भीमा-कोरेगांव: नवलखा की नज़रबंदी ख़त्म करने के ख़िलाफ़ शीर्ष अदालत पहुंची महाराष्ट्र सरकार

बीते एक अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा की नज़रबंदी ख़त्म कर दी थी. भीमा-कोरेगांव हिंसा के संबंध में बीते 28 अगस्त को गौतम नवलखा समेत पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नज़रबंद रखा गया है.

गौतम नवलखा (फोटो: यूट्यूब)

बीते एक अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा की नज़रबंदी ख़त्म कर दी थी. भीमा-कोरेगांव हिंसा के संबंध में बीते 28 अगस्त को गौतम नवलखा समेत पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नज़रबंद रखा गया है.

गौतम नवलखा (फोटो: यूट्यूब)
गौतम नवलखा (फोटो: यूट्यूब)

नई दिल्ली: भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए पांच नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं में से एक गौतम नवलखा को नजरबंदी से मुक्त करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. याचिका शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में बुधवार सुबह दायर की गई.

महाराष्ट्र सरकार के अधिवक्ता निशांत कातनेश्वर ने बताया कि इसमें दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है.

सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने नवलखा को नजरबंदी से मुक्त कर दिया था.

जस्टिस एस. मुरलीधर और विनोद गोयल की पीठ ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के 28 अगस्त के आदेश को ख़ारिज कर दिया जिसमें नवलखा को नजरबंद करने का आदेश दिया गया था. पीठ ने कहा कि नजरबंद करने का आदेश देते वक़्त संविधान और सीआरपीसी के बुनियादी प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया था जो प्राकृतिक न्याय के मामले में अनिवार्य है.

अदालत ने 65 वर्षीय नवलखा को राहत देते हुए निचली अदालत के ट्रांजिट रिमांड के आदेश को भी रद्द कर दिया. इस आदेश को नवलखा ने तब चुनौती दी थी जब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा नहीं था.

हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि महाराष्ट्र सरकार को फैसले के ख़िलाफ़ अपील करने से रोकेगा भी नहीं.

महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एलगार परिषद के सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एक प्राथमिकी के सिलसिले में 28 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. इस सम्मेलन के बाद राज्य के भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की थी.

इन पांच लोगों में तेलुगू कवि वरवरा राव, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फरेरा और वर्णन गोंसाल्विस, मज़दूर संघ कार्यकर्ता और अधिवक्ता सुधा भारद्वाज और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा शामिल थे.

इससे पहले महाराष्ट्र पुलिस ने माओवादियों के कथित संबंधों की जांच करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत को जून में गिरफ्तार किया था.

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