डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 71 के न्यूनतम स्तर पर

रुपये के भाव में लगातार गिरावट से निर्यातक वैश्विक बाजारों में अपने माल का सही मोल-भाव नहीं कर पा रहे हैं जिससे उन्हें अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

रुपये के भाव में लगातार गिरावट से निर्यातक वैश्विक बाजारों में अपने माल का सही मोल-भाव नहीं कर पा रहे हैं जिससे उन्हें अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.

FILE PHOTO: A cashier displays the new 2000 Indian rupee banknotes inside a bank in Jammu, November 15, 2016. REUTERS/Mukesh Gupta/File photo - RTX33SVL
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: कच्चे तेल की बढ़ती कीमत के बीच डॉलर की मांग बढ़ने से रुपया शुक्रवार को शुरूआती कारोबार में 26 पैसे की गिरावट के साथ 71 रुपये के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया.

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया स्थानीय मुद्रा 70.95 रुपये पर खुला और बाद में 71 रुपये के स्तर पर चला गया.

बता दें कि रुपया गुरुवार को 70.74 पर बंद हुआ था.

मुद्रा कारोबारियों के अनुसार माह के अंत में तेल आयातकों की तरफ से अमेरिकी करेंसी की मजबूत मांग, चीन-अमेरिका के बीच व्यापार तनाव के साथ ब्याज़ दर बढ़ने की उम्मीद में विश्व की अन्य प्रमुख मुद्रा की तुलना में डॉलर के मजबूत होने से घरेलू मुद्रा पर असर पड़ा.

कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका और घरेलू शेयर बाजार विदेशी संस्थागत निवेशकों की कोष की निकासी से भी रुपये पर असर पड़ा है.

एशियाई कारोबार की शुरूआत में मानक ब्रेंट क्रूड का भाव 78 डॉलर बैरल पर पहुंच गया.

वहीं रुपये के भाव में लगातार गिरावट से निर्यातक वैश्विक बाजारों में अपने माल का सही मोल-भाव नहीं कर पा रहे हैं जिससे उन्हें अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन्स (एफआईईओ) ने ये बातें कही हैं.

संगठन के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि रुपये में गिरावट के कारण वैश्विक खरीदार सौदों की समीक्षा करने को कह रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘निर्यातक अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं. वे खुद का बचाव करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि उन्हें यह नहीं मालूम है कि रुपया अगले दिन कितना गिरने या चढ़ने वाला है.’

गुप्ता ने कहा कि रुपये में गिरावट से महज 20 प्रतिशत निर्यातकों को फायदा होता है जो हेजिंग या भविष्य की विनियम दर के अनुबंधों में शामिल नहीं होते हैं जबकि 80 प्रतिशत निर्यातकों को इससे कोई फायदा नहीं है.

उन्होंने आने वाले दिनों में घरेलू मुद्रा के 67-68 रुपये प्रति डॉलर के आस-पास स्थिर होने की उम्मीद जाहिर की.

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