पत्थर फेंकने वाले भूखे रहकर भी अपने वतन के लिए पत्थर फेंकते रहेंगे: फारूक़ अब्दुल्ला

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि अगर भारत-पाकिस्तान मिलकर कश्मीर समस्या का हल नहीं निकाल सकते तो अमेरिका को इसमें दखल देना चाहिए.

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नेशनल कॉन्फेंस अध्यक्ष फ़ारूक अब्दुल्ला. फोटो: पीटीआई

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि अगर भारत-पाकिस्तान मिलकर कश्मीर समस्या का हल नहीं निकाल सकते तो अमेरिका को इसमें दखल देना चाहिए.

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फोटो : पीटीआई

कश्मीर में सेना पर पत्थर फेंकने वालों की पैरवी करते हुए नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक़ अब्दुल्ला ने बयान दिया है, जिस पर विवाद शुरू हो गया है. 5 अप्रैल को लोकसभा उपचुनाव में प्रचार के लिए उतरे अब्दुल्ला ने कहा, ‘मैं मोदी साहब से कहना चाहता हूं कि इसमें कोई शक़ नहीं है कि टूरिज्म हमारी ज़िंदगी है पर किसी पत्थर फेंकने वाले का टूरिज्म से कोई लेना-देना नहीं है. वे (पत्थरबाज़) भूखों मरने का जोखिम उठा सकते हैं लेकिन अपने वतन के लिए पत्थर फेंकते रहेंगे. हमें यह समझना होगा.’

ज्ञात हो कि उनका ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2 अप्रैल को दिए गए एक बयान की प्रतिक्रियास्वरुप आया है. जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनी सबसे बड़ी सुरंग का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि घाटी के युवाओं के पास ‘टेररिज्म’ और ‘टूरिज्म’- विकल्प हैं. ये फैसला उन्हें करना होगा कि वे किसके साथ हैं.

प्रधानमंत्री ने पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों के बारे में भी बयान देते हुए कहा था कि हम सीमापार के कश्मीरी नागरिकों को भी प्रगति करके दिखाना चाहते हैं. उन्हें दिखाना चाहते हैं कि देखिए प्रगति कैसे होती है. जो आप पर कब्ज़ा किए बैठा है उसने आपके लिए क्या किया. जो सीमापार बैठे हैं वो ख़ुद को नहीं संभाल पा रहे हैं. इस बयान पर भी अब्दुल्ला ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान कश्मीर समस्या का समाधान नहीं निकाल पा रहे हैं तो अमेरिका को तीसरे पक्ष के रूप में आगे आकर इसका हल ढूंढने में मदद करनी चाहिए. उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प से मदद की अपील भी की है.

अब्दुल्ला इस उपचुनाव में श्रीनगर लोकसभा सीट से कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन के उम्मीदवार हैं. इससे पहले अब्दुल्ला ने भाजपा-पीडीपी गठबंधन को राज्य को अनिश्चितता की स्थिति में लाने का ज़िम्मेदार बताया था.

अब्दुल्ला के इस बयान की निंदा शुरू हो गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘मैं उनकी बात से सहमत नहीं हूं. फारूक़ साहब को चुनाव लड़ना है इसलिए वे इस तरह की बातें कर रहे हैं, जब उनके बेटे सीएम की कुर्सी पर थे तब भी 100 से ज्यादा लड़कों की मौत हुई थी, तब तो उन्होंने कुछ नहीं कहा था.’ औवेसी ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान का मसला दो देशों का मुद्दा है, इसमें किसी तीसरे की ज़रुरत नहीं है.

वहीं केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि चुनाव पास आने से फारूक़ साहब परेशान हो गए हैं. पर ये उम्मीद नहीं थी कि वे अलगाववादियों की भाषा बोलने लगेंगे. लद्दाख के सांसद टी छेवांग ने कहा, ‘मैं अब्दुल्ला के बयान की निंदा करता हूं. पत्थर फेंकने वाले निर्दोष नहीं हैं. पत्थर फेंकने वालों का सुरक्षा बलों के काम में रुकावट डालना युद्ध छेड़ने के समान है.’