राजद्रोह के आरोपियों का केस लड़ने पर दो वकीलों के चैंबर में तोड़फोड़, एक की पिटाई

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में 15 अगस्त को बच्चों को राष्ट्रीय गान गाने से रोकने के मामले में गिरफ्तार तीन आरापियों के जमानत के लिए पैरवी करने वाले वकीलों के चैंबर मेें अधिवक्ताओं के एक समूह ने ही तोड़फोड़ की है.

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में 15 अगस्त को बच्चों को राष्ट्रीय गान गाने से रोकने के मामले में गिरफ्तार तीन आरापियों के जमानत के लिए पैरवी करने वाले वकीलों के चैंबर मेें अधिवक्ताओं के एक समूह ने ही तोड़फोड़ की है.

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अधिवक्ताओं के चैंबर में की गई तोड़फोड़ (फोटो साभार: gorakhpurnewsline.com)

गोरखपुर/ महराजगंज: महराजगंज के एक मदरसे में 15 अगस्त को बच्चों को राष्ट्रीय गान गाने से रोकने के मामले में गिरफ्तार तीन आरापियों के जमानत के लिए पैरवी करने के आरोप में जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं के एक समूह ने दो अधिवक्ताओं- मनोज कुमार सिंह और मैनुद्दीन अंसारी के चैंबर (तख्ते) पर तोड़फोड़ की और मैनुद्दीन अंसारी को पीटा दिया.

सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन महराजगंज ने जमानत की पैरवी करने वाले दोनों अधिवक्ताओं की बार एसोसिएशन से सदस्यता रद्द करने मांग करते हुए यूपी बार काउंसिल को पत्र भेजा है. अधिवक्ता मनोज सिंह ने इस घटना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात कही है. उन्होंने इस घटना को ‘माॅब लिचिंग’ करार दिया.

गौरतलब है कि स्वतंत्रता दिवस के दिन महराजगंज जिले के कोल्हुई क्षेत्र के बड़गो मंगलडीह में मदरसा अरबिया अहले सुन्नत अनवारे तैयबा गर्ल्स कॉलेज में राष्ट्रगान को लेकर कथित तौर पर जुनैद अंसारी नाम के व्यक्ति ने आपत्ति की. इस घटना के संबंध में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें उक्त व्यक्ति झंडारोहण के बाद बच्चों को राष्ट्रगान गाने से मना कर रहा है. इस बात को लेकर उसकी मदरसे के एक अन्य शिक्षक से बहस हो रही है जबकि मदरसे के दो अन्य शिक्षक इस विवाद के दौरान चुप दिख रहे हैं.

इस वीडियो के वायरल होने पर कोल्हुई पुलिस ने मो. जुनैद अंसारी, मो. निजाम तथा अजलूर रहमान के खिलाफ केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया था.

पुलिस ने तीनों पर आरोप लगाया कि ‘इन लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज को सलामी नहीं दी, बच्चों को राष्ट्रगान गाने से रोका और इस घटना का वीडियो बनाकर वायरल किया जिससे स्कूल के बच्चों व गांव में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया. ’

सरकार ने इस मामले में और सख्ती दिखाते हुए इस मदरसे की मान्यता भी रद्द कर दी थी.

इस घटना के कुछ दिन बाद ही सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन महराजगंज ने एक बैठक कर यह फैसला लिया था कि इस घटना के तीनों आरोपियों का केस कोई अधिवक्ता नहीं लेगा.

तीनों अभियुक्तों की जमानत के लिए अधिवक्ता मैनुद्दीन अंसारी ने सीजेएम कोर्ट में पैरवी की. इस कोर्ट से जमानत खारिज हो गई. अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने 12 सितंबर को जुनैद अंसारी के जमानत के लिए सेशन कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी.

इसकी जानकारी होने पर अधिवक्ताओं का एक समूह दोनों अधिवक्ताओं पर बार एसोसिएशन के निर्णय को न मानने और देशद्रोह के आरोपियों का मुकदमा लड़ने का आरोप लगाते हुए 13 सितंबर की सुबह 11 बजे नारेबाजी करता उनके तख्ते की तरफ बढ़ा. उस वक्त अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह मौजूद नहीं थे.

अधिवक्ताओं के समूह ने मैनुद्दीन अंसारी की जम कर पिटाई कर दी और उनके तख्ते को तहस-नहस कर दिया. मनोज कुमार सिंह के तख्ते को भी तोड़ दिया गया और उसका टिन शेड गिरा दिया गया. अधिवक्ताओं के उग्र तेवर को देखते हुए किसी का भी इस मामले में हस्तक्षेप करने का साहस नहीं हुआ. मौके पर पुलिस मौजूद थी लेकिन वह भी दूर से चुपचाप घटना को देखते रही. कुछ लोगों ने मोबाइल फोन से घटना की तस्वीर व वीडियो बनानी चाही तो उन्हें भी धमकी दी गई.

इस घटना के बाद सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन महराजगंज ने दोनों वकीलों की सदस्यता समाप्त करने के लिए यूपी बार काउंसिल को प्रस्ताव भेजने की बात कही है.

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश पटेल ने कहा कि घटना के समय ही एसोसिएशन ने आरोपियों की पैरवी न करने का फैसला लिया था लेकिन इसके बावजूद दोनों अधिवक्तओं ने उनकी पैरवी की. इसके अधिवक्ता आक्रोशित हो गए.

घटना के संबंध में अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने बताया कि जिस समय उनके तख्ते पर तोड़फोड़ की गई, वह कोर्ट रूम में थे. उन्होंने कहा कि बार एसोसिएशन द्वारा इन अभियुक्तों का केस न लड़े जाने के निर्णय की उन्हें जानकारी नहीं थी. जब उन्हें इस निर्णय की जानकारी हुई तो वह अभियुक्त के केस से हट गए. इसके बावजूद उनके तख्ते पर तोड़फोड होना माॅब लिचिंग जैसा है. घटना के पहले उनसे इस बारे में कोई बातचीत नहीं की गई. किसी अधिवक्ता को लीगल एड देने से रोकना अवैधानिक है. बार एसोसिएशन का प्रस्ताव भी अवैधानिक है. वह इस घटना के बारे में एफआईआर दर्ज कराएंगे जिसमें कुछ लोगों को नामजद भी करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि हमला करने वालों में अधिवक्ताओं के अलावा कुछ बाहरी लोग भी थे.

अधिवक्ता मैनुद्दीन अंसारी से संपर्क न होने से उनका पक्ष नहीं जाना जा सका. उनका पक्ष जानने के बाद खबर को अपडेट किया जाएगा.

(यह खबर मूलरूप से gorakhpurnewsline.com पर प्रकाशित हुई है.)