बैंक खाता आधार से न जोड़ने पर वेतन नहीं रोका जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह ऐसा रुख़ कैसे अपना सकती है कि अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं देगी क्योंकि उनका आधार कार्ड उनके वेतन खाते से नहीं जुड़ा है.

बॉम्बे हाई कोर्ट (फोटो : पीटीआई)

बॉम्बे हाईकोर्ट केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह ऐसा रुख़ कैसे अपना सकती है कि अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं देगी क्योंकि उनका आधार कार्ड उनके वेतन खाते से नहीं जुड़ा है.

बॉम्बे हाई कोर्ट (फोटो : पीटीआई)
बॉम्बे हाई कोर्ट (फोटो : पीटीआई)

मुंबई: जुलाई 2016 से मुंबई पत्तन न्यास (मुंबई पोर्ट ट्रस्ट) के एक कर्मचारी का वेतन इस आधार पर रोकने के केंद्र सरकार के निर्णय पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है क्योंकि उसने अपना बैंक खाता आधार से नहीं जोड़ा है.

जस्टिस एएस ओका और जस्टिस एसके शिंदे की एक खंडपीठ मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के कर्मचारी रमेश पुराले की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पुराले मुंबई पत्तन न्यास में एक चार्जमैन के तौर पर कार्यरत हैं.

पीठ ने कहा कि कर्मचारी का वेतन इस आधार पर नहीं रोका जा सकता कि वह अपना बैंक खाता आधार से जोड़ने में विफल रहा.

पुराले ने केंद्रीय पोत परिवहन मंत्रालय (मिनिस्ट्री आॅफ शिपिंग) की ओर से 2015 में जारी उस पत्र को पुराले ने चुनौती दी थी जिसमें उनसे कहा गया था कि वह अपने उस बैंक खाते को आधार कार्ड से जोड़ें जिसमें उनका वेतन डाला जाता है.

उन्होंने यद्यपि ऐसा करने से इनकार करते हुए निजता के अपने मौलिक अधिकार का उल्लेख किया. जुलाई 2016 से उन्हें वेतन मिलना बंद हो गया जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अर्जी दायर की.

इस महीने के शुरू में पुराले ने अपनी अर्जी में एक आवेदन दायर किया जिसमें उन्होंने आधार कार्ड मुद्दे पर 26 सितंबर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया.

अदालत ने सोमवार को केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह ऐसा रुख़ कैसे अपना सकती है कि वह अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं देगी क्योंकि उनका आधार कार्ड उनके वेतन खाते से नहीं जुड़ा है.

पीठ ने सरकार को याचिकाकर्ता को बकाये का भुगतान करने का निर्देश दिया और मामले की अंतिम सुनवाई आठ जनवरी को करना तय किया.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में दिए अपने आदेश में ये साफ़ कहा था कि बैंक अकाउंट खोलने या सिम कार्ड लेने के लिए आधार की कोई ज़रूरत नहीं है.

आधार पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस एके सीकरी, मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर की ओर से लिखे गए फैसले में कोर्ट ने कहा था कि मोबाइल और बैंक अकाउंट आधार से लिंक करना असंवैधानिक है, इसलिए इसे हटाया जाता है.

इस निर्णय के अनुसार आधार कार्ड/नंबर को बैंक खाते से लिंक/जोड़ना अनिवार्य नहीं है. इसी तरह टेलीकॉम सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को अपने फोन से आधार नंबर को लिंक कराने के लिए नहीं कह सकते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

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