नॉर्थ ईस्ट डॉयरी: असम की पहली ट्रांसजेंडर न्यायाधीश ने कामकाज संभाला

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम और मणिपुर के प्रमुख समाचार.

//
स्वाति बिधान बरूआ. (फोटो साभार: फेसबुक)

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम और मणिपुर के प्रमुख समाचार.

स्वाति बिधान बरूआ. (फोटो साभार: फेसबुक)
स्वाति बिधान बरूआ. (फोटो साभार: फेसबुक)

गुवाहाटी: असम की पहली ट्रांसजेंडर न्यायाधीश गुवाहाटी की एक लोक अदालत में अपना कामकाज संभाल लिया है.

इसके साथ ही पूर्वोत्तर का यह राज्य देश का तीसरा ऐसा राज्य बन जाएगा जहां ट्रांसजेंडर न्यायाधीश हैं. इससे पहले पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में ऐसे न्यायाधीश हैं.

26 वर्षीय स्वाति बिधान बरूआ ने कहा कि वह अपना काम कामरूप ज़िला एवं सत्र अदालत की अदालत नंबर 25 में शुरू करेंगी. उन्हें इस पद पर कामरूप (मेट्रो) जिला विधिक सेवाओं द्वारा नियुक्त किया गया है.

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘लोक अदालत में एक न्यायाधीश के पद पर मेरी नियुक्ति समाज के लिए एक बहुत ही सकारात्मक संदेश है और इससे ट्रांसजेंडरों के ख़िलाफ़ भेदभाव के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने में मदद मिलेगी. कुछ नीतियों के असफल होने से ही उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है वरना ट्रांसजेंडर भी समाज के लिए काम कर सकते हैं.’

मालूम हो कि स्वाति 2012 तब पुरुष थीं. तब उनका नाम बिधान था. इसके बाद उन्होंने सर्जरी करा ली और स्वाति बन गई.

2012 में उन्होंने इसके लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख़ किया था, इस सर्जरी के लिए उनके परिवार ने विरोध किया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया और वह बिधान से स्वाति बन गईं. स्वाति उस वक़्त मुंबई में नौकरी कर रही थीं.

उनके अलावा पश्चिम बंगाल में जॉयिता मोंडल और महाराष्ट्र में विद्या काम्ले टांसजेंडर जज हैं. देश की पहली ट्रांसजेंडर जज जॉयिता की नियुक्ति 2017 में हुई थी. उसके बाद इस साल फरवरी में विद्या काम्ले नियुक्ति की गई.

एक रिपोर्ट के अनुसार असम में पांच हज़ार से ज़्यादा ट्रांसजेंडर हैं. इसे देखते हुए उन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाख़िल की थी. उन्होंने अदालत से ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए सरकार को आदेश देने की मांग की थी.

पूर्वोत्तर भारत के अध्ययन के लिए विशेष केंद्र शुरू करेगा जेएनयू

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने बीते 11 जुलाई को बताया कि देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के अध्ययन के लिए विश्वविद्यालय में एक विशेष केंद्र स्थापित किया जाएगा.

एक प्रोफेसर ने बताया कि केंद्र में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम की रूपरेखा तय की जाएगी.

जेएनयू के कुलपति ने ट्वीट किया, ‘जेएनयू ने पूर्वोत्तर भारत के अध्ययन के लिए विशेष केंद्र स्थापित करने का फैसला किया है जिसका चरित्र बहुविषयक होगा और इसमें जेएनयू के अलग-अलग स्कूलों के संकाय सदस्यों को शामिल किया जाएगा. भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं का इस विशेष केंद्र में अध्ययन किया जाएगा.’

एक प्रोफेसर ने कहा कि नए केंद्र में कई विषयों से जुड़ी चीजें शामिनल होंगी जिससे पूर्वोत्तर से जुड़े हर तरह के शोध पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज, स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज सहित कई स्कूल शामिल होंगे. केंद्र विश्वविद्यालय की प्रतिभा का इस्तेमाल करेगा और इससे अंतरराष्ट्रीय संबंध, भारत की लुक ईस्ट नीति के संदर्भ में पूर्वोत्तर का महत्व बढ़ेगा.’

