प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार अन्नपूर्णा देवी का निधन

पद्मभूषण से सम्मानित अन्नपूर्णा देवी पिछले कई वर्षों से उम्र संबंधी बीमारियों में जूझ रही थीं. उस्ताद ‘बाबा’ अलाउद्दीन ख़ान की बेटी और शिष्य थीं. प्यार से लोग उन्हें ‘मां’ बुलाते थे.

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पद्मभूषण से सम्मानित अन्नपूर्णा देवी पिछले कई वर्षों से उम्र संबंधी बीमारियों में जूझ रही थीं. उस्ताद ‘बाबा’ अलाउद्दीन ख़ान की बेटी और शिष्य थीं. प्यार से लोग उन्हें ‘मां’ बुलाते थे.

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार अन्नपूर्णा देवी. (फोटो साभार: ट्विटर)
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार अन्नपूर्णा देवी. (फोटो साभार: ट्विटर)

मुंबई: दिग्गज संगीतकार और भारत रत्न से सम्मानित दिवंगत सितारवादक पंडित रविशंकर की पूर्व पत्नी अन्नपूर्णा देवी का शनिवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया.

अस्पताल के अधिकारियों ने यह जानकारी दी. वह 91 वर्ष की थीं.

मुंबई स्थित अन्नपूर्णा देवी फाउंडेशन के एक प्रवक्ता ने बताया कि वह पिछले कुछ वर्षों से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं.

अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें तड़के तीन बजकर 51 मिनट पर मृत घोषित किया गया.

उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था.

प्रवक्ता ने बताया कि उनका जन्म मध्य प्रदेश के मैहर शहर में उस्ताद ‘बाबा’ अलाउद्दीन ख़ान और मदीना बेगम के घर में हुआ था. प्यार से लोग उन्हें ‘मां’ बुलाते थे. वह चार भाई-बहनों में वह सबसे छोटी थीं.

प्रवक्ता ने बताया कि महान सरोद वादक उस्ताद अली अकबर ख़ान उनके भाई थे.

अन्नपूर्णा देवी अपने पिता की शिष्या थीं. पांच साल की छोटी उम्र से ही उन्होंने संगीत की शिक्षा आरंभ की और और वह सितार से लेकर सुरबहार तक में पारंगत हो गईं.

अपने जीवन का ज़्यादातर हिस्सा उन्होंने एकांतवास में बिताया. उन्होंने अपना ज़्यादातर समय चुनिंदा छात्रों के समूह को प्रशिक्षित करने में व्यतीत किया.

उन्होंने सितारवादक पंडित रविशंकर से शादी की थी और उनका एक बेटा शुभेंद्र ‘शुभो’ शंकर था, जिनका 1992 में निधन हो गया था.

उन्होंने 1982 में एक प्रबंधन सलाहकार रूशि कुमार पांड्या से शादी थी. पांड्या का 2013 में निधन हो गया.

प्रवक्ता ने बताया कि उनके शिष्यों में आशीष ख़ान (सरोद), अमित भट्टाचार्य (सरोद), बहादुर खान (सरोद), बसंत काबरा (सरोद), हरिप्रसाद चौरसिया (बांसुरी), जतिन भट्टाचार्य (सरोद), निखिल बनर्जी (सितार), नित्यानंद हल्दीपुर (बांसुरी), पीटर क्लाट (सितार), प्रदीप बारोट (सरोद), संध्या फड़के (सितार), सास्वती साहा (सितार), सुधीर फड़के (सितार), सुरेश व्यास (सरोद) शामिल हैं.