नोटबंदी में बंद किए गए नोटों में से 99.3 प्रतिशत बैंकों के पास वापस लौटे: रिजर्व बैंक

नोटबंदी के समय 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं.

Demonetisation Notenbandi Reuters
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नोटबंदी के समय 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं.

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फोटो: रॉयटर्स

नई दिल्ली: नवंबर, 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बंद किए गए 500 और 1,000 रुपये के नोटों का 99.3 प्रतिशत बैंको के पास वापस आ गया है. रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

नोटबंदी के समय मूल्य के हिसाब से 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि निर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) की गिनती का जटिल कार्य सफलतापूर्वक पूरा हो गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों के पास आए एसबीएन को जटिल द्रुत गति (कंप्लेक्स स्पीड) की करेंसी सत्यापन एवं प्रसंस्करण प्रणाली (सीवीपीएस) के जरिए सत्यापित किया गया और उसके बाद उनकी गिनती करने के बाद उन्हें नष्ट कर दिया गया.

एसबीएन से तात्पर्य 500 और 1,000 के बंद नोटों से है.

रिजर्व बैंक ने कहा कि एसबीएन की गिनती का काम पूरा हो गया है. कुल 15,310.73 अरब मूल्य के एसबीएन बैंकों के पास वापस आए हैं.

उल्लेखनीय है कि सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. इसके स्थान पर 500 और 2,000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे.

सरकार ने 500 रुपये के बंद नोट के स्थान पर नया नोट तो जारी किया है लेकिन 1,000 रुपये के नोट के स्थान पर नया नोट जारी नहीं किया गया है. इसके स्थान पर 2,000 रुपये का नया नोट जारी किया गया है.

नोटबंदी के बाद 2016-17 में रिजर्व बैंक ने 500 और 2,000 रुपये के नए नोट और अन्य मूल्य के नोटों की छपाई पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए, जो इससे पिछले साल खर्च की गई 3,421 करोड़ रुपये की राशि के दोगुने से भी अधिक है.

2017-18 (जुलाई 2017 से जून 2018) के दौरान केंद्रीय बैंक ने नोटों की छपाई पर 4,912 करोड़ रुपये और खर्च किए.

नोटबंदी को कालेधन, भ्रष्टाचार पर अंकुश और जाली नोटों पर लगाम लगाने के कदम के रूप में देखा जा रहा था. लेकिन रिजर्व बैंक का कहना है कि एसबीएन में 500 और 1,000 के पकड़े गए जाली नोटों की संख्या क्रमश: 59.7 और 59.6 प्रतिशत कम हुई है.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि पिछले साल की तुलना में 100 रुपये के जाली नोट 35 प्रतिशत अधिक पकड़े गए जबकि 50 रुपये के जाली नोटों की संख्या में 154.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. रिजर्व बैंक ने कहा कि 2017-18 में नए 500 रुपये के नोट की 9,892 जाली इकाइयां पकड़ी गईं, जबकि 2,000 रुपये के नोट की 17,929 जाली इकाइयां पकड़ी गईं.

इससे पिछले साल यह आंकड़ा क्रमश: 199 और 638 था.

नोटबंदी के फैसले को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आलोचनाओं के घेरे में है. हाल ही में भाजपा सांसदों ने नोटबंदी की आलोचना करने वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट रोक दी.

कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी में कम-से-कम एक प्रतिशत की कमी आई और असंगठित क्षेत्र में बेरोज़गारी बढ़ी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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