अकादमिक परिषद ने पिछले महीने केंद्र की स्थापना को मंज़ूरी दी थी और अन्य ब्योरे पर काम किया जा रहा है.

असम: साहित्य सभा ने कहा, राज्य में काम करने के लिए असमी भाषा आना ज़रूरी

मारीगांव: असम साहित्य सभा ने कहा है कि असम में काम करने के लिए असमी या कोई अन्य स्थानीय मातृभाषा की जानकारी होनी चाहिए. सभा के अध्यक्ष ने चेताया कि अगर उन्हें भाषा नहीं आती है तो उन्हें राज्य में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में काम करने की इजाजत नहीं दी जाएगी.

असम साहित्य सभा के अध्यक्ष परमानंद राजबोंगशी ने यह टिप्पणी कल एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए की. उन्होंने कहा, ‘निजी क्षेत्र हो या सरकारी, चुतुर्थ श्रेणी से लेकर शीर्ष स्तर तक असम में काम करने वाले लोगों को असमी या कोई स्थानीय मातृभाषा आनी चाहिए.’

बहरहाल, उन्होंने यह राज्य में बोली जाने वाली स्थानीय मातृभाषाओं के बारे में जानकारी नहीं दी. राज्य में 28 स्थानीय समुदाय रहते हैं. सभा अध्यक्ष ने कहा कि असम के स्थानीय लोग संकट से गुजर रहे हैं और उनकी पहचान तथा भाषा को खतरा है.

उन्होंने कहा, ‘असम साहित्य सभा स्थानीय मातृभाषाओं को मरने नहीं दे सकती है. अब हम किसी की नहीं सुनेंगे. यह सबके लिए चेतावनी है और सबको सावधान रहना चाहिए.’

मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के ख़िलाफ़ जांच के लिए यूजीसी ने बनाई समिति

मणिपुर विश्वविद्यालय में प्रदर्शन. (फोटो साभार: फेसबुक/E-pao)
मणिपुर विश्वविद्यालय में प्रदर्शन. (फोटो साभार: फेसबुक/E-pao)

नई दिल्ली/इम्फाल: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति आद्या प्रसाद पांडेय द्वारा धन के दुरुपयोग और प्रशासनिक लापरवाही के आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित की है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक सूत्र ने बीते 14 जुलाई को यह जानकारी दी.

जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार की ओर से मानव संसाधन विकास मंत्रालय को एक ज्ञापन दिए जाने के बाद समिति का गठन किया गया है. समिति इस महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी जिसके बाद आगे की कार्रवाई पर फैसला किया जाएगा.

एचआरडी मंत्रालय ने 12 जुलाई को तथ्यों का पता लगाने के लिए एक समिति का गठन किया था. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के संयुक्त सचिव जेके त्रिपाठी की अध्यक्षता में पांडेय के खिलाफ आरोपों की जांच का आदेश दिया गया था.

मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्र एक महीने से अधिक समय से हड़ताल कर रहे हैं. वे कुलपति के इस्तीफे और उनके खिलाफ स्वतंत्र जांच कराने की मांग कर रहे हैं.

उधर, कुलपति आद्या प्रसाद पांडेय के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के लिए केंद्र द्वारा एक कमेटी बनाए जाने के दो दिन बाद संस्थान के आंदोलनकारियों ने इस कदम को ‘लोकतांत्रिक आंदोलन को कमज़ोर करने के लिए एक चाल’ क़रार देते हुये पैनल के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया.

महत्वपूर्ण पदों पर सदस्यों की नियुक्ति में कुलपति की कथित विफलता और प्रशासनिक लापरवाही के कारण उन्हें हटाने की मांग को लेकर छात्र और शिक्षकों के यहां आंदोलन पर रहने के चलते पिछले 45 दिनों से केंद्रीय विश्वविद्यालय में कामकाज ठप पड़ा हुआ है.

