वाराणसी पुल हादसा: हादसे के 74 दिन बाद सात इंजीनियर और एक ठेकेदार गिरफ़्तार

इस साल 15 मई को वाराणसी में राज्य सेतु निगम द्वारा बनाए जा रहे चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर का एक हिस्सा अचानक गिर जाने से 18 व्यक्तियों की मौत हो गई थी.

Varanasi: People gather near cars crushed after a portion of an under-construction flyover collapsed, leaving at least 12 feared dead, in Varanasi on Tuesday. (PTI Photo)(PTI5_15_2018_000159B)
Varanasi: People gather near cars crushed after a portion of an under-construction flyover collapsed, leaving at least 12 feared dead, in Varanasi on Tuesday. (PTI Photo)(PTI5_15_2018_000159B)

इस साल 15 मई को वाराणसी में राज्य सेतु निगम द्वारा बनाए जा रहे चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर का एक हिस्सा अचानक गिर जाने से 18 व्यक्तियों की मौत हो गई थी.

Varanasi: People gather near cars crushed after a portion of an under-construction flyover collapsed, leaving at least 12 feared dead, in Varanasi on Tuesday. (PTI Photo)(PTI5_15_2018_000159B)
वाराणसी में बीते 15 मई को एक निर्माणधीन पुल का एक हिस्सा गिर जाने की वजह से कम से कम 18 लोगों की जान चली गई थी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पिछली 15 मई को एक निर्माणाधीन पुल का हिस्सा ढहने के कारण कई लोगों के मारे जाने के तकरीबन 74 दिन बाद सात इंजीनियर और एक ठेकेदार समेत आठ लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने बीते शनिवार को बताया कि उत्तराखंड के रूड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिटयूट के वैज्ञानिकों की सहायता से एकत्र किए गए तकनीकी सुबूतों के आधार पर यह कार्रवाई की गई है.

उन्होंने कहा, ‘जांच में यह पाया गया कि गत 15 मई को ढहे इस पुल के निर्माण में कई खामियां थीं, जिसके बाद जांच अधिकारी ने आरोपी इंजीनियरों से पूछताछ की और बाद में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया.’

सिंह ने बताया कि गिरफ़्तार इंजीनियरों में तत्कालीन मुख्य परियोजना प्रबंधक हरिश्चंद्र तिवारी, पूर्व मुख्य परियोजना प्रबंधक गेंदा लाल, परियोजना प्रबंधक- कुलजश राय सूदन, सहायक अभियंता राजेंद्र सिंह, सहायक अभियंता (यांत्रिक/सुरक्षा) राम तपस्या सिंह यादव, अवर अभियन्ता (सिविल)- लालचंद सिंह, अवर अभियंता (सिविल)- राजेश पाल सिंह और ठेकेदार साहेब हुसैन शामिल हैं. इन सभी को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है.

मालूम हो कि 15 मई, 2018 की शाम को वाराणसी में कैंट रेलवे स्टेशन के पासराज्य सेतु निगम द्वारा बनाए जा रहे चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर पिलर संख्या 79 और 80 के बीच का हिस्सा अचानक गिर जाने से उसके नीचे दबकर कम से कम 18 व्यक्तियों की मौत हो गई थी तथा 11 अन्य घायल हो गए थे.

उत्तर प्रदेश पुल निर्माण निगम इस 2261 मीटर लंबे फ्लाईओवर का निर्माण 129 करोड़ की लागत से कर रहा था. फ्लाईओवर का जो हिस्सा गिरा है, उसे तीन महीने पहले ही बनाया गया था.

वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस घटना के सम्बन्ध में 16 मई को रोडवेज चौकी प्रभारी की लिखित सूचना पर उत्तर प्रदेश सेतु निगम की इस परियोजना से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मचारियों तथा ठेकेदारों के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया था. जिला पुलिस की अपराध शाखा इस मामले की जांच कर रही थी.

जांच में यह पता चला कि यह सेतु निगम के अधिकारियों एवं ठेकेदारों द्वारा उक्त कार्य के दौरान स्पष्ट रूप से इंजीनीयरिंग मानकों की अनदेखी एवं उनका कड़ाई से अनुपालन ना किया जाना, सुरक्षा मानकों को पूरा ना किया जाना, संभावित नुकसान का आकलन ना करना एवं अन्य तकनीकी खामियां प्रकाश में आई.

तफ्तीश में यह भी पता चला कि सेतु निगम के ज़िम्मेदार अधिकारियों ने इन सभी बिंदुओं के बारे में समय-समय पर निरीक्षण नहीं कराया गया. जो भी निरीक्षण किए गए, उनमें निर्देशों का पालन सुनिश्चित नहीं कराया गया. अगर इंजीनियरिंग एवं सुरक्षा के मानकों का पालन किया गया होता तो कभी ऐसी गंभीर घटना नहीं होती.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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