‘बेटों के लिए आम’ वाली टिप्पणी को लेकर संभाजी लिंग चयन निषेध क़ानून के उल्लघंन के दोषी

नासिक नगर निगम की एक सलाहकार समिति ने संभाजी भिड़े के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराने का फैसला किया है. भिड़े ने दावा किया था कि उनके बगीचे से आम खाकर कई दंपतियों को बेटा हुआ.

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संभाजी भिड़े. (फोटो: पीटीआई)

नासिक नगर निगम की एक सलाहकार समिति ने संभाजी भिड़े के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराने का फैसला किया है. भिड़े ने दावा किया था कि उनके बगीचे से आम खाकर कई दंपतियों को बेटा हुआ.

संभाजी भिड़े. (फोटो: पीटीआई)
संभाजी भिड़े. (फोटो: पीटीआई)

नासिक (महाराष्ट्र): विवादास्पद हिंदुत्ववादी नेता संभाजी भिड़े को ‘आम से बेटे’ होने की उनकी विवादित टिप्पणी के लिए क़ानून के उल्लंघन का दोषी पाया गया है और नासिक नगर निगम अब उनके ख़िलाफ़ अदालती कार्यवाही की तैयारी कर रहा है.

एक अधिकारी ने शनिवार को कहा कि नासिक नगर निगम (एनएमसी) की एक सलाहकार समिति ने भिड़े को गर्भधारण पूर्व और पूर्व-प्रसव नैदानिक तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम (पीसीपीएनडीटी अधिनियम) का अपने बयान के ज़रिये उल्लंघन का दोषी पाया है.

भिड़े ने पिछले महीने दावा किया था कि उनके बगीचे से आम खाकर कई दंपतियों को बेटे की प्राप्ति हुई.

नासिक में बीते जून महीने में एक सभा को संबोधित करते हुए भिड़े ने कहा था, ‘आम शक्तिशाली और पोषक होते हैं. मेरे बगीचे से जिन महिलाओं ने आम खाए थे उन्होंने बेटों को जन्म दिया.’

उन्होंने दावा किया था, ‘मैंने अपनी मां के अलावा कभी किसी को यह नहीं बताया. मैंने अपने बाग में आम के ये पेड़ लगाए. अभी तक बिना बच्चों वाले 180 दंपतियों ने मुझसे फल लिया और उनमें से 150 को बच्चा हुआ.’

उन्होंने कहा, ‘अगर कोई दंपति बेटा चाहता है तो उन्हें ये आम खाने के बाद बेटा होगा. बांझपन का सामना कर रहे लोगों के लिए यह आम फायदेमंद है.’

संघ के पूर्व कार्यकर्ता के इस बयान की विभिन्न हलकों में आलोचना हुई थी और अतिरिक्त स्वास्थ्य निदेशक, पुणे ने मामले में शिकायत मिलने के बाद एनएमसी से इस मामले की जांच को कहा था.

एनएमसी के चिकित्सा अधीक्षक जेज़ेड कोठारी ने कहा कि इसके बाद एनएमसी के स्वास्थ्य विभाग के तहत काम करने वाली समिति ने मामले की जांच के बाद बीते शुक्रवार को नगर आयुक्त को मामले में रिपोर्ट सौंपी.

भिड़े को समिति ने एक नोटिस भेजकर मामले में अपना पक्ष रखने को कहा था लेकिन वह समिति के समक्ष पेश नहीं हुए.

कोठारी ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भिड़े को पीसीपीएनडीटी अधिनियम की धारा 22 के उल्लंघन का दोषी पाया गया. उन्होंने कहा कि सलाहकार समिति ने अधिनियम के तहत स्थानीय अदालत में भिड़े के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराने का फैसला किया है.

मालूम हो कि 85 वर्षीय संभाजी भिड़े आरएसएस के प्रचारक हैं और इस साल महाराष्ट्र के पुणे में हुई भीमा-कोरेगांव हिंसा के आरोपियों में से एक हैं. न्यूक्लियर फिजिक्स में एमएससी भिड़े पुणे के फर्गुसन कॉलेज में प्रोफेसर रह चुके हैं. 1980 के दौर में उन्होंने शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान नाम की एक संस्था बनाई.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)