दरअसल विश्वविद्यालय छात्र-छात्राओं ने पहले अपनी मांगों का चार्टर विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपा था, लेकिन कार्रवाई नहीं होने पर बीते 30 मई से मणिपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ (एमयूएसयू) और एमयूटीए धरने पर बैठ गए.

उन्होंने कुलपति को हटाने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि पांडे विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण पदों पर भर्ती करने में नाकाम रहे हैं. इसके साथ ही कार्यालय से गैरहाजिर रहने और विश्वविद्यालय के खर्चे पर राज्य के बाहर दौरे पर बेहिसाब खर्च करने का भी आरोप है. कुलपति पर प्रशासनिक उपेक्षा और लापरवाही का भी आरोप है.

पांडे ने पूर्व में अपने खिलाफ लगे इन सब आरोपों से इंकार किया था.

एक महीने से अधिक समय से विश्वविद्यालय में गतिरोध के बाद विभिन्न अकादमिक स्कूलों के पांच डीन और 28 विभागों के प्रमुखों ने बीते 10 जुलाई को इस्तीफा दे दिया था.

असम: धान के खेतों से निकली देश की नई उड़नपरी हिमा दास

Tampere: Hima Das, of India, celebrates her victory in women's 400 meter race at the 2018 IAAF World U20 Championships in Tampere, Finland, Thursday, July 12, 2018. AP/PTI(AP7_13_2018_000006B)
(हिमा दास. फोटो: एपी/पीटीआई)

नई दिल्ली/गुवाहाटी: असम के एक छोटे से गांव की लड़की जब दौड़ी तो एक मिनट से भी कम समय में विश्व एथलेटिक्स के नक्शे पर भारत के नाम की पहली सुनहरी मोहर लगा दी.

रातोंरात सनसनी बनीं 18 साल की हिमा दास ने बीते 12 जुलाई को फिनलैंड के तांपेरे में आयोजित आईएएएफ विश्व अंडर 20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर स्पर्धा के फाइनल में 51.46 सेकंड का समय लेकर स्वर्ण पदक जीता. यह ट्रैक स्पर्धा में भारत की पहली स्वर्णिम सफलता है.

वह महिला और पुरुष दोनों वर्गों में ट्रैक स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय भी हैं.

प्रतिस्पार्धा जीतने के बाद फिनलैंड से हिमा ने कहा, ‘मैं अपने परिवार की स्थिति को जानती हूं और हम कैसे संघर्ष करते हैं. लेकिन ईश्वर के पास सभी के लिये कुछ होता है. मैं सकारात्मक सोच रखती हूं और मैं जिंदगी में आगे के बारे में सोचती हूं. मैं अपने माता पिता और देश के लिये कुछ करना चाहती हूं.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब तक यह सपने की तरह रहा है. मैं अब विश्व जूनियर चैंपियन हूं.’

हिमा ने अपने प्रदर्शन के बारे में कहा, ‘मैं पदक के बारे में सोचकर ट्रैक पर नहीं उतरी थी. मैं केवल तेज़ दौड़ने के बारे में सोच रही थी और मुझे लगता है कि इसी वजह से मैं पदक जीतने में सफल रही.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी कोई लक्ष्य तय नहीं किया है, जैसे कि एशियाई या ओलंपिक खेलों में पदक जीतना. मैं अभी केवल इससे खुश हूं कि मैंने कुछ विशेष हासिल किया है और अपने देश का गौरव बढ़ाया है.’

वह अब नीरज चोपड़ा के क्लब में शामिल हो गयी हैं जिन्होंने 2016 में पोलैंड में आईएएएफ विश्व अंडर -20 चैंपियनशिप में भाला फेंक (फील्ड स्पर्धा) में स्वर्ण पदक जीता था.

