नॉर्थ ईस्ट डायरी: असम में डायन बताकर लोगों की हत्या के ख़िलाफ़ क़ानून को मंज़ूरी

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मिज़ोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मणिपुर के प्रमुख समाचार.

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असम की सामाजिक कार्यकर्ता बीरुबाला राभा. (फोटो साभार: फेसबुक/मिशन बीरुबाला)

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मिज़ोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मणिपुर के प्रमुख समाचार.

असम की सामाजिक कार्यकर्ता बीरुबाला राभा. (फोटो साभार: फेसबुक/मिशन बीरुबाला)
असम की सामाजिक कार्यकर्ता बीरुबाला राभा. (फोटो साभार: फेसबुक/मिशन बीरुबाला)

गुवाहाटी: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने असम डायन प्रताड़ना (प्रतिबंध, रोकथाम और संरक्षण) विधेयक, 2015 को मंज़ूरी दे दी है जिसके बाद यह विधेयक असम विधानसभा से पारित होने के करीब तीन साल बाद क़ानून बन गया है.

समाज से अंधविश्वास का सफाया करने पर लक्षित इस क़ानून में सात साल तक क़ैद की सज़ा और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.

राष्ट्रपति सचिवालय की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार कोविंद ने 13 जून को इस विधेयक को मंज़ूरी प्रदान की और इस क़ानून के तहत कोई भी अपराध ग़ैर ज़मानती, संज्ञेय अपराध बन गया.

लोगों खासकर महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित करने और जादू-टोने जैसी चीज़ों के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने वाली बीरुबाला राभा ने बताया कि यह बहुत अच्छा क़दम है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा लोगों को जागरूक बनाना और कानूनों को सख़्ती से लागू करना है.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) अनिल कुमार झा ने बताया कि असम में लोगों खासकर महिलाओं को डायन बताकर उनकी हत्या कर देना बहुत पुरानी समस्या है. 2001-2017 के दौरान 114 महिलाओं और 79 पुरुषों को डायन/ओझा क़रार देकर उनकी हत्या कर दी गई. इस दौरान पुलिस ने 202 मामले दर्ज किये.

इस समस्या से निपटने के लिए असम विधानसभा ने 13 अगस्त, 2015 को सर्वसम्मति से विधेयक पारित किया था.

अंधविश्वास के ख़िलाफ़ प्रचार करने वाले कार्यकर्ताओं ने विधेयक को राष्ट्रपति से मंज़ूरी मिलने का स्वागत किया है. हालांकि उनका कहना है कि केवल क़ानून से समस्या से नहीं निपटा जा सकता है बल्कि समाज में जागरूकता फैलाना ज़रूरी है.

गोलपाड़ा ज़िले के ठाकुरभीला गांव में रहने वाली 65 वर्षीय बीरुबाला राभा ने इसके ख़िलाफ़ 1996 में तब संघर्ष करना शुरू किया था जब उनके बेटे को एक तंत्र मंत्र करने वाले ने तकरीबन मार ही डाला था.

एक तांत्रिक द्वारा समाज से बहिष्कृत कर देने की धमकी के बावजूद का इस अंधविश्वास के ख़िलाफ़ न सिर्फ खड़ी हुई बल्कि अपने एनजीओ के गठन से पहले 50 महिलाओं को बचाया भी जिन्हें डायन बताया जा रहा था.

बीरुबाला ने बताया, ‘हम लोग बिना क़ानूनी सहयोग के सभी बुराइयों के ख़िलाफ़ पूरे जीवन भर काम करते रहे. लेकिन अब इस क़ानून के कारण डायन बता कर लोगों की हत्या करने की घटना में शामिल लोग अपराध करने से पहले दो बार सोचेंगे.’

बीरुबाला और उनका गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘मिशन बीरुबाला’ दूरदराज़ के स्थानों पर गंभीर प्रतिकूल परिस्थितियों काम कर रहे हैं जहां ग्रामीणों ने कई मौकों पर इस साहसी महिला को डायन करार देकर मारने का प्रयास किया.

विधेयक बनाने से पहले बीरुबाला राभा से उनका पक्ष सुना गया और इसमें शामिल किया गया. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार विधेयक बनाने में एक अन्य शख़्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

पुलिस महानिदेशक कुलाधर सैकिया ने डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल रहते हुए कोकराझाड़ रहते हुए साल 2001 में प्रोजेक्ट प्रहरी की शुरुआत की थी. जो इस अंधविश्वास के ख़िलाफ़ लोगों को जागरूक करता था.

मिज़ोरम: सरकार ने त्रिपुरा से ब्रू शरणार्थियों के अंतिम जत्थे की वापसी के लिए क़दम उठाए

आइज़ोल: मिज़ोरम सरकार 30,000 से अधिक ब्रू शरणार्थियों में से कुछ के विरोध के बावजूद उनके इस अंतिम जत्थे की त्रिपुरा से मिज़ोरम वापसी के लिए कमर कस चुका है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीते 18 जुलाई को यह जानकारी दी.

गृह विभाग के अवर सचिव लालबियाकजामा ने बताया कि 17 जुलाई को लुंगली जिले में ब्रू प्रत्यर्पण पर जिला कोर समिति की बैठकें हुई थीं. मामित और कोलासिब जिलों में भी बैठकें हुईं जहां ब्रू परिवारों को बसाये जाने का प्रस्ताव है.

ब्रू शरणार्थी फिलहाल उत्तरी त्रिपुरा ज़िले के छह शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं.

लालबियाकजामा ने कहा, ‘राहत शिविरों में कथित रूप से प्रदर्शन होने तथा मिज़ोरम ब्रू डिस्प्लैस्ड पीपुल्स फोरम के प्रमुख सावीबुंगा के तीन जुलाई के केंद्र, मिज़ोरम और त्रिपुरा सरकारों के बीच के क़रार से पीछे हटने के बारे में हमारे पास कोई सूचना नहीं है.’

उधर, केंद्रीय गृह मंत्रालय भी त्रिपुरा के विभिन्न शिविरों में रह रहे करीब 33 हज़ार ब्रू शरणार्थियों को वापस मिज़ोरम भेजने के लिए हुए समझौते को लागू करने की ख़ातिर प्रतिबद्ध है. हालांकि समुदाय के नेता ने समझौते से हटने का फैसला किया है.

अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

मंत्रालय के प्रतिनिधि पूर्व विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) एमके सिंगला स्थिति का जायजा लेने के लिए त्रिपुरा की यात्रा कर रहे हैं.

समझौते पर तीन जुलाई को गृह मंत्री राजनाथ सिंह और त्रिपुरा तथा मिज़ोरम के मुख्यमंत्रियों क्रमश: बिप्लब कुमार देब और लाल थनहवला की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए थे. इस पर मिज़ोरम के विस्थापित ब्रू लोगों के फोरम (एमबीडीपीएफ) के नेता ने हस्ताक्षर किए थे.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार समझौते को लागू करने तथा अन्य लाभ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. इन लाभों में समझौते का पालन करने वाले शरणार्थियों के लिए नकद सहायता शामिल है.

ब्रू शरणार्थियों के एक समूह ने बीते 16 जुलाई को त्रिपुरा में एमबीडीपीएफ अध्यक्ष ए. सावीबंगा को समझौते से अपने हस्ताक्षर वापस लेने के लिए बाध्य किया था. वे समझौते के परिणाम को लेकर नाराज़ थे और बेहतर समझौते की मांग कर रहे थे. उन्होंने संगठन के कार्यालय में तोड़फोड़ भी की थी.

गौरतलब है कि बीते 3 जुलाई को गृह मंत्रालय ने त्रिपुरा और मिज़ोरम की सरकारों के साथ हुए एक त्रिपक्षीय समझौते के बाद कहा था कि करीब दो दशकों से त्रिपुरा में बसे ब्रू समुदाय के करीब 33 हज़ार लोगों को वापस मिज़ोरम भेजा जाएगा.

इस समझौते के लिए नई दिल्ली में हुई बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा ब्रू समुदाय के शीर्ष संगठन मिज़ोरम ब्रू डिस्प्लेस्ड पीपुल्स फोरम (एमबीडीपीएफ) के अध्यक्ष मौजूद थे और उन्होंने इस समझौते  पर दस्तखत किए थे.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक अब करीब 13 दिन बाद एमबीडीपीएफ ने इस समझौते से इनकार करते हुए कहा है कि इस समझौते में सरकारों द्वारा रखी गयी शर्तें ब्रू समुदाय को स्वीकार्य नहीं हैं.

