नियमों का उल्लंघन करते हुए स्टडी टूर पर सांसदों ने ख़र्चे करोड़ों रुपये

विशेष रिपोर्ट: नियमानुसार स्टडी टूर पर सांसदों और अधिकारियों को सरकारी सेवाओं का उपयोग करना होता है, साथ ही ऐसे टूर की सालाना एक निश्चित संख्या तय होती है, लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी दिखाती है कि संसदीय समितियां न केवल तयशुदा संख्या से ज़्यादा बार टूर पर गईं, बल्कि ठहरने के लिए बड़े पांच सितारा होटल, महंगे खान-पान और आने-जाने की गाड़ियां बुक करने के लिए लाखों रुपये ख़र्च किए गए.

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विशेष रिपोर्ट: नियमानुसार स्टडी टूर पर सांसदों और अधिकारियों को सरकारी सेवाओं का उपयोग करना होता है, साथ ही ऐसे टूर की सालाना एक निश्चित संख्या तय होती है, लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी दिखाती है कि संसदीय समितियां न केवल तयशुदा संख्या से ज़्यादा बार टूर पर गईं, बल्कि ठहरने के लिए बड़े पांच सितारा होटल, महंगे खान-पान और आने-जाने की गाड़ियां बुक करने के लिए लाखों रुपये ख़र्च किए गए.

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फोटो: पीटीआई

नई दिल्ली: लोकसभा और राज्यसभा सांसदों द्वारा नियमों का उल्लंघन करते हुए संसदीय समिति की स्टडी टूर के दौरान करदाताओं के करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं. द वायर  द्वारा दायर किए गए सूचना का अधिकार आवेदन में इसका खुलासा हुआ है.

नियमों के मुताबिक संसदीय समिति की स्टडी टूर के दौरान सांसदों को सरकारी भवन या सरकारी होटलों में रुकना चाहिए और विशेष परिस्थिति में ही निजी होटल बुक करना चाहिए. लेकिन सांसदों ने न सिर्फ ठहरने के लिए देश के टॉप क्लास के महंगे होटलों की बुकिंग की, बल्कि महंगा खाना और आने-जाने के लिए बुक किए गए गाड़ियों पर भी भारी राशि खर्च की है.

द वायर  ने लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय से साल 2013 से लेकर 2018 के दौरान संसदीय समितियों द्वारा स्टडी टूर पर किए गए ख़र्च का ब्यौरा और टूर पर जाने वाले व्यक्तियों के बारे में जानकारी मांगी थी.

इसके जवाब में राज्यसभा सचिवालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले पांच सालों में करीब 115 स्टडी टूर पर करदाताओं के 15 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च की गई. 

वहीं, लोकसभा सचिवालय ने आरटीआई कानून का उल्लंघन करते हुए इस संबंध में पूरी जानकारी देने से मना कर दिया.

द वायर  द्वारा कुछ स्टडी टूर के होटल बिल्स, फूड बिल्स, ट्रैवेल बिल्स और सरकारी दस्तावेज़ प्राप्त किए गए हैं, जो ये दर्शाते हैं कि सदस्यों ने महंगे होटल और महंगे भोजन के अलावा घूमने के लिए प्राइवेट क्रूज की भी बुकिंग की थी.

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उदाहरण के तौर पर, जदयू सांसद राम चंद्र प्रसाद सिंह की अध्यक्षता वाली राज्यसभा की उद्योग पर संसदीय समिति ने साल 2016-17 में पांच स्टडी टूर के दौरान एक करोड़ 83 लाख रुपये से ज्यादा की राशि खर्च कर दी. इस हिसाब से इस समिति ने हर एक टूर पर औसतन 37 लाख रुपये खर्च किए. 

