मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाने की मांग पर ​छात्रों और शिक्षकों की भूख हड़ताल

विश्वविद्यालय के सभी डीन और 28 विभागों के प्रमुख ने इस्तीफा दे दिया है. मणिपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ और शिक्षक संघ 40 से ज़्यादा दिनों से कुलपति के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहा है.

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मणिपुर विश्वविद्यालय में प्रदर्शन. (फोटो साभार: फेसबुक/E-pao)

विश्वविद्यालय के सभी डीन और 28 विभागों के प्रमुख ने इस्तीफा दे दिया है. मणिपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ और शिक्षक संघ 40 से ज़्यादा दिनों से कुलपति के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहा है.

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मणिपुर विश्वविद्यालय में प्रदर्शन की एक तस्वीर (फोटो साभार: फेसबुक)

इम्फाल: मणिपुर विश्वविद्यालय के पोस्टग्रेजुएट छात्र-छात्राओं और अध्यापकों ने कुलपति प्रोफेसर आद्या प्रसाद पांडे को हटाने की मांग करते हुए सोमवार को क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की.

मणिपुर विश्वविद्यालय अध्यापक संघ (एमयूटीए) के प्रवक्ता प्रोफेसर एम. रंजीत ने बताया कि छात्र-छात्राओं और अध्यापकों द्वारा लगातार धरना प्रदर्शन और रैली के बाद भूख हड़ताल शुरू की गई है. भूख हड़ताल 24 जुलाई तक चलेगी.

छात्र-छात्राओं ने पहले अपनी मांगों का चार्टर विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपा था, लेकिन कार्रवाई नहीं होने पर बीते 30 मई से मणिपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ (एमयूएसयू) और एमयूटीए धरने पर बैठ गए.

उन्होंने कुलपति को हटाने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि पांडे विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण पदों पर भर्ती करने में नाकाम रहे हैं. इसके साथ ही कार्यालय से गैरहाजिर रहने और विश्वविद्यालय के खर्चे पर राज्य के बाहर दौरे पर बेहिसाब खर्च करने का भी आरोप है. कुलपति पर प्रशासनिक उपेक्षा और लापरवाही का भी आरोप है.

पांडे ने पूर्व में अपने खिलाफ लगे इन सब आरोपों से इंकार किया था.

एनडीटीवी इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, छात्र-छात्राओं की मांग है कि शैक्षणिक गतिविधियां बेहतर हो और शिक्षकों के खाली पदों को भरा जाए. एनडीटीवी से बात करते हुए छात्रसंघ अध्यक्ष एम. दयामन ने बताया कि शिक्षकों के 115 पद खाली हैं. इनमें 25 प्रोफेसर और 51 एसोसिएट प्रोफेसर और 39 सहायक प्रोफेसरों के पद खाली हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, भूगोल विभाग में आठ शिक्षक होने चाहिए मगर यहां तीन ही शिक्षक हैं. ये तीनों भी असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. छात्र-छात्राओं का कहना है कि शिक्षकों की बहाली के लिए 2016 में विज्ञापन निकला, लेकिन बहाली नहीं हुई. 2017 में विज्ञापन निकला लेकिन बहाली नहीं हुई.

इसके अलावा गैर शैक्षणिक पदों पर लोगों को ठेके पर रखा जा रहा है और आरोप है कि इसमें अधिकांश कुलपति की पसंद के हैं. रिपोर्ट के अनुसार, परीक्षा नियंत्रक, रजिस्ट्रार और लाइब्रेरियन के पदों पर अस्थायी स्टाफ रखे गए हैं. छात्र-छात्राओं का आरोप है कि इस वजह से हर फैसले में देरी होती है क्योंकि हर चीज़ कुलपति ही तय कर रहे हैं.

मणिपुर विश्वविद्यालय में प्रदर्शन. (फोटो साभार: फेसबुक/E-pao)
मणिपुर विश्वविद्यालय में प्रदर्शन. (फोटो साभार: फेसबुक/E-pao)

छात्रसंघ अध्यक्ष का आरोप है कि कुलपति महीने में सिर्फ 10 दिन ही विश्वविद्यालय आते हैं. इसलिए विभिन्न फाइलें अटकी रहती हैं. छात्र-छात्राओं की विभिन्न मांगों पर अमल नहीं होने के बाद छात्रसंघ ने कुलपति को हटाने के लिए धरना शुरू कर दिया, जिसमें अब शिक्षक संघ भी शामिल हो गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक महीने से अधिक समय से विश्वविद्यालय में गतिरोध के बाद विभिन्न अकादमिक स्कूलों के पांच डीन और 28 विभागों के प्रमुखों ने बीते 10 जुलाई को इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद यह मामला और गर्मा गया है. छात्रसंघ ने सभी विभाग और इमारतों पर तालाबंदी कर दी है.

