पिछले सात साल में सरकार ने क़ानूनी लड़ाई पर ख़र्च किए 160 करोड़ रुपये

विधि एवं न्याय राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने राज्यसभा में दी जानकारी. भारत सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अदालती मामले लड़ने के लिए 2011-12 के मुक़ाबले 2017-18 में चार गुना से ज़्यादा पैसे ख़र्च किए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

विधि एवं न्याय राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने राज्यसभा में दी जानकारी. भारत सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अदालती मामले लड़ने के लिए 2011-12 के मुक़ाबले 2017-18 में चार गुना से ज़्यादा पैसे ख़र्च किए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने बताया कि भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अदालती मामलों को लड़ने के लिए 2011-12 से लेकर 2017-18 तक कुल 160.09 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.

एके सेल्वाराज के प्रश्न के लिखित जवाब में विधि एवं न्याय राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने राज्यसभा को बताया कि भारत सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अदालती मामलों को लड़ने के लिए केंद्रीय एजेंसी अनुभाग द्वारा वर्ष 2011-12 में 10.99 करोड़ रुपए, वर्ष 2012-13 में 11.73 करोड़ रुपए और 2013-14 में 14.47 करोड़ रुपए खर्च किए गए.

वहीं केंद्रीय मंत्री ने सदन को बताया कि 2014-15 में सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने के लिए 15.99 करोड़ रुपए, 2015-16 में 26.86 करोड़ रुपए, 2016-17 में 32.06 करोड़ रुपए और 2017-18 में 47.99 करोड़ रुपए खर्च किए गए.

इस तरह से देखें तो 2011-12 के मुकाबले 2017-18 में भारत सरकार के केस लड़ने में चार गुना से ज्यादा पैसे खर्च किए गए हैं.

वहीं सेल्वराज ने यह भी पूछा था कि क्या सरकार कोर्ट में चल रहे अपने केस को जल्द से जल्द खत्म करना चाह रही है ताकि कानून लड़ाई में हो रहे खर्च को कम किया जा सके.

इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि इससे संबंधित जानकारी अभी इकट्ठा की जा रही है और सदन में जवाब दिया जाएगा.

(समाचार एजेंसी भाषा की इनपुट के साथ)