ष 50 देशों में शामिल था. उसके बाद 2008 में वह 55वें, 2009 और 2010 में 59वें, 2011 में 55वें, 2012 में 71वें और 2013 में 58वें स्थान पर रहा.

गौरतलब है कि 2017 से पहले तीन साल तक स्विस बैंकों में भारतीयों के जमा धन में लगातार गिरावट आई थी. अपनी बैंकिंग गोपनीयता के लिए पहचान बनाने वाले इस देश में भारतीयों के जमाधन में ऐसे समय दिखी बढ़ोतरी हैरान करने वाली है जबकि भारत सरकार विदेशों में कालाधन रखने वालों के खिलाफ अभियान चलाए हुए है.

वहीं, स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के सालाना आंकड़ों के अनुसार स्विस बैंक खातों में जमा भारतीय धन 2016 में 45 प्रतिशत घटकर 67.6 करोड़ फ्रैंक ( लगभग 4500 करोड़ रुपये) रह गया.

यह राशि 1987 से इस आंकड़े के प्रकाशन की शुरुआत के बाद से सबसे कम थी. लेकिन, 2017 में वृद्धि देखी गई.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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