व्यापमं घोटाले में कमलनाथ, सिंधिया और दिग्विजय के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने का आदेश

एक परिवाद में आरोप लगाया गया था कि कि तीन कांग्रेस नेताओं ने ह्विसल ब्लोअर प्रशांत पांडे के साथ मिलकर व्यापमं घोटाला मामले में अदालत में झूठे एवं फ़र्ज़ी दस्तावेज़ पेश कर अदालत को गुमराह कर रहे हैं.

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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया. (फोटो: पीटीआई)

एक परिवाद में आरोप लगाया गया था कि कि तीन कांग्रेस नेताओं ने ह्विसल ब्लोअर प्रशांत पांडे के साथ मिलकर व्यापमं घोटाला मामले में अदालत में झूठे एवं फ़र्ज़ी दस्तावेज़ पेश कर अदालत को गुमराह कर रहे हैं.

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया. (फोटो: पीटीआई)
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया. (फोटो: पीटीआई)

भोपाल: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाला मामले में स्थानीय अदालत ने कांग्रेस के तीन दिग्गज नेताओं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित चार लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. चौथा नाम व्यापमं घोटाले के ह्विसल ब्लोअर प्रशांत पांडे का है.

विशेष न्यायालय के न्यायाधीश सुरेश सिंह की अदालत ने व्यापमं घोटाले में इन चारों द्वारा झूठे एवं फ़र्ज़ी दस्तावेज़ पेश करने के मामले में एडवोकेट संतोष शर्मा द्वारा 24 सितंबर को दायर परिवाद पर सुनवाई के बाद यह आदेश बुधवार को दिया है.

इस परिवाद में शर्मा कहा था कि इन तीन कांग्रेस नेताओं ने पांडे के साथ मिलकर व्यापमं घोटाले के मामले में अदालत में झूठे एवं फ़र्ज़ी दस्तावेज़ पेश किए हैं और अदालत को गुमराह कर रहे हैं.

शर्मा ने बताया, ‘न्यायाधीश सुरेश सिंह ने मेरे द्वारा दायर परिवाद पर भोपाल शहर स्थित श्यामला हिल्स थाना पुलिस को इन चारों के ख़िलाफ़ तुरंत एफआईआर दर्ज कर इसकी एक कॉपी अदालत में पेश करने को कहा है.’

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पिछले दिनों न्यायाधीश सुरेश सिंह की ही अदालत में परिवाद दायर कर आरोप लगाया था कि व्यापमं घोटाले की जांच एजेंसियां सीबीआई, एसटीएफ और एसआईटी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री उमा भारती और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को बचा रही है.

22 सितंबर को दिग्विजय सिंह के अदालत में बयान भी हो चुके हैं. इसके बाद ही संतोष शर्मा ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ परिवाद दायर किया था.

2012 में उजागर हुए इस महाघोटाले में जब एक के बाद मामले से जुड़े लोगों की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौतें होने लगीं, तो 15 जुलाई 2015 को इसकी जांच स्पेशल टास्क फोर्स से छीनकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी गई.

https://twitter.com/JM_Scindia/status/1045179305624563713

कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक ट्वीट ने कहा है, ‘हम न डरेंगे, न झुकेंगे- व्यापमं में प्रदेश के हमारे युवाओं के साथ हुए अन्याय और भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस लड़ाई को अंतिम सांस तक लड़ेंगे. भाजपा सरकार की झूठी FIR व्यापमं जैसे घोटाले के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत इरादों को डिगा नहीं सकती.