इस बीच, अंडरग्रेजुएट के परीक्षा परिणाम की घोषणा, पोस्टग्रेजुएट कोर्स में दाखिले और नौकरी के लिए छात्रों के सर्टिफिकेट के सत्यापन काम ठप पड़े हुए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मणिपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष एम. दयामन ने बताया, ‘हमारी मांग गैर-जिम्मेदार कुलपति को हटाने की है. उनके कारण इस विश्वविद्यालय के प्रशासन को लकवा मार गया है.’

उन्होंने बताया, ‘रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर प्रभारियों को रखा गया है जो खुद से कोई फैसला नहीं ले सकते और उन्हें कुलपति की अनुमति की जरूरत होती है. हम उन पर एक नियमित रजिस्ट्रार नियुक्त करने का दबाव लंबे समय से बना रहे हैं, लेकिन उन्होंने जान-बूझकर ऐसे हालात बना रखे हैं.’

पांडे को अक्टूबर 2016 में कुलपति नियुक्त किया गया था. उन्हें ‘वाय’ श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है. आंदोलनकारियों का कहना है कि यह छात्रों, स्टाफ और शिक्षकों की कुलपति से परस्पर बातचीत में रुकावट डालता है.

आंदोलन को समर्थन करने वाले मणिपुर विश्वविद्यालय अध्यापक संघ ने कुलपति के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं. जैसे कि कुलपति कभी भी छुट्टी पर चले जाते हैं, बिना यह बताए कि किस तारीख को वापस आएंगे. फैकल्टी मेंबर के पदोन्नति के संबंध में होने वाले साक्षात्कारों में देरी की जाती है और नई नियुक्ति के लिए साक्षात्कार नहीं हो रहे हैं.

छात्र-छात्राएं कुलपति आद्या प्रसाद पांडे को हटाने की मांग कर रहे हैं. (फोटो साभार: फेसबुक/Eyamba Meetei)
छात्र-छात्राएं कुलपति आद्या प्रसाद पांडे को हटाने की मांग कर रहे हैं. (फोटो साभार: फेसबुक/Eyamba Meetei)

अध्यापक संघ के प्रवक्ता प्रो. एनएन सिंह, जिन्होंने भौतिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है, बताते हैं, ‘प्रशासन में कई अनियमितताएं और आर्थिक मसले हैं. कुछ दिनों के अंदर ही, अगर केंद्र कोई फैसला नहीं लेता है तो विश्वविद्यालय में बड़ी उथल-पुथल होगी और सभी संबद्ध कॉलेजों से हजारों छात्र यहां जुटेंगे.’

आठ जुलाई को एक बयान में कुलपति ने छात्र-छात्राओं और शिक्षकों और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों से आदर्श आचार संहिता का पालन करने और गैरकानूनी गतिविधियों से बचने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा है समस्याओं को सुलझाने के लिए वह मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला के साथ लगातार संपर्क में हैं.

उन्होंने कहा, ‘छात्रसंघ और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच भले ही मतभेद हो लेकिन छात्रसंघ को सबसे पहले छात्र-छात्राओं के बारे में सोचना चाहिए.’

रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से गठित एक दल ने बीते तीन जुलाई को इस समय पर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपा है.

कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री गैखनगम गांगमेई ने बताया, ‘दल ने विश्वविद्यालय जाकर सभी पक्षों से मुलाकात थी. हमने सिफारिश की थी कि समस्याओं को सुलझाने के लिए सभी पक्षों में बातचीत होनी चाहिए और ऐसा नहीं होने पर कुलपति को हटाने के अलावा और कोई चारा नहीं बचता.’

मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव आर. सुब्रमण्यम ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि एक संयुक्त सचिव को मणिपुर विश्वविद्यालय भेजा गया है.

मंत्रालय के संयुक्त सचिव गिरीश होसुर ने इस बारे में कहा, समस्याओं को जानने के लिए संयुक्त सचिव ने केंद्रीय विश्वविद्यालय का दौरा किया है. इस संबंध में उन्होंने छात्रसंघ और दूसरे पक्षों से बातचीत भी की है. मुख्यमंत्री से भी इस संबंध में बातचीत की गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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