एमबीडीपीएफ के महासचिव ब्रूनो मशा ने 16 जुलाई को इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया, ‘हमने गृह मंत्रालय को बता दिया है कि हमारे समुदाय को शर्तें मंज़ूर नहीं हैं. वे (ब्रू) मिज़ोरम में मंदिर, सामूहिक आवास बनाने की अनुमति और खेती करने की ज़मीन चाहते हैं. यह मांगें मिज़ोरम सरकार को मंज़ूर नहीं हैं.’

असम: गुवाहाटी में प्रवीण तोगड़िया के कार्यक्रमों पर दो महीने तक पाबंदी

Ahmedabad: VHP international working president Pravin Togadia during a press conference at Chandramani Hospital in Ahmedabad on Tuesday. PTI Photo by Santosh Hirlekar(PTI1_16_2018_000028B)
प्रवीण तोगड़िया. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: गुवाहाटी पुलिस ने विहिप के पूर्व नेता प्रवीण तोगड़िया के अगले दो महीनों तक यहां किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शरीक होने पर बीते 17 जुलाई को पाबंदी लगा दी. दरअसल, पुलिस को आशंका है कि उनके भडकाऊ भाषण शांति व्यवस्था में खलल डाल सकते हैं.

गुवाहाटी पुलिस आयुक्त हीरेन चंद्र नाथ ने तोगड़िया की यात्रा की योजना और 17 जुलाई से लेकर 19 जुलाई तक यहां कई कार्यक्रमों में उनके शरीक होने के मद्देनज़र सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा जारी की है.

इन कार्यक्रमों का आयोजन तोगड़िया के नवगठित संगठन अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद (एएचपी) कर रही है.

नाथ ने कहा है कि हिंदुत्व नेता संवेदनशील और भड़काऊ भाषण देते रहे हैं. इस तरह के भड़काऊ भाषण धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय की भावनाओं को भड़का सकते हैं और उनके बीच असुरक्षा की भावना पैदा कर सकते हैं. इससे कानून-व्यवस्था में खलल पड़ने की आशंका है.

पुलिस आयुक्त ने कहा कि यदि तोगड़िया को आईटीए मचखोवा ऑडीटोरियम में प्रस्तावित कार्यक्रमों को, या 19 जुलाई को गुवाहाटी प्रेस क्लब में संवाददाताओं को संबोधित करने की इज़ाज़त दी जाती है तो यहां और इलाके में शांति व्यवस्था में खलल पड़ सकती है.

उन्होंने कहा कि तोगड़िया के किसी संभावित भड़काऊ भाषण से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के अंतिम मसौदा के प्रस्तावित प्रकाशन के दौरान भी स्थिति प्रभावित हो सकती है.

नाथ ने तोगड़िया को एएचपी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों से दूर रहने का निर्देश दिया. साथ ही, बगैर उपयुक्त इज़ाज़त के मीडिया के किसी भी माध्यम से कोई बयान देने से बचने को कहा.

उन्होंने कहा कि यह आदेश गुवाहाटी पुलिस कमिश्ननरी क्षेत्र में 17 जुलाई से दो महीनों तक प्रभावी रहेगा.

इसके अलावा पुलिस ने समूचे गुवाहाटी में एएचपी के सभी प्रस्तावित कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है. हालांकि, नाथ ने कहा कि तोगड़िया यदि उनके आदेश से असंतुष्ट हैं तो वह आपत्ति दर्ज कराने के लिए उनके समक्ष उपस्थित हो सकते हैं.

अरुणाचल प्रदेश: पीपीए के सात विधायक एनपीपी में शामिल

ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश में भाजपा को बीते 16 जुलाई को बड़ा बल मिला जब पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) के नौ में से सात विधायक नेशनल पीपुल्स पार्टी में शामिल हो गए.

नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) भगवा पार्टी नीत सत्तारूढ़ गठबंधन में हिस्सेदार है.

एनपीपी के प्रदेश अध्यक्ष गिचो कबाक ने विधानसभा सचिवालय को विधायकों के नाम सौंपने के बाद राजधानी ईटानगर में संवाददाता सम्मेलन में इस घटनाक्रम की जानकारी दी.

