क्या राहुल गांधी ने सच में कहा कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है?

बीते दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिलने के बाद उर्दू अख़बार इंक़लाब ने राहुल गांधी का हवाला देते हुए 'हां, कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है' शीर्षक से ख़बर छापी. इसके बाद से प्रधानमंत्री समेत भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया.

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बीते दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिलने के बाद उर्दू अख़बार इंक़लाब ने राहुल गांधी का हवाला देते हुए ‘हां, कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है’ शीर्षक से ख़बर छापी. इसके बाद से प्रधानमंत्री समेत भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया.

Rahul Gandhi Inquilab Collage PTI
इंक़लाब अख़बार में प्रकाशित रिपोर्ट और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फोटो: संबंधित ईपेपर/पीटीआई)

संसद के मानसून सत्र के शुरू होने के पहले देश की राजनीति में हिंदू-मुस्लिम का तड़का लग चुका है. दरअसल गत 11 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के कुछ प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक में मुसलमानों से जुड़े मुद्दों और देश की वर्तमान राजनीतिक व सामाजिक स्थिति पर चर्चा की थी.

इसके अगले दिन इस कार्यक्रम को लेकर उर्दू अखबार इंकलाब में ‘हां, कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है’ शीर्षक से रिपोर्ट लिखी गई.

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इंक़लाब अख़बार में प्रकाशित रिपोर्ट

इंकलाब के मुताबिक राहुल गांधी ने कहा, ‘अगर भाजपा यह कहती है कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है तो हां मैं कहता हूं कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है, क्योंकि मुल्क का मुसलमान अब दूसरा दलित हो गया है, जबकि कांग्रेस हमेशा से कमजोरों के साथ रही है.’

अखबार की इस रिपोर्ट के सामने आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के तमाम नेता इंकलाब की इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस पर अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण का आरोप लगाने लगे.

सबसे पहले इस खबर पर उर्दू के एक वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दीकी ने सवाल उठाते हुए लिखा, ‘उर्दू अखबार इंकलाब ने राहुल गांधी का बयान छापा है, ‘हां कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है.’ क्या यह बयान सही है या फिर पार्टी इसका विरोध करेगी?’

उन्होंने आगे लिखा कि मुसलमान एक मुस्लिम पार्टी नहीं चाहते हैं, वे एक राष्ट्रीय धर्मनिरपेक्ष पार्टी चाहते हैं, जो नागरिकों के बीच भेदभाव न करती हो.

इसके बाद भाजपा नेताओं ने इस बयान को मुद्दा बना दिया. भाजपा प्रवक्ता अनिल बलूनी ने 12 जुलाई को ट्वीट किया कि दैनिक इंक़लाब में ‘जनेऊधारी’ राहुल गांधी का बयान: कांग्रेस मुस्लिम पार्टी है.

12 जुलाई को ही ज़ी हिंदुस्तान चैनल ने इस रिपोर्ट के हवाले से एक डिबेट कार्यक्रम भी चलाया.

 

इसके बाद 13 जुलाई को भाजपा की वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि एक समाचार पत्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस पार्टी एक मुस्लिम पार्टी है.

उन्होंने सवाल किया, ‘हम कांग्रेस अध्यक्ष से पूछना चाहते हैं कि क्या वे मानते हैं कि कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी है? राहुल गांधी स्पष्ट करें कि बैठक में क्या चर्चा हुई.’

‘कांग्रेस अध्यक्ष मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात करते हैं और कहते हैं कि मुस्लिम और दलितों की जरूरत है. बिहार में यादव मतों की भी आवश्यकता है.’ उन्होंने कहा है, ‘माफ करना मैं जनेऊधारी नहीं हूं, लेकिन कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी है.’

इसके अगले दिन यानी 14 जुलाई को आजमगढ़ में एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक को लेकर कांग्रेस से पूछा कि वे मुस्लिम पुरूषों की ही पार्टी है या फिर मुस्लिम महिलाओं की भी पक्षधर है.

