अमृतसर ट्रेन हादसा: जांच में रेलवे को क्लीन चिट, कहा, ‘लोगों की गलती थी जो ट्रैक पर खड़े थे’

बीते 19 अक्टूबर को पंजाब के जौड़ा फाटक पर दशहरा देख रहे लोगों को ट्रेन ने कुचल दिया था. हादसे में 60 लोगों की जान गई थी, जबकि 143 लोग घायल हो गए थे.

Amritsar: Punjab Police personnel at the scene of the accident along railroad tracks in Amritsar on October 20, 2018, after revellers who gathered on the tracks were killed by a moving train on October 19. - A speeding train ran over revellers watching fireworks during a Hindu festival in northern India Friday, killing more than 50 people, with eyewitnesses saying they were given no warning before disaster struck.(PTI Photo)(PTI10_20_2018_000004)
अमृतसर ट्रेन हादसा (फाइल फोटो: पीटीआई)

बीते 19 अक्टूबर को पंजाब के जौड़ा फाटक पर दशहरा देख रहे लोगों को ट्रेन ने कुचल दिया था. हादसे में 60 लोगों की जान गई थी, जबकि 143 लोग घायल हो गए थे.

Amritsar: Punjab Police personnel at the scene of the accident along railroad tracks in Amritsar on October 20, 2018, after revellers who gathered on the tracks were killed by a moving train on October 19. - A speeding train ran over revellers watching fireworks during a Hindu festival in northern India Friday, killing more than 50 people, with eyewitnesses saying they were given no warning before disaster struck.(PTI Photo)(PTI10_20_2018_000004)
अमृतसर ट्रेन हादसा (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: अमृतसर में दशहरा के दिन ट्रेन हादसे में 61 लोगों की मौत के मामले में केंद्र की रेलवे सुरक्षा आयोग (सीसीआरएस) ने रेलवे को क्लीन चिट दी है. हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के अनुसार, आयोग के आयुक्त एसके पाठक ने कहा कि लोगों की गलती की वजह से ये दुखद घटना हुई, क्योंकि वे धोबी घाट के पास रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर दशहरा देख रहे थे.

अपनी जांच रिपोर्ट में, सीसीआरएस ने यह भी कहा की कि ‘जिला प्रशासन/आयोजकों द्वारा मेला/रैली जैसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए रेलवे प्रशासन को पूर्व सूचना दी जाए ताकि रेलवे संबंधित लोगों से परामर्श ले कर उचित सावधानी बरत सके.’

जांच रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि ‘रेलवे पुलिस (जीआरपी) और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को राज्य पुलिस के साथ नियमित बैठक करनी चाहिए और ऐसी सभी घटनाओं पर जानकारी प्राप्त करना चाहिए जहां ट्रैक के पास बड़ी सभा की उम्मीद है और रेलवे को सावधानी बरतनी चाहिए.’

दैनिक जागरण की ख़बर के मुताबिक, पाठक ने कहा, ‘जांच के दौरान मुझे ये पता चला कि एस(S) आकार का मोड़ होने की वजह से हादसे की जगह तब तक नहीं दिख सकती थी, जब तक ट्रेन उस जगह से 20 मीटर की दूरी पर ना पहुंच जाए. यह हादसा उस वक्त हुआ, जब रावण का पुतला जलने की वजह से हवा में धुआं घुल गया था.

उन्होंने आगे रिपोर्ट में कहा, ‘जहां हादसा हुआ, रेलवे के उस सेक्शन में 100 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार की इजाजत होती है. हादसे के वक्त ट्रेन 82 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही थी.’

पूछताछ के दौरान सामने आया कि ब्रेक लगाने पर ट्रेन को रुकने के लिए 398 मीटर की दूरी चाहिए थी. घटनास्थल पर 50 पुलिसकर्मी मौजूद थे. उन्होंने लोगों को ट्रैक से हटाने की कोशिश की, लेकिन लोग नहीं माने.’

रिपोर्ट में सुरक्षा परिक्षण को लेकर भी सिफारिश की गई है. रेलवे की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूलों में बच्चों को सड़क सुरक्षा प्रशिक्षण की तरह रेलवे सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए राज्य और रेलवे प्रशासन को मिलकर काम करना चाहिए.

पाठक की रिपोर्ट में कहा गया है कि उस ट्रेन ड्राइवर से भी बात की जानी चाहिए, जो उस समय ट्रेन में मौजूद था. इस तरह की घटना उनके दिमाग पर असर डालती है और युवाओं पर इसकी छाप लंबे समय के लिए रहती है.

19 अक्टूबर को पंजाब के जौड़ा फाटक पर दशहरा देख रहे लोगों को ट्रेन ने कुचल दिया था. हादसे में 60 लोगों की जान गई थी, जबकि 143 लोग घायल हो गए थे.

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