इसी तरह, आठ जून 2015 से लेकर 12 जून 2015 तक सपा सांसद रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली ‘विभाग संबंधी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर संसद की स्थायी समिति’ कोयंबटूर, ऊटी, और बेंगलुरु में स्टडी टूर के लिए गई थी. इस दौरान सिर्फ पांच दिनों के भीतर समिति द्वारा 24,85,267 रुपये की राशि खर्च कर दी गई.

इस दौरान सांसदों ने ठहरने के लिए ऊटी में महंगे हाईलैंड होटल, बेंगलुरु में ओबेरॉय, कोयंबटूर में अलोफ्ट होटल की बुकिंग की. हाईलैंड होटल में सिर्फ दो दिन में 4,50,598 रुपये का खर्च आया. इसमें से 3,56,000 रुपये रूम चार्ज पर खर्च किए गए और 21,853 रुपये खाने पर खर्च हुए.

वहीं बेंगलुरु के ओबेरॉय होटल में ठहरने और खाने पर 12,05,235 रुपये खर्च किए गए. इसमें से एक सदस्य सेक्शन ऑफिसर सीआर श्रीनिवास (सांसद रत्ना डे नाग के संपर्क अधिकारी) ने अकेले एक दिन में 3,78,995 रुपये की राशि खर्च कर दी.

इसके अलावा गाड़ियों पर भी अच्छी खासी राशि खर्च की गई है. सात से 12 जून के दौरान समिति ने मात्र गाड़ी पर ही 5,50,754 रुपये की राशि खर्च की.

इस राशि का भुगतान दिल्ली के आश्रम की एक प्राइवेट कंपनी ‘ट्रैवेललाइन’ को की गई है. द वायर  को आरटीआई के जरिए मिली जानकारी से ये पता चला है कि बुके आदि वगैरह खरीदने पर भी पैसे खर्च किए गए हैं. जूट का सामान खरीदने पर 14,175 रुपये खर्च किए गए हैं.

साल 2005 में संसदीय समति के स्टडी टूर को लेकर बनाए गए नियमों के मुताबिक पहले तो बेहद जरूरी स्थिति में ही स्टडी टूर किया जाए. अगर समिति स्टडी टूर पर जाती है तो मंत्रालय द्वारा सांसदों और अधिकारियों को ठहरने के लिए सरकारी गेस्ट हाउस (पीएसयू गेस्ट हाउस, विधायक हॉस्टल, सर्किट हाउस इत्यादि सहित) में व्यवस्था की जानी चाहिए.

स्टडी टूर के दौरान संसदीय समिति के लिए ठहरने संबंधी नियम.
स्टडी टूर के दौरान संसदीय समिति के लिए ठहरने संबंधी नियम.

अगर सरकारी गेस्ट हाउस खाली नहीं हैं तो सरकारी होटल में ठहरने का इंतजाम किया जाना चाहिए. अगर इन दोनों में से कोई भी जगह खाली न हो तो ऐसी स्थिति में अच्छे प्राइवेट होटल में व्यवस्था की जानी चाहिए.

नियम के मुताबिक, ‘व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए, दिखावटी नहीं. रूम को ऐसी स्थिति में छोड़कर न जाएं कि मीडिया और आम जनता द्वारा आलोचना हो.’

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर इसी समिति ने दो फरवरी, 2016  को गुड़गांव के गुरु गोविंद सिंह ट्राइसेंटेनरी मेडिकल कॉलेज और नई दिल्ली के वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज का दौरा किया था.

इस दौरे पर समिति ने इन जगहों पर आने-जाने में ही 1,25,981 रुपये खर्च कर दिए. इसमें से 22,295 रुपये दिल्ली के चाणक्यपुरी की ट्रैवेल एजेंसी ‘ग्लोरियस इंडिया ट्रैवेल’ को भुगतान किया गया. वहीं 92,646 रुपये ठहरने के लिए रोजी पेलिकॉन सुल्तानपुर लेक को दिए गए.

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गुड़गांव और दिल्ली जाने के लिए संसदीय समिति द्वारा किए गए खर्च का विवरण.