उन्होंने कहा कि हमने अखबार में पढ़ा कि कांग्रेस नामदार ने कहा है कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है. उन्होंने कहा, ‘यह बहस पिछले दो दिनों से चल रही है लेकिन उन्हें राहुल के बयान पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि यूपीए सरकार में कांग्रेस के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी कहा था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों पर पहला अधिकार मुस्लिमों का ही है.

हालांकि इसके बाद कांग्रेस ने भाजपा के दावे को खारिज करते हुए उर्दू अखबार की रिपोर्ट में बताए गये राहुल गांधी के बयान से इनकार किया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस भारत के सभी लोगों की पार्टी है और भाजपा सरकार झूठ फैला रही है.

कांग्रेस की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी खबर को ट्वीट करते हुए लिखा, ‘झूठ और अखबार द्वारा शर्मनाक रिपोर्टिंग.’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने अपने पद की गरिमा को लगातार ठेस पहुंचाई है. उन्होंने जो कहा उसका हम कड़ा विरोध करते हैं. यह उनकी बीमार मानसिकता को दिखाता है.’

शर्मा ने कहा, ‘उनकी ओर से समाज को बांटने का एक प्रयास किया गया है… उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस ने राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया… उसे मुस्लिमों की पार्टी कहना प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता. उन्हें अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘उनकी बीमार मानसिकता एक राष्ट्रीय चिंता का विषय है. प्रधानमंत्री ने ऐसा बयान दिया है, जो ऐतिहासिक तथ्यों के हिसाब से गलत है.’

कौन-कौन लोग थे राहुल के साथ बैठक में?

राहुल गांधी के साथ इस संवाद बैठक में इतिहासकार इरफान हबीब, सामाजिक कार्यकर्ता इलियास मलिक, कारोबारी जुनैद रहमान, ए एफ फारूकी, अमीर मोहम्मद खान, वकील जेड के फैजान, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट फराह नकवी, सामाजिक कार्यकर्ता रक्षंदा जलील सहित करीब 15 लोग शामिल हुए.

इनके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद और पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष नदीम जावेद भी मौजूद थे.

अखबार के बयान पर क्या कहना है बैठक में शामिल लोगों का?

इस खबर के चर्चा में आने के बाद सबसे पहले इतिहासकार इरफान हबीब ने ट्वीट करके इसे झूठ बताया. उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई भी चर्चा बैठक के दौरान नहीं हुई.

वहीं, बैठक में उपस्थित रही जेएनयू की सेंटर फॉर स्टडी ऑफ लॉ एंड गवर्नेंस में फैकल्टी गजाला जमील ने द वायर  से कहा कि बैठक में राहुल गांधी ने साफ तौर पर कहा कि वह मुस्लिमों को समान नागरिक के तौर पर देखते हैं- न ज्यादा, न कम. कांग्रेस पार्टी को लेकर उन्होंने इस बात का संज्ञान लिया कि कई गलतियां हुईं हैं लेकिन उन्होंने साफ किया कि कांग्रेस पारंपरिक रूप से भारत के समुदायों और वर्गों को जोड़ने का काम करती रही है. उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी भारतीय समाज के सभी वर्गों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका जारी रखेगी. बैठक में उपस्थित लोगों ने इस स्थिति की सराहना की और उन्हें सारी बातों के ऊपर न्याय और समानता के मूल्यों को दृढ़ता से बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया.

वहीं, ऑल्ट न्यूज से मीटिंग में मौजूद सुप्रीम कोर्ट के वकील फुजैल अहमद अयूब ने इस संबंध में बात की. उनके मुताबिक, ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि मीटिंग में राहुल गांधी से पूछा गया कि कांग्रेस के लिए मुस्लिम कितने महत्वपूर्ण हैं. इस पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए मुस्लिम उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने दूसरे समुदाय या धर्म.

इसके अलावा लेखक और एक्टिविस्ट फराह नकवी भी बैठक में मौजूद थीं. उन्होंने भी राहुल गांधी के कथित बयान से इनकार किया है. द वायर में लिखे अपने लेख में उन्होंने इस बैठक के बाद भाजपा द्वारा बवाल करने पर कई सवाल उठाए है.