हिमा की जीत पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, खेल मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौर और क्रिकेट तथा बॉलीवुड की दुनिया के बहुत से लोगों ने उन्हें बधाई दी और उन्हें देश का गौरव बताया.

देश को यह अद्भुत सम्मान दिलाने वाली हिमा की सफलता की कहानी कोई बहुत पुरानी नहीं है. पिछले कुछ ही समय में वह आंधी की तरह उठी और स्वर्ण पदक ले उड़ी.

फेडरेशन कप में 400 मीटर की दौड़ 51.97 सेकंड में जीतने के बाद उन्होंने कॉमनवेल्थ खेलों में दौड़ने का हक़ हासिल किया और आॅस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में अप्रैल में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में वह 400 मीटर दौड़ के फाइनल में छठे स्थान पर रही, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह रही कि उसने क्वालीफाइंग दौर में 51.53 सेकेंड का समय निकला, जो उसके अब तक के सर्वश्रेष्ठ समय से 0.44 सेकंड कम था.

फिनलैंड जाने से पहले हिमा ने पिछले महीने गुवाहाटी में इंटर स्टेट सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीत हासिल करके अपनी अगली जीत की सुनहरी लकीर खींचना शुरू कर दिया था.

चैंपियनशिप में वह 51.13 सेकेंड का समय लेकर अव्वल रहीं. उसकी जीत की उम्मीद इसलिए बढ़ गई क्योंकि फिनलैंड में 400 मीटर स्पर्धा में भाग लेने वाली खिलाड़ियों में सिर्फ अमेरिका की एक खिलाड़ी ने उससे कम समय निकाला था.

मध्य असम के नौगांव ज़िले ढिंग कस्बे से करीब पांच किलोमीटर के फासले पर स्थित कंधूलीमारी गांव में धान की खेती करने वाले रंजीत दास और जोमाली के यहां जन्मीं हिमा के चार और भाई बहन हैं.

हिमा चार भाई बहनों में सबसे बड़ी है. उसकी दो छोटी बहनें और एक भाई है. एक छोटी बहन दसवीं कक्षा में पढ़ती है जबकि जुड़वां भाई और बहन तीसरी कक्षा में हैं. हिमा खुद अपने गांव से एक किलोमीटर दूर स्थित ढींग के एक कालेज में 12वीं की छात्रा है.

उनके पिता रंजीत दास के पास दो बीघा जमीन है और उनकी मां जुनाली घरेलू महिला हैं. जमीन का यह छोटा सा टुकडा ही छह सदस्यों के परिवार की आजीविका का साधन है.

सीमित साधनों के साथ उसके पिता के पास इतना पैसा नहीं था कि उसकी कोचिंग का बड़ा ख़र्च बर्दाश्त कर सकें. हालांकि यह मुश्किल हालात हिमा को आगे बढ़ने से रोक नहीं पाए.

परिवार को जानने वाले लोगों का कहना है कि हिमा अपने पिता के धान के खेतों में दौड़ लगाया करती थीं और लड़कों के साथ फुटबाल खेलती थीं. यह करीब दो साल पहले की बात है कि उनके दौड़ने का अंदाज़ और बिजली की सी कौंध देखकर एक स्थानीय कोच ने उसे एथलेटिक्स में हाथ आजमाने की सलाह दी.

हिमा के पिता रंजीत ने कहा, ‘वह बहुत जिद्दी है. अगर वह कुछ ठान लेती है तो फिर किसी की नहीं सुनती लेकिन वह पूरे धैर्य के साथ यह काम करेगी. वह दमदार लड़की है और इसलिए उसने कुछ खास हासिल किया है. मुझे उम्मीद थी कि वह देश के लिये कुछ विशेष करेगी.’

हिमा के चचेरे भाई जॉय दास ने कहा, ‘शारीरिक तौर पर भी वह काफी मज़बूत है. वह हमारी तरह फुटबाल पर किक मारती है. मैंने उसे लड़कों के साथ फुटबाल नहीं खेलने के लिए कहा, लेकिन उसने हमारी एक नहीं सुनी.’

