हिंदूवादी संगठनों की धमकी के चलते लेखक ने अपना उपन्यास वापस लिया

केरल के लेखक एस हरीश का उपन्यास 'मीशा' साप्ताहिक पत्रिका 'मातृभूमि' में किस्तों में छप रहा था. दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इसमें मंदिर जाने वाली महिलाओं का गलत चित्रण है. लेखक केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता हैं.

लेखक एस. हरीश. (फोटो साभार: विकिपीडिया कॉमन्स)

केरल के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखक एस. हरीश का उपन्यास ‘मीशा’ साप्ताहिक पत्रिका ‘मातृभूमि’ में किस्तों में छप रहा था. दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इसमें मंदिर जाने वाली महिलाओं का गलत चित्रण है.

लेखक एस. हरीश. (फोटो साभार: विकिपीडिया कॉमन्स)
लेखक एस. हरीश. (फोटो साभार: विकिपीडिया कॉमन्स)

तिरुवनंतपुरम: दक्षिणपंथी लोगों से कथित धमकी मिलने के बाद एक मलयालम लेखक ने अपने उपन्यास को साप्ताहिक प्रकाशन से वापस ले लिया है.

एस. हरीश का पहला उपन्यास ‘मीशा’ किस्तों में ‘मातृभूमि’ साप्ताहिक में प्रकाशित हो रहा था.

साप्ताहिक के संपादक कमलराम संजीव ने ट्वीट किया कि लेखक ने उपन्यास वापस ले लिया है.

संजीव ने कहा, ‘एस हरीश ने अपना उपन्यास ‘मीशा’ वापस ले लिया है, साहित्य की पीट-पीट कर हत्या की जा रही है, केरल के सांस्कृतिक इतिहास में सबसे काला दिन.’

संपर्क किए जाने पर संजीव ने कहा कि लेखक ने साप्ताहिक को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा कि वे अपनी उपन्यास श्रृंखला को जारी नहीं रखना चाहते हैं.

आरोप है कि दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने लेखक और उनके परिजनों को सोशल मीडिया पर धमकी दी है.

कुछ दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उपन्यास में मंदिर जाने वाली महिलाओं को खराब तरीके से दिखाया गया है.

संजीव ने कहा कि उपन्यास के तीन अंश साप्ताहिक में प्रकाशित हो चुके हैं.

कांग्रेस नेता एवं तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘जो लोग हिंदुत्व तालिबान के उभार के बारे में मेरी चेतावनियों पर विश्वास नहीं करते, उन्हें मलयालम लेखक हरीश के साथ हुई घटना से सबक लेना चाहिए.’

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, शनिवार को भाजपा महिला मोर्चा की सदस्यों ने कोझिकोड में मातृभूमि के मुख्यालय तक रैली निकाली थी और उपन्यास को वापस लेने की मांग की थी.

एक दलित पृष्ठभूमि में वर्णित उपन्यास जाति व्यवस्था को दिखाता है जो केरल में लगभग पांच दशक पहले काफी प्रबल थी.

संजीव ने बताया कि हरीश को हिंदुत्ववादी संगठनों के कार्यकर्ताओं से धमकियां मिल रही थीं जो कि लेखक पर अपने इस काम के जरिए हिंदुओं का अपमान करने का आरोप लगा रहे थे.

संजीव ने कहा, ‘उन लोगों ने हरीश को और उसके परिवार पर हमला करने की धमकी दी थी. इसलिए हरीश ने उपन्यास वापस लेने का फैसला किया. मातृभूमि ने हरीश से उपन्यास वापस लेने को नहीं कहा, यह उसी का फैसला था.’

केरल के एक हिंदूवादी  संगठन के अध्यक्ष केपी शशिकला ने कहा, ‘हम जानते हैं कल्पना क्या है और इसका आनंद कैसे लें? लेकिन एक सीमा होती है. फिल्म में एक लिप-लॉक दृश्य दिखाने के बाद क्या कोई इसे यह कहते हुए सही ठहरा सकता है कि दृश्य केवल एक सपना था.’

शशिकला ने कहा कि प्रदर्शन जारी रहेगा जब तक कि मातृभूमि अपमान करने वाले उपन्यास के प्रकाशन के लिए माफी नहीं मांगता है. उन्होंने कहा, ‘उपन्यास सकार हमारी नजर में नहीं, हम तो मातृभमि को दोष देंगे.  अगर वे माफी नहीं मांगते तो हम समाचार पत्र का बहिष्कार करेंगे.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य और वरिष्ठ नेता एमए बेबी ने कहा कि ऐसे हिंदुत्व संगठन तुरंत हरीश पर हमला करना बंद करना चाहिए.

हरीश ने पिछले साल लघु कथाओं के लिए केरला साहित्य अकादमी का पुरस्कार जीता था.

बेबी ने लेखक से आग्रह किया कि वे अपना उपन्यास जारी रखें. उन्होंने कहा कि इसे वापस लेना राज्य का अपमान है.

जब से इस सप्ताह बाजार में पत्रिका आई है, हरीश को सोशल मीडिया पर धमकियां मिल रही हैं. लेखक ने इस संबंध में शिकायत की है कि फेसबुक पर उन्हें लगातार धमकियों का सामना करना पड़ा जिससे उन्हें अपना फेसबुक अकाउंट भी बंद करना पड़ा.

विभिन्न हिंदू संगठनों ने केरल के अलग-अलग हिस्सों में इस सप्ताह प्रदर्शन किया. बुधवार को हिंदू संगठनों के सदस्यों और मंदिर के पुजारियों के संघ ने हिंदू मान्यताओं और प्रथाओं के अपमान का का आरोप लगाकर उपन्यास के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए राज्य सचिवालय तक मार्च भी निकाला था.

शुक्रवार को कोच्चि में मातृभूमि के बुक फेस्टिवल में भी तोड़-फोड़ की गई थी.

43 वर्षीय एस. हरीश केरल के एक मलयालम भाषा के लेखक हैं. लेखन में वे 1995 से सक्रिय हैं. इसी साल 2018 में उन्होंने केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार भी जीता था. उनके लेखन के विषय विभिन्न सामाजिक पहलू और कल्पना होते हैं. अब तक वे लगु कथाएं लिखते आए थे. उपन्यास की विधा में ‘मीशा’ उनका पहला प्रयास था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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