इसी तरह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के कल्याण पर समिति द्वारा छह सितंबर 2016 को सिर्फ दिल्ली के एम्स अस्पताल जाने के लिए 11,800 रुपये ख़र्च कर दिए गए और इस राशि का भुगतान दिल्ली के अंबेडकर नगर की ट्रैवेल एजेंसी ‘जेएमडी ट्रैवेल’ को किया गया.

इस समिति के अध्यक्ष अहमदाबाद पश्चिम से भाजपा सांसद किरीट प्रेमजीभाई सोलंकी हैं. इस टूर पर अध्यक्ष समेत कुल 22 सांसद  गए थे.

नियम के मुताबिक जिस जगह पर स्टडी टूर जाती है वहां के लिए सांसद और अधिकारियों को ट्रांसपोर्ट की सुविधाओं को देने का प्रावधान है. इसके अलावा एयरपोर्ट/रेलवे स्टेशन से समिति के सदस्यों को लेने और उन्हें वापस छोड़ने के लिए भी ट्रांसपोर्ट की सुविधा दी गई है.

लेकिन ये भी कहा गया है कि दो सदस्यों/अधिकारियों के लिए एक गाड़ी पर्याप्त है. इसके अलावा अगर जरूरत पड़े, तभी एसी (एयर कंडीशनंड) गाड़ी की व्यवस्था की जानी चाहिए अन्यथा नहीं.

हालांकि, आरटीआई से मिली जानकारी से पता चलता है कि सांसदों और अधिकारियों द्वारा आवागमन को लेकर बड़ी राशि खर्च की गई है. सिर्फ ‘विभाग संबंधी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर संसद की स्थायी समिति’ द्वारा ही तीन स्टडी टूर के दौरान दिल्ली की ट्रैवेल एजेंसी ‘ट्रैवेल लाइन’ को 20 लाख रुपये से ज्यादा की राशि का भुगतान किया गया.

इसके लिए समिति ने कोयंबटूर, उटी, मैसूर, बैंगलोर, मुंबई, गोवा, मणिपुर, मेघालय और गुवाहाटी का दौरा किया था और करीब 20 दिन रुके थे. हर एक दौरे पर सांसदों और अधिकारियों को मिलाकर औसतन 20 से ज्यादा लोग शामिल थे.

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वहीं, पांच दिनों (20-26 अक्टूबर 2016) के लिए बेंगलुरु, मुंबई और गोवा गई विभाग संबंधित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर संसद की स्थायी समिति ने 30 लाख रुपये से ज्यादा की राशि खर्च कर दी. इस दौरान समिति ने ठहरने के लिए बैंगलोर में फाइव स्टार ललित होटल और मुंबई में हॉलीडे इन होटल बुक किया.

इस समिति में राज्यसभा के 10 सांसद और लोकसभा के 20 सांसद हैं. मंत्रालय द्वारा स्टडी टूर को लेकर ललित होटल को 10,12,589 रुपये का भुगतान किया.

वहीं सिर्फ एक दिन ठहरने के लिए हॉलीडे इन को 7,89,177 रुपये का भुगतान किया गया और इसमें से मात्र ठहरने के लिए 4,63,242 रुपये की राशि अदा की गई.

वहीं बेंगलुरु के रॉयल ऑर्किड बीच रिसॉर्ट एंड स्पा होटल को 5,33,708 रुपये दिए गए. इसमें से 3,79,200 रुपये ठहरने के लिए, 1,13,543 रुपये बैंक्वेट के लिए और 40,965 रुपये खाने-पीने पर खर्च किए गए हैं.

इसके अलावा किराए पर गाड़ी लेने के लिए दिल्ली के आश्रम इलाके की कंपनी ‘ट्रैवेल लाइन’ को 6,66,831 रुपये का भुगतान किया गया. ये कंपनी इससे पहले भी मंत्रालय को गाड़ियां दे चुकी है. इन सब के अलावा 20,000 रुपये का जूट बैग भी दिया गया था.