फराह लिखती हैं, ‘अगर राहुल गांधी या मीटिंग में मौजूद किसी भी व्यक्ति द्वारा कांग्रेस को ‘मुस्लिम पार्टी’ कहे जाने की फेक न्यूज़ को भूल भी जाएं तो यह सोचना दिलचस्प होगा कि क्या सीतारमण सच में यह मानती हैं कि किसी ऐसे देश में जहां 86 फीसदी आबादी गैर-मुस्लिमों की है, वहां ऐसी किसी पार्टी का कोई लोकतांत्रिक भविष्य हो सकता है. बजाय इसके मैं यह जानना चाहती हूं कि क्यों कोई नेता- भले ही किसी भी पार्टी का हो- किसी सामान्य मुस्लिम नागरिक से नहीं मिल सकता, जिसके मन में कुछ वाजिब सवाल हों. या फिर भाजपा कहना चाहती है कि पार्टियों को मुस्लिमों के नाम पर केवल तीन तलाक़ पीड़ित मुस्लिम महिलाओं से मिलना चाहिए. भाजपा की बहस क्या है? क्या लोकतांत्रिक भारत में अल्पसंख्यक अधिकारों पर बात नहीं कर सकते? क्या केवल मुस्लिम नाम के लोगों के मौजूद होने से ये सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मामला बन जाता है? क्या एक ही मुस्लिम होता तो ठीक था? 11 लोग ज्यादा होते हैं? मैं समझ नहीं पा रही हूं कि चल क्या रहा है?

अगर मंत्री महोदय ने थोड़े भी तथ्य जांचे होते तो उन्हें यह पता चल जाता कि यह बैठक पूरे भारत को लेकर एक समावेशीय नज़रिए के बारे में थी, जहां सभी के लिए न्याय और विकास की बात की गयी. समानता और समान नागरिकता का भारत. ऐसा भारत जहां हत्यारों और लिंचिंग करने वालों को हार्वर्ड से पढ़े मंत्री फूलमालाएं न पहनाते हों. हमने संविधान को लेकर बात की. हमने ऐसे ढेरों धर्मनिरपेक्ष मुद्दों, जैसे शिक्षा, रोज़गार, गरीबी और गैरसंगठित क्षेत्र पर बुरी तरह लागू किए गये जीएसटी और नोटबंदी के प्रभाव, जिससे देश के मुस्लिम और हाशिये पर पड़े समूह दो-चार हो रहे हैं, पर की बात की. न कोई वादा मांगा गया न किया गया.’

क्या कहना है इंकलाब अख़बार का?

कांग्रेस भले ही इंकलाब की रिपोर्ट को खारिज कर चुकी हो लेकिन अखबार अपनी रिपोर्ट पर कायम है. इंकलाब के संपादक शकील शम्सी ने द वायर  से बातचीत में कि वह रिपोर्ट पर कायम हैं.

उन्होंने कहा कि बवाल उनकी रिपोर्ट पर नहीं बल्कि पत्रकार शाहिद सिद्दीकी के ट्वीट पर हैं. उन्होंने हमारी रिपोर्ट का गलत अंग्रेजी अनुवाद किया. हमने अपने इंट्रो में साफ किया है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, हां कांग्रेस पार्टी मुसलमानों की पार्टी है क्योंकि मुल्क का मुसलमान कमजोर है और कांग्रेस हमेशा से कमजोरों के साथ रही है.

हालांकि रिपोर्ट को पढ़ने पर कई खामियां नजर आती हैं. सबसे पहले पूरी रिपोर्ट में रिपोर्टर ने यह कहीं भी नहीं लिखा है कि वह बैठक में उपस्थित था या नहीं. अगर नहीं रहा है तो किसके हवाले से खबर लिखी गई है.

रिपोर्टर ने किसी भी नेता या सूत्रों के हवाले से भी रिपोर्ट होने का जिक्र नहीं किया है. सूत्र का जिक्र सिर्फ रिपोर्ट की अाखिरी लाइन में है जिसमें यह कहा गया है कि राहुल गांधी बहुत ही जल्द कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात करेंगे.

द वायर  ने इस संबंध जब इंकलाब के स्थानीय संपादक यामीन अंसारी से बात की तो उन्होंने शकील शम्सी की ही बात को दोहराया. उन्होंने कहा, ‘रिपोर्टर मुमताज आलम रिजवी बैठक में मौजूद नहीं थे.’

