क़र्ज़ में डूबी एयर इंडिया का केंद्र सरकार पर 1,146 करोड़ रुपये बकाया

आर्थिक संकट से जूझ रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया पर यह बकाया वीवीआईपी चार्टर उड़ानों का है, जिसमें सर्वाधिक 543.18 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय का है.

The Prime Minister, Shri Narendra Modi departs for Tokyo for the Annual Summit with Japan, in New Delhi on November 10, 2016.

आर्थिक संकट से जूझ रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया पर यह बकाया वीवीआईपी चार्टर उड़ानों का है, जिसमें सर्वाधिक 543.18 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय का है.

The Prime Minister, Shri Narendra Modi departs for Tokyo for the Annual Summit with Japan, in New Delhi on November 10, 2016.
फोटो साभार: पीआईबी

नई दिल्ली: आर्थिक संकट से जूझ रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया का सरकार पर कुल 1146.68 करोड़ रुपया बकाया है. यह बकाया अतिविशिष्ट लोगों (वीवीआईपी) के लिए चार्टर उड़ानों का है.

इसमें ज्यादा 543.18 करोड़ रुपये कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय पर है.

सेवानिवृत्त कमांडर लोकेश बत्रा द्वारा सूचना के अधिकार के तहत हासिल की गयी जानकारी में ये तथ्य सामने आए हैं.

आरटीआई आवेदन पर एयर इंडिया से 26 सितंबर को दिए जवाब में एयर इंडिया ने बताया कि वीवीआईपी उड़ानों संबंधी उसका बकाया 1146.68 करोड़ रुपये है.

इसमें कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय पर 543.18 करोड़ रुपये, विदेश मंत्रालय पर 392.33 करोड़ रुपये और रक्षा मंत्रालय पर 211.17 करोड़ रुपये का बकाया है.

एयर इंडिया ने बताया कि उसका सबसे पुराना बकाया बिल करीब 10 साल पुराना है. यह राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति की यात्राओं और बचाव अभियान की उड़ानों से संबंधित है.

इससे पहले इस साल मार्च में जब यह जानकारी मांगी गई थी तब 31 जनवरी तक कंपनी का कुल बकाया 325 करोड़ रुपये था.

वीवीआईपी चार्टड उड़ानों के बकायों में एयर इंडिया द्वारा राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के लिए उपलब्ध कराए गए विमानों का किराया शामिल है.

इन बिलों का भुगतान रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय द्वारा सरकारी खजाने से किया जाना है.

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने 2016 में अपनी रिपोर्ट में भी सरकार पर एयर इंडिया के बकायों का मुद्दा उठाया था.

बत्रा ने बताया कि इनमें से कुछ बिल 2006 से बकाया हैं. कैग की रिपोर्ट में उल्लेख के बावजूद सरकार ने अब तक इनका भुगतान नहीं किया है.

गौरतलब है कि सरकारी विमानन कंपनी करीब 50 हजार करोड़ रुपये के कर्ज तले दबी है. सरकार इसे बेचने का भी प्रयास कर चुकी है, लेकिन असफल रही है.

जून के शुरुआती हफ़्ते में आई ख़बर के अनुसार सरकार को एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के लिए कोई बोली नहीं मिली थी.

सरकार ने राष्ट्रीय विमानन कंपनी में 76 प्रतिशत इक्विटी शेयर पूंजी की बिक्री का प्रस्ताव किया था. आरंभिक सूचना ज्ञापन के अनुसार बताया गया था कि इसके अलावा एयर इंडिया के प्रबंधन का नियंत्रण भी निजी कंपनी को दिया जाएगा.

उस समय बताया गया था कि मार्च, 2017 के अंत तक एयरलाइन पर कुल 48,000 करोड़ रुपये का क़र्ज़ था.

बोली न मिलने के बाद नागर विमानन मंत्रालय की ओर से यह भी कहा गया था कि विनिवेश के लिए शुरुआती बोलियां नहीं मिलने के बाद हिस्सेदारी बिक्री की रणनीति पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)