एनपीपी और भाजपा पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन में भागीदार हैं. इसी गठबंधन की राज्य में सरकार है. एनपीपी के प्रदेश उपाध्यक्ष निमा सांगे ने कहा कि पीपीए के सभी सात विधायक बिना शर्त पार्टी में शामिल हुए हैं.

इसके साथ ही 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 48, एनपीपी के सात, पीपीए के दो, कांग्रेस के एक और दो निर्दलीय विधायक हैं.

एनपीपी के सात और दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन से राज्य में पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के विधायकों की संख्या 57 हो गई है.

संसदीय समिति असम में अपहरण और अरुणाचल में उग्रवाद की बढ़ती घटनाओं पर चिंतित

नई दिल्ली: असम में अपहरण की बढ़ती घटनाओं, ज़्यादातर महिलाओं के अपहरण तथा अरुणाचल प्रदेश में उग्रवाद में बढ़ोतरी को लेकर एक संसदीय समिति ने चिंता व्यक्त की है और इसे ख़तरनाक क़रार दिया है.

पी. चिदंबरम के नेतृत्व वाली गृह मामलों की संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वह इस बात को लेकर चिंतित है कि असम में 2016 से पहले और 2016 के दौरान अपहृत लोगों में से बड़ी संख्या में पीड़ित अब तक बरामद नहीं हो पाए हैं.

समिति ने राज्यसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘और भी चिंताजनक यह है कि अपहरण का शिकार होने वालों में 81 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं. ’’

इसने कहा कि यह अपहरण और मानव तस्करी के बीच संबंध का संकेत हो सकता है. समिति ने इसलिए सिफारिश की कि महिलाओं के अपहरण की इस अत्यंत ऊंची दर के कारणों का पता लगाने के लिए एक अंतरराज्यीय जांच होनी चाहिए.

इसने कहा, ‘समिति यह सिफारिश भी करती है कि अपहरण के शिकार लोगों का पता लगाने के लिए सतत अभियान शुरू किए जाने चाहिए. समिति चाहती है कि मंत्रालय इस तरह के पीड़ितों को बरामद करने के लिए की गई कार्रवाई के संबंध में एक विस्तृत स्थिति नोट पेश करे.’

अरुणाचल प्रदेश के संबंध में समिति ने कहा कि समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र में जहां उग्रवाद संबंधी और आम लोगों के हताहत होने की घटनाओं में कमी आ रही है, वहीं अरुणाचल में इस तरह की घटनाओं में वृद्धि हो रही है.

समिति ने कहा कि 2012 में समूचे क्षेत्र में हुई घटनाओं में से अरुणाचल प्रदेश में केवल पांच प्रतिशत घटनाएं हुईं, वहीं 2017 में समूचे क्षेत्र में हुईं घटनाओं में से अरुणाचल प्रदेश में आंकड़ा लगभग 20 प्रतिशत तक पहुंच गया.

समिति ने कहा कि यह इस तथ्य का संकेत है कि समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र के मुकाबले अरुणाचल प्रदेश में सुरक्षा स्थिति ख़राब हुई है.

मणिपुर: मुख्यमंत्री ने कहा, नगा क़रार में सीमाई अखंडता से समझौता होने पर देना पड़ेगा इस्तीफा

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो: पीटीआई)
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बीते 16 जुलाई को कहा कि यदि केंद्र एवं विद्रोही समूह एनएससीएन-आईएम के बीच होने वाले शांति क़रार में मणिपुर की सीमाई अखंडता के साथ समझौता किया गया तो उन्हें अपने भाजपा मंत्रियों एवं विधायकों के साथ इस्तीफा देना होगा.

मणिपुर की चिंताओं को उजागर करने के लिए विधायकों के शिष्टमंडल के साथ गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुके बीरेन सिंह ने कहा कि केंद्र को समझौते को अंतिम रूप देने से पहले उसकी रूपरेखा से राज्य सरकार एवं विधानसभा को अवगत कराना चाहिए.

भाजपा के मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने नगा शांति समझौते को लेकर अपनी आशंकाओं से गृह मंत्री को अवगत करा दिया है.

बीरेन सिंह का यह बयान ऐसी ख़बरों के बीच में आया है कि केंद्र सरकार एनएससीएन-आईएम के साथ अंतिम समझौता करने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुकी है ताकि दशकों पुरानी नगा विद्रोह की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके.