इसके अलावा, 15-22 जनवरी 2018 को इंफाल, शिलांग और गुवाहाटी में स्टडी टूर पर गए सांसदों और मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा 29,94,742 रुपये खर्च किए गए. ये राशि टूर पर गए अधिकारियों और सांसदों को मिलाकर कुल 20 लोगों द्वारा खर्च की गई है. 

समिति ने असम में द क्लासिक होटल, शिलांग में पोलो टावर्स और गुवाहाटी में ताज विवांता होटल बुक किया. इसके अलावा दिल्ली की ट्रैवेल एजेंसी ट्रैवेललाइन को गाड़ियों के लिए 7,79,940 रुपये का भुगतान किया. इसी दौरान 23,600 रुपये का चमड़े का बैग भी खरीदा गया.

इतना ही नहीं, स्टडी टूर पर जाने वाले सदस्यों द्वारा प्राइवेट क्रूज का भी इस्तेमाल किया गया है जिस पर कुल 56,975 रुपये का खर्चा आया.

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एलफ्रेस्को ग्रैंड ब्रहम्पुत्र नदी पर तैरता हुआ एक क्रूज रेस्टोरेंट है.

द वायर  को आरटीआई के जरिए मिले जवाब से ये जानकारी सामने आई है कि नियमों का उल्लंघन करते हुए एक साल में एक से ज्यादा बार संसदीय समिति टूर पर गईं और पांच दिन से ज्यादा समय के लिए ठहरीं.

साल 2018 के अक्टूबर महीने में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी घोषणा किया कि कोई भी समिति एक साल में दो बार से ज्यादा स्टडी टूर के लिए नहीं जाएगी, न ही दिल्ली के बाहर किसी होटल में मीटिंग होगी और न ही कमेटी के साथ तीन से ज्यादा अधिकारी जाएंगे.

हालांकि द वायर  को मिली जानकारी के मुताबिक अधिकतर टूर में तीन से ज्यादा अधिकारी जा रहे हैं. इतना ही नहीं, कई मामलों में ऐसा है कि लगभग 10 अतिरिक्त अधिकारी टूर में साथ जा रहे हैं. अधिकतर मामलों में सचिवालय से चार अधिकारी जा रहे हैं.

15 जनवरी से 22 जनवरी 2018 तक इंफाल, शिलॉन्ग और गुवाहाटी गई संसदीय समिति के साथ राज्यसभा सचिवालय के चार अधिकारी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नौ प्रतिनिधि और अन्य 10 सहायक अधिकारी थे.

वहीं 11-13 अक्टूबर, 2017 में मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक पर चयन समिति द्वारा चेन्नई और तिरुवनन्तपुरम में स्टडी टूर पर जाया गया था और इस दौरान राज्यसभा सचिवालय से चार अधिकारी गए थे.

इसी तरह साल 2017 में 24 अप्रैल से लेकर 27 अप्रैल तक कोच्चि और लक्षद्वीप में स्टडी टूर पर गई विभाग संबंधी गृह मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति के साथ पांच अधिकारी गए थे.

स्टडी टूर के प्रावधान में लिखा है कि टूर के दौरान संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को ले जाने से बचा जा सकता है. हालांकि राज्यसभा और लोकसभा सचिवालय से मिले जानकारी से पता चलता है कि इस स्तर के अधिकारी भी टूर पर जा रहे हैं. इसके अलावा संसदीय समिति एक साल में कई बार स्टडी टूर कर रही है.

लोकसभा सचिवालय ने गैरकानूनी तरीके से स्टडी टूर के होटल बिल, ट्रेवेल बिल, फूड बिल इत्यादि की प्रतियां देने से मना कर दिया.
लोकसभा सचिवालय ने गैरकानूनी तरीके से स्टडी टूर के होटल बिल, ट्रेवेल बिल, फूड बिल इत्यादि की प्रतियां देने से मना कर दिया.

