बिहार बालिका गृह: आरोपी ब्रजेश ठाकुर के हैं तीन अख़बार, फ़र्ज़ीवाड़े से पाए लाखों के विज्ञापन

ब्रजेश के स्वामित्व वाले एक हिंदी दैनिक की 300 से अधिक प्रतियां प्रकाशित नहीं होती हैं लेकिन प्रतिदिन 60,862 प्रतियां छपीं दिखाकर बिहार सरकार से प्रति वर्ष करीब 30 लाख रुपये के विज्ञापन मिलते थे. आरोपी राज्य जनसंपर्क विभाग से मान्यता प्राप्त पत्रकार था.

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित बालिका गृह में बच्चों से बलात्कार मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर. (फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

ब्रजेश के स्वामित्व वाले एक हिंदी दैनिक की 300 से अधिक प्रतियां प्रकाशित नहीं होती हैं लेकिन प्रतिदिन 60,862 प्रतियां छपीं दिखाकर बिहार सरकार से प्रति वर्ष करीब 30 लाख रुपये के विज्ञापन मिलते थे. आरोपी राज्य जनसंपर्क विभाग से मान्यता प्राप्त पत्रकार था.

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित बालिका गृह में बच्चों से बलात्कार मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर. (फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित बालिका गृह में बच्चों से बलात्कार मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर. (फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

मुज़फ़्फ़रपुर: बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित एक बालिका गृह यौन शोषण मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में प्रकाशित होने वाले तीन अखबारों का मालिक भी है. उस पर इन अखबारों की कुछ प्रतियां छपवाकर उस पर बड़ा- बड़ा सरकारी विज्ञापन पाने में कामयाब होने के आरोप हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ब्रजेश तीन अखबारों मुजफ्फरपुर से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र प्रात: कमल, पटना से प्रकाशित एक अंग्रेजी अखबार न्यूज नेक्स्ट और समस्तीपुर जिला से उर्दू में प्रकाशित एक अखबार हालात-ए-बिहार से प्रत्यक्ष या परोक्ष से जुडा हुआ है.

ब्रजेश को प्रात: कमल के विशेष संवाददाता के रूप में भी सूचीबद्ध किया गया है, उसके पुत्र राहुल आनंद न्यूज नेक्स्ट के संवाददाता और हालात-ए-बिहार के संवाददाता के रूप में एक शाईस्ता परवीन तथा संपादक के रूप में रामशंकर सिंह का नाम दर्शाया गया है.

ब्रजेश को पीआईबी और राज्य सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (आईपीआरडी) दोनों से मान्यता प्राप्त पत्रकार का दर्जा प्राप्त था, जो कि बालिका गृह में उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद उनकी मान्यता दोनों जगहों से रद्द कर दी गई.

आईपीआरडी सूत्रों ने बताया कि उत्तर बिहार से जुड़ी परियोजनाओं का सरकारी विज्ञापन प्रात: कमल अखबार का प्रकाशन शुरू होने के समय से प्रकाशित हो रहा है.

मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि ब्रजेश के स्वामित्व वाले हिंदी दैनिक की 300 से अधिक प्रतियां प्रकाशित नहीं होती हैं लेकिन प्रतिदिन इसके 60,862 प्रतियां बिक्री दिखाया गया था जिसके आधार पर उसे बिहार सरकार से प्रति वर्ष करीब 30 लाख रुपये के विज्ञापन मिलते थे.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि ठाकुर के पास इतनी प्रतियां छापने के लिए न तो पर्याप्त स्टाफ था और न ही अच्छी प्रिंटिंग मशीन.

राज्य पुलिस, जिसने मामला सीबीआई को सौंप दिया है, ने अपनी जांच रिपोर्ट में में कहा , ‘ठाकुर के अखबार की मुश्किल से 300 कॉपी छपती थीं.’

हालांकि, राज्य सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अखबार की प्रसार संख्या 60,862 प्रति प्रतिदिन थी.

पुलिस के अनुसार, जब ठाकुर से उसके इस दावे के संबंध में सवाल किए गए कि तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका.

न्यूज नेक्स्ट अखबार के ऑफिस का निरीक्षण में केवल एक कम्प्यूटर ऑपरेटर और अखबार की संपादक और ठाकुर की बेटी अंकिता आनंद पाई गईं. वहीं, तीनों अखबारों का प्रकाशन एक ही भवन से होता है, जिस पर बालिका गृह भी था.

मुजफ्फरपुर के एक अखबार वितरक ने बताया, ‘मैं कई सालों से उत्तर बिहार के अन्य भागों में और मुजफ्फरपुर में हिंदी और अंग्रेजी अखबार बेच रहा हूं. मुझे आज तक ऐसा कोई ग्राहक नहीं मिला जिसने प्रात: कमल की मांग की हो.’

एक सूत्र ने बताया, ‘ठाकुर का स्टाफ सभी सरकारी कार्यालयों में प्रात: कमल की प्रतियां भेजता था और इन कार्यालयों में कुछ लोग इसे पढ़ते थे.’

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘ब्रजेश ठाकुर 25 सालों से अधिक समय से हमसे मान्यता प्राप्त पत्रकार है. वे तीन बार से प्रेस मान्यता समिति (पीएबी) के सदस्य भी हैं, जिसका एक टर्म दो साल का होता है.’

जब पूछा गया कि वह एक ऐसी महत्वपूर्ण समिति का सदस्य कैसे बन सकता है तो अधिकारी ने बताया, ‘समिति के सदस्य विभाग के मंत्री द्वारा तय किए जाते हैं. वह वर्तमान समिति में नहीं है जिसका चयन मुख्यमंत्री ने किया था.’

एक अधिकारी ने बताया कि प्रात: कमल को अप्रैल में प्रकाशित विज्ञापनों के लिए 1.97 लाख रुपये चुकाए गए थे.

विभाग के उप निदेशक रवि भूषण सहाय ने कहा, ‘हम ब्रजेश ठाकुर की मान्यता रद्द कर चुके हैं. ‘विज्ञापन आंकड़ों के लिए हम कुल विज्ञापन राशि आंकड़ों का रिकॉर्ड नहीं रखते हैं.’

गौरतलब है कि बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित एक एनजीओ द्वारा संचालित बालिका गृह में रहने वाली बच्चियों से बलात्कार मामले में ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी हैं.

बालिका गृह में रह रहीं 42 लड़कियों में से 34 के साथ बलात्कार होने की पुष्टि हो चुकी है.

बलात्कार की शिकार हुई लड़कियों में से कुछ 7 से 13 साल के बीच की हैं.

वहीं, पिछले दिनों उनके गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित एक अन्य स्वयं सहायता समूह के परिसर से 11 महिलाओं के लापता होने के बाद ठाकुर के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई है.

मुज़फ़्फ़रपुर के बालिका गृह में रहने वाली लड़कियों का मानसिक, शारीरिक और यौन उत्पीड़न करने के मामले में ठाकुर न्यायिक हिरासत में है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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