अरुणाचल प्रदेश: पूर्व विधायक की मौत का मामला सीबीआई को सौंपा गया

ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश सरकार ने आठ महीने पहले पूर्व विधायक नगुरांग पिंच की मौत के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.

आधिकारिक सूत्रों ने बीते 19 जुलाई को कहा कि इस मामले को सीबीआई को सौंपने के सरकार के फैसले के बारे में प्रदेश के गृह आयुक्त एसी वर्मा द्वारा सीबीआई निदेशक को बीते 18 जुलाई को जानकारी दी गई.

पत्र में इस मामले को गंभीर और संवेदनशील बताया गया और इसमें कहा गया कि इस मामले को अपराध शाखा, विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपने के बावजूद जांच में सात महीने बाद भी कुछ भी ठोस निकलकर नहीं आया.

पत्र में कहा गया कि इसके अलावा, लोगों ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए ज्ञापन दिए.

अरुणाचल प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष रहे पिंच का शव पिछले साल 18 नवंबर को पापुम पारे ज़िले में एक नदी में तैरता मिला था. वह आठ अन्य लोगों के साथ राफ्टिंग के लिए गए थे और पोपुम एवं पोमा नदियों के तट पर ठहरे थे. वह एक दिन पहले लापता हो गए थे और फिर उनका शव नदी में तैरता हुआ मिला था.

पिंच के परिजनों ने आरोप लगाया था कि उनकी मौत सुनियोजित तरीके से की गई हत्या है.

असम: एनजीटी ने काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में हाईवे के विस्तार की याचिका निस्तारित की

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने असम में काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में जखलाबंधा और बोकाखाट से होकर गुजरने वाले एनएच-37 के विस्तारीकरण का विरोध कर रहे वन्यजीव कार्यकर्ता की याचिका का निस्तारण कर दिया. याचिका में कहा गया था कि एनएच-37 के विस्तारीकरण से भारी यातायात पशुओं की जान को खतरे में डाल देगा.

एनजीटी अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि विभिन्न अदालतों में इस मुद्दे पर कई मुकदमे चल रहे हैं. पीठ में न्यायमूर्ति जवाद रहीम और न्यायमूर्ति आरएस राठौड़ भी शामिल हैं.

एनजीटी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे पर निगरानी रख रहा है और गौहाटी उच्च न्यायालय में मामला लंबित है.

असम निवासी रोहित चौधरी ने 2013 में दायर याचिका में दावा किया था कि सड़क को और चौड़ा करने से दुर्घटनाएं होंगी और वन्य प्राणियों की मौत होगी.

सुनवाई के आखिरी दिन असम सरकार ने एनजीटी को बताया था कि विधानसभा ने काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के समीप पशुओं की दुर्घटनावश मौत की जांच करने के लिए सेंसर से संचालित स्वचालित ट्रैफिक बैरियर्स लगाने के लिए 11 करोड़ रुपये आवंटित किए.

मणिपुर: राज्यपाल ने कहा, लोगों को योजनाओं की जानकारी होनी ज़रूरी

इम्फाल: मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने पूर्वात्तर परिषद (एनईसी) की बैठक में दूरदराज़ इलाकों में लोगों के हिंदी या अंग्रेज़ी न समझ पाने की बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि सभी केंद्रीय योजनाओं के स्थानीय भाषाओं में अनुवाद की आवश्यकता है.

राज्यपाल ने राज भवन में बीते 15 जुलाई को कहा, ‘यह आवश्यक है कि लोगों को स्वास्थ्य बीमा और पेंशन से जुड़ी योजनाओं की जानकारी हो.’

हेपतुल्ला ने कहा कि असम को छोड़कर पूर्वोत्तर के सभी सात राज्य एक ही तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं. राज्यपाल ने कहा कि विकास परियोजनाओं के लिए राज्य में पर्याप्त संसाधनों की कमी है.

संवाददाताओं को संबोधित करते हुए हेपतुल्ला ने कहा कि उन्होंने राज्य के मशहूर पर्यटक स्थल लोकटक झील के संरक्षण की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया.