उसके माता-पिता की ज़िंदगी संघर्षों से भरी रही है लेकिन अभी वे सभी जश्न में डूबे हुए हैं.

दास ने कहा, ‘हम बहुत खुश हैं कि उसने खेलों को अपनाया और वह अच्छा कर रही है. हमारा सपना है कि हिमा एशियाई खेलों और ओलंपिक खेलों में पदक जीते. हमारा पूरा गांव उसके स्वर्ण पदक का जश्न मना रहा है. हमारे कई रिश्तेदार घर आये और हमने मिठाईयां बांटी.’

हिमा के एक शुरुआती कोच का कहना है कि उन्होंने हिमा को कुछ बुनियादी प्रशिक्षण दिया और उसकी कुदरती रफ्तार में कोई तब्दीली नहीं की. अपने दौड़ने के नैसर्गिक अंदाज़ के साथ हिमा अपने से कहीं तगड़ी लड़कियों पर भारी पड़ी और पीछे मुड़कर नहीं देखा.

उल्लेखनीय है कि दुनियाभर में धावकों को तमाम तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है, जबकि हिमा की औपचारिक ट्रेनिंग बहुत कम हुई और उसने स्थानीय स्तर पर जब दौड़ स्पर्धाओं में हिस्सा लेना शुरू किया तो उसके पास अच्छे जूते तक नहीं थे.

दुनिया के नक्शे पर भारतीय एथलेटिक्स को पहली बार जगह दिलाने वाली हिमा की उम्र अभी बहुत कम है और उम्मीद है कि कई और बड़ी प्रतियागिताओं में वह इसी तरह भारत के नाम का परचम लहराएगी.

असम: भोजपुरी गायिका कल्पना पटवारी हुईं भाजपा में शामिल

गुवाहाटी: भोजपुरी गायिका कल्पना पटवारी पटना में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गई हैं. कल्पना असम की रहने वाली हैं.

पार्टी में शामिल होने के बाद गायिका ने बताया, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण एवं नेतृत्व से प्रभावित हूं. मैं राजनीति का इस्तेमाल लोगों की सेवा करने और उन तक पहुंचने के एक साधन, माध्यम और ताकत के तौर पर करूंगी. मेरे लिए भाजपा एक विचारधारा है.’

कई भाषाओं में गानों को अपनी आवाज़ दे चुकीं कल्पना ने कहा, ‘‘मैं भाजपा में सिर्फ चुनाव लड़ने के लिये शामिल नहीं हुई हूं, बल्कि अपनी कला के ज़रिये मैं पार्टी की हर संभव तरीके से मदद करने को तैयार हूं.’

‘भोजपुरी क्वीन’ के नाम से मशहूर गायिका ने कहा, ‘मैं भले ही राजनीति में आ गई हूं लेकिन मैं अब भी अपने काम यानी संगीत और सबसे अहम बात लोक संगीत की अपनी विरासत को सहेजने की मुहिम से जुड़ी रहूंगी.’

मणिपुर: मुख्यमंत्री ने कहा, भारत-म्यांमार सीमा से खंभा नहीं हटाया गया

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो: पीटीआई)
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो: पीटीआई)

इम्फाल: मणिपुर के तेंगनौपाल ज़िले में भारत-म्यांमार सीमा पर कथित तौर पर एक खंभा हटाने को लेकर तनाव के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बीते 12 जुलाई को कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय सीमा 1970 में अपने निर्माण के बाद से अनछुई और अप्रभावित है.

मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि भारत और म्यांमार को विभाजित करने वाली सीमा का निर्धारण दोनों देशों के बीच 1967 में किए गए एक समझौते के बाद हुआ था.

उन्होंने कहा कि लोगों की आशंका के मद्देनज़र राज्य सरकार ने केंद्र को एक पत्र लिख कर 18 जुलाई को क्षेत्र का दौरा कर यह जांच करने को कहा है कि तेंगनौपाल ज़िले में कवाथा खुनोउ स्थित खंभा नंबर 81 समझौते के मुताबिक वास्तविक जगह पर है या नहीं.

