गौरी लंकेश की हत्या सनातन संस्था द्वारा किया गया एक ‘संगठित अपराध’ है: चार्जशीट

गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच कर रहे विशेष जांच दल द्वारा शुक्रवार को स्थानीय अदालत में दाखिल अतिरिक्त आरोप पत्र में यह भी बताया कि संस्था की 'हिट लिस्ट' में द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन का भी नाम था.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच कर रहे विशेष जांच दल द्वारा शुक्रवार को स्थानीय अदालत में दाखिल अतिरिक्त आरोप पत्र में यह भी बताया कि संस्था की ‘हिट लिस्ट’ में द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन का भी नाम था.

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फोटो: पीटीआई

बेंगलुरू: पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच कर रही विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बेंगलुरू की एक अदालत में एक अतिरिक्त आरोप पत्र दाखिल किया है और बताया है कि इस ‘संगठित अपराध’ को दक्षिणपंथी हिंदुत्व संगठन सनातन संस्था से जुड़े लोगों द्वारा अंजाम दिया गया.

एसआईटीने प्रधान दीवानी एवं सत्र अदालत में शुक्रवार को 9,235 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है, जिसमें 18 आरोपियों का नाम लिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार विशेष लोक अभियोजक (पब्लिक प्रॉसिक्यूटर) एस बालन ने कहा, ‘यह एक संगठित अपराध का मामला है. चार्जशीट में बताया गया है कि सनातन संस्था वह समूह है, जिसने कुछ अन्य कट्टर संगठनों के सदस्यों की मदद से यह हत्या करवाई.’

आरोप पत्र में कहा गया है कि सतातन संस्था के भीतर एक नेटवर्क ने गौरी लंकेश को निशाना बनाया. इसमें यह भी कहा गया है कि गौरी की हत्या की साजिश पांच साल से रची जा रही थी.

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से बात करते हुए बालन ने कहा, ‘मृतक और हत्यारे के बीच निजी या कोई अन्य रंजिश नहीं थी. उन्हें इसलिए मारा गया क्योंकि वह एक खास विचारधारा को मानती थीं, उसके बारे में बोलती और लिखती थीं. इसलिए यह अवश्य ही कोई विचारधारा और किसी संगठन का मानने वाला रहा होगा.’

इस चरगेशित में यह भी बताया गया है कि संस्था के पास एक ‘हिट लिस्ट’ थी, जिसमें द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन का भी नाम शामिल था. डेक्कन हेराल्ड की खबर के मुताबिक इस सूची में कर्नाटक के 8 लोगों के अलावा पत्रकार अंतरा देव सेन, जेएनयू के प्रोफेसर चमनलाल, पंजाबी नाटककार आत्मजीत सिंह समेत 26 अन्य लोगों के नाम भी शामिल थे.

एसआईटी ने इस मामले की जांच आगे भी जारी रखने की इजाजत मांगी है. ज्ञात हो कि गौरी लंकेश की हत्या के मामले में दायर की गयी यह दूसरी चार्जशीट है. पहली चार्जशीट मई में केटी नवीन कुमार के खिलाफ दाखिल की गयी थी.

नवीन को मार्च में गिरफ्तार किया गया था. इस चार्जशीट में बताया गया था कि कुमार ने तब बताया था कि गौरी लंकेश को उनके ‘हिंदू-विरोधी’ दृष्टिकोण की वजह से मारा गया. इस चार्जशीट में विभिन्न फॉरेंसिक रिपोर्ट्स और डिजिटल प्रमाणों जैसे सीसीटीवी फुटेज आदि के आधार पर पुलिस ने 18 लोगों को आरोपी बनाया है.

इसमें यह भी बताया गया है कि एसआईटी ने कई आरोपियों के कबूलनामे भी रिकॉर्ड किए हैं, जो कर्नाटक कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट, 2000 के तहत प्रमाण के बतौर वैधता मिली हुई है.

गौरी की हत्या के आरोप में एसआईटी ने हिंदुत्व संगठनों- सनातन संस्था और हिंदू जनजागृति समिति से जुड़े 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. मार्च महीने में सबसे पहले कर्नाटक से नवीन कुमार को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस के अनुसार नवीन हिंदू युवा सेना से संबद्ध हैं और कर्नाटक और गोवा में सनातन संस्था की कई बैठकों में जाते रहे थे.

30 मई को दायर चार्जशीट के अनुसार लंकेश की हत्या हिंदू धर्म विरोधी बयानों के चलते की गयी. इसके बाद एसआईटी ने लंकेश की हत्या से जुड़े 4 और लोगों को गिरफ्तार किया था. पुलिस का कहना था कि गौरी की हत्या में इन लोगों की भूमिका हो सकती है.

55 वर्षीय गौरी लंकेश की हत्या पिछले साल पांच सितंबर को बेंगलुरु में उनके घर के बाहर गोली मारकर की गई थी, जिसके बाद सिद्धरमैया सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया था.

अब तक इस मामले में शूटर परशुराम वाघमारे और हत्या के मास्टरमाइंड अमोल काले, सुजीत कुमार उर्फ प्रवीन और अमित देगवेकर समेत 18 लोग आरोपी हैं. इसी समूह पर बुद्धिजीवियों ए एम कलबुर्गी, नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या में शामिल होने का भी संदेह है.

जून महीने में एसआईटी द्वारा बेंगलुरु कोर्ट में दी गई फॉरेंसिक रिपोर्ट में सामने आया था कि गौरी लंकेश और कन्नड़ लेखक और तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की हत्या में इस्तेमाल की गई बंदूक एक ही थी.

इससे पहले बैलिस्टिक सबूतों की फॉरेंसिक जांच में यह भी सामने आया था है कि 7.65 एमएम की बंदूक से ही महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 16 फरवरी 2015 को तर्कवादी गोविंद पानसरे की हत्या की गयी थी, जो वैसी ही थी जिससे 20 अगस्त 2013 को पुणे में तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की गयी थी.

हत्या में शामिल संगठनों पर प्रतिबंध पर होगा विचार: उपमुख्यमंत्री

एसआईटी के आरोप पत्र दायर करने के बाद कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वरा ने शनिवार को कहा है कि गौरी लंकेश की हत्या में शामिल संगठनों पर प्रतिबंध लगाने पर सरकार विचार किया जायेगा.

पत्रकारों से बात करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘अब तक इस अपराध में शामिल संगठनों के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है, लेकिन जल्द ही हम इस बारे में कोई निर्णय लेंगे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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