लेकिन जब आप रिपोर्ट पढ़ते हैं तो ऐसा लगता है कि सब कुछ उनकी आंखों के सामने हुआ है.

हालांकि अंसारी ने यह भी कहा कि इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने का मक़सद किसी पार्टी की हिमायत या विरोध करना नहीं था बल्कि हमारे लिए यह एक सामान्य खबर थी.

रिपोर्ट में चार लोगों का बयान छापा गया है इलियास मलिक, फराह नकवी, जेडके फैजान और इरफान हबीब. लेकिन इरफान हबीब और फराह नकवी ने पहले ही इस बात से इनकार कर चुके हैं.

इसके बाद अखबार ने सोमवार के अंक में कांग्रेस के अल्पसंख्यक मोर्चे के चेयरमैन नदीम जावेद का इंटरव्यू छापा है, जिसमें कांग्रेस नेता ने कहा है कि अखबार ने कोई गलत बयान नहीं छापा है.

उर्दू अखबार में छपे इंटरव्यू में नदीम जावेद ने कहा कि राहुल गांधी ने मुसलमानों के ताल्लुक से न कोई गलत बात कही है और न ही इंकलाब ने कोई गलत बात लिखी है.

फिलहाल कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चे के चेयरमैन का यह बयान कांग्रेस के उस आधिकारिक रुख से पूरी तरह उलट है जिसमें पार्टी ने राहुल गांधी के ऐसे किसी बयान से इनकार किया है.

नदीम जावेद में अपने इस साक्षात्कार के संबंध में कई ट्वीट किए है, जिसमें उन्होंने अपना पक्ष रखा है.

उन्होंने लिखा, ‘कांग्रेस गांधी,नेहरू और मौलाना आज़ाद की पार्टी है, अगर इस मुल्क को सुपर पावर बनाना है और दुनिया के विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खड़ा करना है, तो हमे समाज के वंचित तबकों, दलितों, पिछड़ो,मुसलमानों आदि के सवाल उठाने और हल करने पड़ेंगे. राहुल गांधी कांग्रेस के इसी मूल विचार को बढ़ाने की बात करते हैं.

एक उर्दू दैनिक को दिए गए बयान में मैंने इसी बात को रेखांकित किया है, भाजपा हमेशा ही राजनीतिक विमर्श को हिन्दू-मुसलमान की ओर ले जाने का घृणित एवं असफल प्रयास करती है, हम इस तरह के विचार की कड़े शब्दों में भर्त्सना करते है.’

फिलहाल नदीम जावेद के इस बयान के बाद भाजपा के नेताओं को फिर से मुद्दा मिल गया.

भाजपा के प्रवक्‍ता संबित पात्रा ने सोमवार एक ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस की अल्‍पसंख्‍यक इकाई के अध्‍यक्ष नदीम जावेद ने राहुल गांधी के इस विवादास्‍पद बयान की पुष्टि की.

पात्रा ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘कांग्रेस की अल्‍पसंख्‍यक इकाई के अध्‍यक्ष नदीम जावेद ने ‘इंकलाब’ को दिए इंटरव्‍यू में दोहराया कि राहुल गांधी ने यह ठीक कहा कि ‘हां हम मुसलमानों की पार्टी हैं’… जावेद ने यह भी कहा कि मुस्लिम अकलियत के साथ राहुल गांधी की जल्‍द ही मुलाकात होगी और वह एक मुस्लिम सम्‍मेलन की अध्‍यक्षता भी करेंगे.’

दूसरी ओर भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कांग्रेस का इन आरोपों से इनकार करना उसका पाखंड है. कांग्रेस ने हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति की है, जिस वजह से इस देश को काफी नुकसान हुआ है.

प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा है, इसलिए वह चुप्पी साधे हुए हैं. उनके अल्पसंख्यक इकाई के अध्यक्ष ने भी कहा है कि कांग्रेस मुस्लिम पार्टी है. इस बात को भी वह नकार नहीं रहे हैं. कांग्रेस हमेशा से पाखंड करती रही है, यह एक सांप्रदायिक पार्टी है.