गौरतलब है कि पिछले महीने ज़िला आयुक्त तोम्बीकांत ने सीमावर्ती क्षेत्र का दौरा करने के बाद दावा किया था कि खंभा नंबर 81 को हटा कर भारतीय सरजमीं के तीन किमी अंदर कर दिया गया है. उनके दावे का स्थानीय लोगों, कई समाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी समर्थन किया.

मणिुपर कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार से रविवार को इस मुद्दे पर अपना रुख़ स्पष्ट करने को कहा था.

वहीं, विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों पर संज्ञान लेते हुए आठ जुलाई को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दावा किया कि आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्थानीय लोगों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए 25 जून को एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की थी.

असम: ट्रेनों में महिलाओं के बलात्कार और हत्या के दो आरोपी गिरफ्तार

तिनसुकिया: असम की दो ट्रेनों में दो महिलाओं से बलात्कार और उनकी हत्या के मामले के मुख्य आरोपी और उसके साथी को गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी विकास दास को 12 जुलाई की शाम तिनसुकिया रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया जबकि उसके साथी बिपिन पांडे को 13 जुलाई को तड़के बानीपुर स्टेशन पर डिब्रूगढ़-बेंगलुरु एक्सप्रेस से गिरफ्तार किया गया.

असम पुलिस ने ट्वीट कर बताया, ‘सिमालुगुड़ी और मरियान में चलती ट्रेनों में घटे इन वीभत्स अपराधों को अंजाम देने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है और दोष साबित करने वाले साक्ष्य जब्त किए हैं.’

पुलिस ने कहा, ‘नागरिकों के न्याय और कानून का शासन सुनिश्चित करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं.’

रेलवे पुलिस फोर्स (आरपीएफ) ने बीते 12 जुलाई को दास को गिरफ्तार किया था. उसने जांच के दौरान पांडे को दोनों अपराधों में अपना साथी बताया था.

अधिकारी ने बताया कि पांडे बिहार का रहने वाला एक रिक्शाचालक है जिसे आरपीएफ ने शिवसागर जिले की पुलिस को सौंप दिया.

मालूम हो कि जोरहट के असम कृषि विश्वविद्यालय की एक छात्रा 10 जुलाई को कमाख्या एक्सप्रेस के शौचालय में मृत पाई गई थी जबकि 11 जुलाई को एक अधेड़ महिला का शव अवध असम एक्सप्रेस के शौचालय में मिला था. दोनों की हत्या एक ही तरीके से की गई थी और दोनों से बलात्कार भी हुआ था.

मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था और अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक (एडीजीपी) आरपी मीणा से इनकी जांच करने के लिए कहा गया है.

मणिपुर: भूस्खलन में नौ लोगों की मौत

इम्फाल: मणिपुर में तामेंगलांग शहर में तीन स्थानों में भारी बारिश के चलते भूस्खलन में नौ लोगों की मौत हो गई. इसमें पांच नाबालिग सहित सात लोग घायल हो गये.

पुलिस ने बताया कि भूस्खलन 10 जुलाई की देर रात ढाई बजे हुआ था. तामेंगलांग शहर यहां से 150 किलोमीटर दूर और असम की सीमा पर है.

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बताया कि भूस्खलन में मारे गए दो बच्चों के शव अभी बरामद नहीं हुए हैं.

अधिकारियों ने बताया कि तामेंगलांग के जिला अस्पताल में सातों घायलों को भर्ती कराया गया है.

मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया कि तामेंगलांग मुख्यालय में तीन स्थानों पर भूस्खलन के चलते नौ लोगों की मौत के बारे में जानकर वह बेहद दुखी हैं. सात लोगों के शव बरामद हो चुके हैं जबकि दो बच्चों के शव बरामद होना बाकी है. बचाव अभियान चल रहा है.

