उत्तराखंड सरकार द्वारा खुले में शौच से मुक्ति की घोषणा गलत: कैग

उत्तराखंड सरकार द्वारा 31 मई, 2017 को घोषणा की गई कि उसने राज्य में खुले में शौच से मुक्ति की स्थिति प्राप्त कर ली है.

उत्तराखंड सरकार ने 31 मई, 2017 को घोषणा की थी राज्य ने खुले में शौच से मुक्ति की स्थिति प्राप्त कर ली है.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत. (फोटो: पीटीआई)
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत. (फोटो: पीटीआई)

देहरादून: उत्तराखंड सरकार द्वारा पिछले साल की गई, प्रदेश के खुले में शौच से मुक्त (ओएफडी) होने की घोषणा सही नहीं थी और भौतिक सत्यापन में कुल 1143 व्यक्तिगत शौचालयों में से 41 का निर्माण नहीं हो पाया जबकि 34 शौचालय निर्माणाधीन थे.

यह तथ्य भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की नई रिपोर्ट में उजागर हुआ है.

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि इस योजना में वित्तीय प्रबंधन भी अपर्याप्त था क्योंकि राज्य सरकार द्वारा साल 2016-17 के दौरान 10.58 करोड़ रुपये का अपना हिस्सा जारी नहीं किया गया.

दो अक्टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता के स्तर में सुधार कर ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त कर साल 2019 तक स्वच्छ भारत के संकल्प तक पहुंचना है.

उत्तराखंड सरकार द्वारा 31 मई, 2017 को घोषणा की गई कि उन्होंने राज्य में खुले में शौच से मुक्ति की स्थिति प्राप्त कर ली है.

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में स्वच्छता और स्वच्छता प्रथाओं की स्थिति का आंकलन करने के लिए 2013-14 में आधारभूत सर्वेक्षण किया गया था जिसके आधार पर एक परियोजना कार्यान्वयन योजना जून, 2016 में केंद्र सरकार को भेजी गई.

इसमें यह निर्धारित किया गया था कि मिशन अवधि के दौरान राज्य में 4,89,108 व्यक्तिगत घरेलू शौचालय, 831 सामुदायिक स्वच्छता परिसर और 7,900 ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं का निर्माण किया जायेगा.

उत्तराखंड राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई ने जून 2015 से अगस्त 2015 के मध्य किए गए पुनरीक्षित सर्वेक्षण (रिवाइज़्ड सर्वे) के आधार पर चिन्हित किए गए 1,79,868 परिवारों की सूची पूर्व चिन्हित लाभार्थियों की सूची में शामिल करने के लिए भारत सरकार को लिखा. लेकिन 30 जून, 2015 की समय सीमा समाप्त होने के बाद इन्हें कार्यान्वयन योजना में शामिल नहीं किया जा सका.

इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत राज्यों को प्रत्येक वर्ष अप्रैल में लाभार्थियों के आंकड़ों को अपडेट किया जाना था लेकिन राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई यह करने में भी विफल रही जिसके कारण ये 1,79,868 अतिरिक्त परिवार योजना में शामिल नहीं किए गए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य को केंद्र की ओर से जारी किए गए फंड के 15 दिन के भीतर कार्यक्रम के कार्यान्वयन के अपने 10 प्रतिशत अंश को जारी करना था. यह पाया गया है कि साल 2014-17 के बीच में भारत सरकार ने 306.58 करोड़ रूपए जारी किए, जिसमें से राज्य सरकार को 34.06 करोड़ रुपये जारी करने थे.

इसमें से अप्रैल 2017 तक राज्य सरकार ने केवल 23.48  करोड़ रुपये का ही फंड जारी किया और बाकि के 10.58 करोड़ रुपये जारी नहीं किए गए. चूंकि 1,79,868 परिवारों को परियोजना कार्यान्वयन योजना में शामिल नहीं किया गया, इसलिए 67.39 प्रतिशत घरों को ही कवर किया जा सका है.

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के निर्माण के संबंध में आंकड़ों की विश्वसनीयता भी संदिग्ध थी. जांच में पाया गया कि 22 दिसंबर 2016 को खुले में शौच से मुक्त घोषित किए गए अल्मोड़ा जिले की 241 ग्राम पंचायतों को 5,672 शौचालयों के निर्माण हेतु चार दिन बाद यानि 26 दिसंबर, 2016 से तीन जनवरी, 2017 के बीच दो करोड़ रूपये की धनराशि जारी की गई.

कैग का कहना है कि इससे यह पता चलता है कि जिला अल्मोड़ा घोषणा के समय दिसंबर 2016 में खुले में शौच से मुक्त नहीं हुआ था.

हालांकि, नमामि गंगे के तहत गंगा नदी के किनारे स्थित 132 ग्राम पंचायतों के संबंध में राज्य सरकार ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि खुले में शौच से मुक्त ग्राम पंचायतों की घोषणा बेसलाइन सर्वेक्षण 2012 में निर्धारित लक्ष्यों के आधार पर की गई थी.

कैग की रिपोर्ट पर स्थिति स्पष्ट करते हुए अपर सचिव एवं निदेशक, नमामि गंगे डॉ.राघव लंगर ने बताया कि खुले में शौच से मुक्त ग्राम पंचायतों की घोषणा जिलों द्वारा बेसलाइन सर्वेक्षण 2012 में निर्धारित लक्ष्यों के आधार पर की गई थी. शौचालयों के निर्माण के बाद अगस्त 2015 से दिसम्बर 2016 के मध्य इन ग्राम पंचायतों को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त घोषित किया गया था.

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भी 132 ग्राम पंचायतों में 430 परिवार ऐसे हैं जिनके पास शौचालय की सुविधा नहीं है. ये परिवार या तो बेसलाइन सर्वेक्षण 2012 में छूट गए थे या जनसंख्या वृद्धि एवं परिवार विभक्त होने के कारण बढ़ गए हैं.

डॉ लंगर ने कहा कि इस साल मई में जिलों द्वारा किए गए त्वरित सर्वेक्षण के आधार पर पूरे राज्य में बेसलाइन सर्वेक्षण 2012 के बाद बढ़े हुए एवं इस सर्वेक्षण में छूटे लगभग 83,945 शौचालय विहीन परिवारों को चिन्हित किया गया है.

उन्होंने बताया कि इन परिवारों को योजना का लाभ देने के लिए केंद्र सरकार से अतिरिक्त बजटीय संसाधन से 100.73 करोड़ रूपए की अतिरिक्त धनराशि की मांग की गई है.

परियोजना निदेशक ने बताया कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत चिन्हित राज्य के सात जिलों, चमोली, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, टिहरी और उत्तरकाशी की गंगा नदी के किनारे स्थित 132 ग्राम पंचायतों में आधारभूत सर्वेक्षण 2012 के अनुसार, कुल 29,029 परिवार में से 10,019 परिवार शौचालय विहीन पाए गए थे.

इन शौचालय विहीन परिवारों में से 9,619 परिवारों को विभिन्न योजनाओं के दायरे में लिया गया जबकि शेष 144 परिवार स्वयं के संसाधनों से लाभान्वित हुए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq