राजीव हत्याकांड: तमिलनाडु मंत्रिमंडल का सभी दोषियों को रिहा करने की सिफ़ारिश करने का निर्णय

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के संबंध में मुरुगन, संथम, एजी पेरारिवलन, जयकुमार, रॉबर्ट पायस, पी. रविचंद्रन और नलिनी पिछले 25 साल से जेल में बंद हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (फोटो साभार: inc.in)

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के संबंध में मुरुगन, संथम, एजी पेरारिवलन, जयकुमार, रॉबर्ट पायस, पी. रविचंद्रन और नलिनी पिछले 25 साल से जेल में बंद हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (फोटो साभार: inc.in)
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (फोटो साभार: inc.in)

चेन्नई: तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक सरकार ने राजीव गांधी हत्याकांड में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे सभी सात दोषियों को रिहा करने की सिफ़ारिश प्रदेश के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से करने का निर्णय किया है.

मत्स्य पालन मंत्री डी. जयकुमार ने पत्रकारों को बताया कि मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में एक प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया.

सातों दोषियों मुरुगन, संथन, पेरारिवलन, जयकुमार, रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और नलिनी को रिहा करने के लिए राज्यपाल पुरोहित को सिफ़ारिश करने का निर्णय लिया गया है.

उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के राज्यपाल से इस मामले के एक अन्य दोषी पेरारीवलन की दया याचिका पर संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत विचार करने को कहा था और केंद्र की उस याचिका का निपटारा कर दिया था जिसमें दोषियों को रिहा करने के लिए तमिलनाडु सरकार के इससे पहले के प्रस्ताव का विरोध किया गया था.

न्यायालय के इस निर्णय के कुछ दिनों बाद तमिलनाडु सरकार ने यह कदम उठाया है. मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल के इस प्रस्ताव को राज्यपाल के पास तत्काल भेजा जाएगा.

राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनाव सभा के दौरान एक आत्मघाती महिला ने विस्फोट कर हत्या कर दी थी. बाद में इस महिला की पहचान धनु के रूप में हुयी. इस विस्फोट में धनु सहित 14 अन्य लोग भी मारे गये थे.

यह संभवत: पहला मामला था कि जिसमें विश्व के एक प्रमुख नेता की आत्मघाती विस्फोट से हत्या की गयी थी.

इस हत्याकांड के सिलसिले में वी. श्रीहरण उर्फ मुरुगन, टी. सतेंद्रराजा उर्फ संथन, एजी पेरारिवलन उर्फ अरिवु, जयकुमार, रॉबर्ट पायस, पी. रविचंद्रन और नलिनी 25 साल से जेल में बंद हैं.

शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी, 2014 को तीन दोषियों- मुरुगन, संथम और पेरारिवलन- की मौत की सज़ा उम्रक़ैद में तब्दील कर दी थी क्योंकि उनकी दया याचिकाओं पर फैसला लेने में अत्यधिक विलंब हुआ था.

गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों की सज़ा माफ़ करके उनकी रिहाई करने के निर्णय पर केंद्र सरकार की भी सहमति चाहती है.

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. बीते 10 अगस्त को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था, ‘वह राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती है क्योंकि इन मुजरिमों की सज़ा की माफ़ी से ख़तरनाक परंपरा की नींव पड़ेगी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)