आंबेडकरवाद का भक्तिकाल

जिन-जिन चीज़ों के बाबा साहब सख़्त ख़िलाफ़ थे, वो सारे पाखंड किए जा रहे हैं. बाबा साहब को अवतार कहा जा रहा है. यहां तक कि उन्हें ब्रह्मा, विष्णु, महेश तक बताया जा रहा है.

//

जिन-जिन चीज़ों के बाबा साहब सख़्त ख़िलाफ़ थे, वो सारे पाखंड किए जा रहे हैं. बाबा साहब को अवतार कहा जा रहा है. यहां तक कि उन्हें ब्रह्मा, विष्णु, महेश तक बताया जा रहा है.

a-bjym-member-cleans-a-statue-of-bhimrao-ambedkar-with-milk-on-the-eve-of-his-birth-anniversary-in-bikaner-14606109425653
बीकानेर में आंबेडकर जयंती के एक दिन पहले बृहस्पतिवार को उनकी मूर्ति को दूध से नहलाया गया. फोटो: पीटीआई

जयपुर में बीते 13 अप्रैल को बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के नाम पर ‘भक्ति संध्या’ का एक कार्यक्रम हुआ. दो केंद्रीय मंत्री आंबेडकर विरोधी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे. आंबेडकर जैसा तर्कवादी और भक्तिभाव जैसी मूर्खता! इससे ज़्यादा बेहूदा क्या बात होगी?

ऐसा ही एक कार्यक्रम भीलवाड़ा में बाबा साहब की जीवनभर विरोधी रही कांग्रेस पार्टी का अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ ने भी किया. यहां 126 किलो दूध से बाबा साहब की प्रतिमा का अभिषेक किया गया.

अभिषेक के दौरान बाकायदा पंडित बुलाए, मंत्रोच्चार हुआ, गाय के गोबर, दूध, दही, गोमूत्र आदि के पंचामृत से अभिषेक किया गया. और इस तरह से अछूत आंबेडकर बीते बृहस्पतिवार को भीलवाड़ा में पवित्र कर दिए गए.

तीसरी वाहियात हरकत रायपुर में हुई. यहां 5100 कलशों की यात्रा निकाली गई. जिन महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए बाबा साहब ने मंत्री पद छोड़ दिया, उन्हीं महिलाओं के सिर पर कलश और नारियल रखा गया.

कलश का पानी और नारियल आंबेडकर की प्रतिमा पर चढ़ाया गया. जिस आंबेडकर के समाज को आज भी मनरेगा, आंगनबाड़ी और मिड डे मील का मटका छूने की आज़ादी नहीं है, उनके नाम पर कलश यात्रा! बेहद दुखद! निंदनीय!

newspaper-clipping
(फोटो: भंवर मेघवंशी)

बाबा साहब के अनुयायी जातियों के महाकुंभ कर रहे हैं, सामूहिक भोज कर रहे हैं, जिनके निमंत्रण पत्रों पर ‘श्री गणेशाय नमः’ और ‘जय भीम’ साथ-साथ शोभायमान हैं.

भक्तिकालीन आंबेडकरवादियों के ललाट पर उन्नत किस्म के तिलक आप इन कार्यक्रमों में देख सकते हैं. जय भीम के साथ जय श्री राम बोलने वाले मौसमी मेढ़कों की तो बहार ही आई हुई है.

बड़े-बड़े आंबेडकरवादी हाथों में तरह-तरह की अंगूठियां फंसाए हुए हैं. उनके हाथों में रक्षा सूत्र बंधे हैं और इन्हें ही आंबेडकरवादी कहा जा रहा है.

राजस्थान में बाबा साहब की मूर्तियां दलित विरोधी बाबा रामदेव से चंदा लेकर दान की जा रही हैं. इन मूर्तियों को देखकर ही उबकाई आती है. कहीं डॉ. आंबेडकर को किसी मारवाड़ी लाला की शक्ल दे दी गई है, कहीं हाथ नीचे लटका हुआ है तो कहीं उंगली ‘सबका मालिक एक है’ की भाव भंगिमा लिए हुए है.

ये बाबा साहब है या साई बाबा? मत लगाओ मूर्ति अगर पैसा नहीं है या समझ नहीं है तो.

कहीं-कहीं तो ज़मीन हड़पने के लिए सबसे गंदी जगह पर बाबा साहब की घटिया सी मूर्ति रातोंरात लगा दी जा रही है.

बाबा साहब की मूर्तियां बन रही हैं, लग रही हैं, जल्दी ही मंदिर बन जाएंगे, पूजा होगी, घंट-घड़ियाल बजेंगे, भक्तिभाव से आंबेडकर के भजन गाए जाएंगे और भीम चालीसा रच दी जाएगी, आप जपते रहिएगा.

ग़ुलामी का नया दौर शुरू हो चुका है. जिन-जिन चीज़ों के बाबा साहब सख़्त ख़िलाफ़ थे, वो सारे पाखंड किए जा रहे हैं. बाबा साहब को अवतार कहा जा रहा है. यहां तक कि उन्हें ब्रह्मा, विष्णु, महेश तक बताया जा रहा है.

हम सब जानते है कि डॉ. आंबेडकर गौरी, गणपति, राम-कृष्ण, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, भय, भाग्य, भगवान, आत्मा और परमात्मा जैसी चीज़ों के सख़्त ख़िलाफ़ थे.

Ambedkar-statue
(फोटो: भंवर मेघवंशी)

वे व्यक्ति पूजा और भक्ति भाव के विरोधी थे. उन्होंने इन कथित महात्माओं का भी विरोध किया, उन्होंने कहा इन महात्माओं ने अछूतों को धूल के बराबर ही समझा है.

पर आज हम क्या कर रहे हैं बाबा साहब के नाम पर? जो कर रहे हैं वह बेहद शर्मनाक है. इससे डॉ. आंबेडकर, हमारे महापुरुषों और महास्त्रियों का कारवां हजार साल पीछे चला जाएगा. इसे रोकिए.

बाबा साहब का केवल गुणगान और मूर्तिपूजा मत कीजिए. उनके विचारों को दरकिनार करके उन्हें भगवान मत बनाइये. बाबा साहब की हत्या मत कीजिए.

आप गुलाम रहना चाहते हैं, बेशक रहिए, भारत का संविधान आपको यह आज़ादी देता है, पर डॉ. आंबेडकर को प्रदूषित मत कीजिए.

आपका रास्ता लोकतंत्र और संविधान को खा जाएगा. फिर भेदभाव हो, जूते पड़े, आपकी महिलाएं बेइज्जत की जाएं और आरक्षण खत्म हो जाए तो किसी को दोष मत दीजिए.

इन बेहूदा मूर्तियों और अपने वाहियात आंबेडकरवाद के समक्ष सिर फोड़ते रहिए. रोते रहिए और हज़ारों साल की गुलामी के रास्ते पर जाने के लिए अपनी नस्लों को धकेल दीजिए. गुलामों से इसके अलावा कोई और अपेक्षा भी तो नहीं की जा सकती है.

जो बाबा साहब के सच्चे मिशनरी साथी हैं और इस साज़िश और संभावित ख़तरे को समझते हैं, वो बाबा साहब के दैवीकरण और ब्राह्मणीकरण का पुरजोर विरोध करें. मनुवाद के इस स्वरूप का खुलकर विरोध करे. आंबेडकरवाद में भक्तिभाव के लिए कोई जगह नहीं है.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं.)

https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/pkv-games/ https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/bandarqq/ https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/dominoqq/ https://ojs.iai-darussalam.ac.id/platinum/slot-depo-5k/ https://ojs.iai-darussalam.ac.id/platinum/slot-depo-10k/ https://ikpmkalsel.org/js/pkv-games/ http://ekip.mubakab.go.id/esakip/assets/ http://ekip.mubakab.go.id/esakip/assets/scatter-hitam/ https://speechify.com/wp-content/plugins/fix/scatter-hitam.html https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/ https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/dominoqq.html https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/ https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/dominoqq.html https://naefinancialhealth.org/wp-content/plugins/fix/ https://naefinancialhealth.org/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://onestopservice.rtaf.mi.th/web/rtaf/ https://www.rsudprambanan.com/rembulan/pkv-games/ depo 20 bonus 20 depo 10 bonus 10 poker qq pkv games bandarqq pkv games pkv games pkv games pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games bandarqq dominoqq