ज़िला उपायुक्त रबिंद्र सिंह ने बताया कि भूस्खलन के बाद लापता हुए नौ लोगों में से सात के शव बरामद कर लिए गए हैं. उन्होंने कहा कि सुरक्षाकर्मी और स्थानीय लोग बचाव काम में युद्धस्तर पर जुटे हुए हैं.

तामेंगलांग के उप जिलाधिकारी एन. रवीचंद्रन मैतेई ने बताया कि भूस्खलन में चार मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे. सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया कि मुख्यमंत्री ने भूस्खलन में मारे गए लोगों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है.

असम: गंभीर बनी हुई है बाढ़ की स्थिति

Hojai: Villagers stand near a partially-submerged land in the flood-affected area, of Hojai on Saturday, June 16, 2018. (PTI Photo) (PTI6_16_2018_000155B)
(फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है और राज्य के तीन जिलों में 24,000 से भी ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए हैं. अधिकारियों का कहना है कि राज्य की विभिन्न नदियों में जलस्तर कम होने के बावजूद हालात गंभीर बने हुए हैं.

मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बीते 11 जुलाई को बाढ़ प्रभावित बिस्वनाथ जिले का दौरा किया.

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से रोज़ जारी होने वाले बुलेटिन के अनुसार, धेमाजी, लखीमपुर और जोरहाट ज़िलों के 33 गांवों में बाढ़ से 24,244 लोग प्रभावित हुए हैं.

प्राधिकरण ने 10 जुलाई को कहा था कि तीनों जिले के करीब 24 गांवों में बाढ़ का पानी घुस आया है जिससे 19,170 लोग प्रभावित हुए हैं. राज्य में बाढ़ से अब तक 34 लोगों की मौत हुई है. जबकि 1,309 हेक्टेयर में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा है.

असम: विधायक पर महिला ने लगाया बलात्कार का आरोप, पति गिरफ़्तार

हैलाकांडी (असम): असम में एक महिला ने पुलिस में शिकायत दी है कि एक विधायक ने गत महीने उसके पति की मदद से उससे दो बार बलात्कार किया. इसके बाद हैलाकांडी सदर पुलिस थाने में आरोपी के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई है.

पुलिस ने बताया कि महिला ने आरोप लगाया है कि एआईयूडीएफ विधायक निजामुद्दीन चौधरी ने 19 मई को हैलाकांडी सर्किट हाउस और बाद में 23 मई को उसके घर पर उससे बलात्कार किया.

इस संबंध में पुलिस ने उसके पति को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने नौ जुलाई को बताया कि सात जुलाई को गुवाहाटी के अजारा इलाके से व्यक्ति को गिरफ्तार कर हैलाकांडी में मुख्य न्यायिक मेजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उसे पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया.

पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी सुरजीत चौधरी ने कहा कि महिला ने दावा किया है कि दोनों ही मौकों पर उसके पति ने विधायक का सहयोग किया.

महिला की शिकायत के आधार पर बीते छह जुलाई को एक प्राथमिकी दर्ज की गई.

अल्गापूर्व के विधायक ने यद्यपि आरोप को खारिज करते हुए कहा, ‘यह पूरी तरह से आधारहीन और मेरे खिलाफ एक षड्यंत्र है.’

उन्होंने कहा कि महिला ने अपनी पारिवारिक समस्या सुलझाने के लिए उससे अपने पति के साथ मुलाकात की थी और उसका उससे कोई संबंध नहीं है.

महिला ने अपनी शिकायत में विधायक पर आरोप लगाया है कि उसने उसे गुवाहाटी ले जाने का प्रयास किया था लेकिन उसने अपनी योजना उसके द्वारा आत्महत्या की धमकी दिए जाने के बाद छोड़ दी.

महिला ने यह भी कहा कि उसे उसके पति ने घर से बाहर नहीं जाने दिया, घर पर जबरन बंद रखा. इसलिए वह पुलिस में पहले शिकायत दर्ज नहीं करवा पाई.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50