असम: मुख्यमंत्री ने फिल्मोद्योग के लिए अमोल पालेकर से मदद मांगी

अभिनेता अमोल पालेकर. (फोटो साभार: फेसबुक)
अभिनेता अमोल पालेकर. (फोटो साभार: फेसबुक)

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम फिल्मोद्योग के विकास के वास्ते रोडमैप तैयार करने में मशहूर अभिनेता अमोल पालेकर से बीते 15 जुलाई को मदद मांगी.

बॉलीवुड अभिनेता ने मुख्यमंत्री से भेंट की और असम सिनेमा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.

मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है, ‘सोनोवाल ने उनसे (पालेकर से) स्थानीय फिल्म हस्तियों से हाथ मिलाने और इस उद्योग के विकास के लिए एक व्यापक रोडमैप तैयार करने में मदद करने का अनुरोध किया.’

बयान के अनुसार दोनों ने असम के लिए फिल्म नीति पर भी चर्चा की जो असम सिनेमा को आगे ले जाने के लिए दिग्दर्शक का काम करेगा. पालेकर ने असम सिनेमा के विकास के नीतिगत फैसले करने की सोनोवाल की इच्छा और पहल की सराहना की.

नगालैंड की महिला से दिल्ली में बलात्कार, दो गिरफ़्तार

नई दिल्ली: द्वारका के ककरोला इलाके में दो लोगों ने नगालैंड की 19 वर्षीय महिला से कथित तौर पर बलात्कार किया.

पुलिस ने बताया कि पीड़िता एक डेटिंग एप्प पर इनमें से एक आरोपी के संपर्क में आई थी जिसने महिला को अपने घर पर मिलने के लिए बुलाया.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोनों व्यक्तियों ने महिला को बीते 17 जुलाई की रात को रामफल चौक, सेक्टर दो द्वारका के समीप एक सड़क पर कार में बिठाया. महिला के साथ उसकी एक दोस्त भी थी. वे उसे ककरोला हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में एक फ्लैट में लेकर गए जहां उससे बलात्कार किया.

उन्होंने बताया कि महिला ने 18 जुलाई की सुबह इस घटना के बारे में पुलिस को सूचना दी. पुलिस को दिए अपने बयान में पीड़िता ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने फ्लैट में उसके साथ बलात्कार किया.

धरती के इतिहास में जुड़ा मेघालयी युग का अध्याय

लंदन: वैज्ञानिकों ने ‘मेघालयी युग’ के नाम से एक नए भूवैज्ञानिक काल को परिभाषित किया है जो आज से 4,200 साल पहले शुरू हुई और इस दौरान विश्व भर में अचानक भयंकर सूखा पड़ा था तथा तापमान में गिरावट दर्ज हुई थी.

शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने मेघालय की मावम्लूह नाम की एक गुफा की छत से टपक कर फर्श पर जमा हुए चूने के ढेर या स्टैलैगमाइट को जमा किया. इसने धरती के इतिहास में घटी सबसे छोटी जलवायु घटना को परिभाषित करने में मदद की.

अंतिम हिम युग की समाप्ति के बाद कई क्षेत्रों में विकसित हुए कृषि आधारित समाज पर इस 200 साल की मौसमी घटना ने गंभीर प्रभाव डाला था. इसके परिणामस्वरूप सभ्यताएं गिर गईं और मिस्र, यूनान, सीरिया, फलस्तीन, मेसोपोटामिया, सिंघु घाटी और यांग्त्से नदी घाटी में मनुष्यों का प्रवासन हुआ.

तकरीबन 4,200 साल पहले की इस घटना के सुराग सभी सातों महाद्वीपों पर मिले हैं.

कई साल के शोध के बाद मेघालयी युग के तीन चरणों- लेट होलोसीन मेघालयन एज , मिडल होलोसीन नॉर्थग्रिपियन एज और अर्ली होलोसीन ग्रीनलैंडियन एज को भूवैज्ञानिक समय-मान की सबसे हालिया इकाई के तौर पर प्रमाणित किया गया है.

असम: बराक घाटी कोयला घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बराक घाटी कोयला घोटाला मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का फैसला किया है.

मुख्यमंत्री के कार्यालय की ओर से जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है, ‘असम सरकार ने बराक घाटी घोटाला मामले की जांच को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है.’

सोनोवाल ने बीते 15 जुलाई को मुख्य सचिव और गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कोयला घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया. विज्ञप्ति में बताया गया है कि विस्तृत और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए यह क़दम उठाया जा रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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