नियम के मुताबिक, ‘केवल जब प्रतिष्ठानों पर जाने के लिए कोई विशिष्ट आवश्यकता होती है या अन्य जरूरी और संबंधित आधार होते हैं, तो स्पीकर के सामने विचार के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है. आमतौर पर एक से ज्यादा बार स्टडी टूर पर जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी.’

उदाहरण के लिए राज्यसभा कि सरकारी आश्वासन पर समिति साल 2012 से लेकर 2018 तक में 17 बार स्टडी टूर कर चुकी है. इसमें से साल 2015 में तीन बार, साल 2016 में तीन बार, साल 2017 में चार बार और साल 2018 में अप्रैल तक दो बार स्टडी टूर पर जा चुकी है.

इसी तरह यातायात, पर्यटन और संस्कृति पर स्थायी समिति द्वारा साल 2015 में दो बार, साल 2016 में चार बार स्टडी टूर किया गया है. वहीं गृह मंत्रालय की संसदीय समिति द्वारा कांग्रेस सांसद पी. भट्टाचार्य की अध्यक्षता में 2015 में तीन बार स्टडी टूर किया. इस समिति के सदस्य माकपा नेता सीताराम येचुरी भी थे.

इस समिति द्वारा साल 2016 में दो बार स्टडी टूर किया गया. इस दौरान समिति ने राजस्थान (जोधपुर, जैसलमेर), पंजाब (अमृतसर, गुरदासपुर, पठानकोट) और जम्मू-कश्मीर का दौरा किया और कुल मिलाकर 25 लाख रुपये से ज्यादा राशि खर्च की गई.

साल 2015 में ही अधीनस्थ विधान समिति द्वारा चार बार स्टडी टूर किया गया. इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद टी. सुब्बारामी रेड्डी हैं.

इस समिति चार में से तीन मौकों पर पांच दिन से ज्यादा समय का टूर किया था. इसी समिति द्वारा साल 2016 में भी चार बार और साल 2017 में पांच बार स्टडी टूर किया गया था.

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साल 2014 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा संसदीय समिति की स्टडी टूर पर तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि संसद सदस्य टूर के दौरान काफी महंगे होटल में ठहर रहे हैं और महंगा खाना खा रहे हैं.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में पाया था कि राज्यसभा सचिवालय ने नियमों को लांघते हुए सांसदों और अधिकारियों को साल 2011 से 2013 के बीच में भारी राशि का आवंटन किया. इसकी वजह से करदाताओं के काफी पैसे खर्च हुए.

हालांकि कैग की इस रिपोर्ट के बाद भी सांसदों द्वारा स्टडी टूर के दौरान भारी राशि खर्च की गई है.

भ्रष्टाचार और पारदर्शिता के मुद्दे पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया (टीआईआई) ने साल 2014 में इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिखा था लेकिन उन्हें अब तक कोई जवाब नहीं मिला है.

इस संस्था के कार्यकारी निदेशक रामनाथ झा ने द वायर  से कहा, ‘ये बेहद चिंता की बात है कि कैग द्वारा फटकार लगाने के बाद भी स्टडी टूर के दौरान आम जनता के पैसे भारी मात्रा में खर्च किए जा रहे हैं. हमने इस संबंध में पीएमओ को पत्र लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. मामले की गंभीरता को देखते हुए, अब हम दोबारा एक पत्र भेजने की तैयारी में हैं. ‘

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इस मामले को लेकर सख्ती दिखाई है और इससे संबंधी नियम और कड़े किए हैं. द वायर  ने विभिन्न समितियों के अध्यक्ष को इस संबंध में सवालों की सूची भेजी थी, हालांकि अभी तक कहीं से भी कोई जवाब नहीं आया है. जवाब आने पर उसे रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा.

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