सुषमा स्वराज के बाद उमा भारती का ऐलान, नहीं लड़ेंगी लोकसभा चुनाव

केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने कहा कि यह राजनीति से संन्यास नहीं है. गंगा के लिए किसी एक को सत्ता छोड़कर गंगा किनारे जाना पडे़गा और मैं वही कर रही हूं. इसके लिए मुझे पार्टी का पूरा समर्थन चाहिए.

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The Union Minister for Water Resources, River Development and Ganga Rejuvenation, Sushri Uma Bharti addressing a Press Conference, in New Delhi on October 27, 2014.

केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने कहा कि यह राजनीति से संन्यास नहीं है. गंगा के लिए किसी एक को सत्ता छोड़कर गंगा किनारे जाना पडे़गा और मैं वही कर रही हूं. इसके लिए मुझे पार्टी का पूरा समर्थन चाहिए.

The Union Minister for Water Resources, River Development and Ganga Rejuvenation, Sushri Uma Bharti addressing a Press Conference, in New Delhi on October 27, 2014.
केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती (फाइल फोटो: पीटीआई)

भोपाल: केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने कहा कि वह अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने कहा कि वह सत्ता छोड़कर अगले महीने मकर संक्रांति से डेढ़ साल के लिए देश की पवित्र नदी गंगा के किनारे करीब 2,500 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू करेंगी.

वरिष्ठ भाजपा नेता की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कुछ दिन पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी अगला लोकसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं.

उमा भारती से जब पूछा गया कि भाजपा की दो महिला नेताओं के अगले साल लोकसभा चुनाव न लड़ने के ऐलान से क्या पार्टी पर असर नहीं पड़ेगा, तो उन्होंने कहा, ‘माफ कीजिए, मैंने लोकसभा चुनाव न लड़ने की बात एक-दो साल पहले कही है. सुषमा जी ने अभी कहा है. इन दोनों बातों को जोड़िए मत. ये दोनों बातें एक जैसी हैं, लेकिन कालखंड अलग हैं और कारण भी अलग हैं.’

भाजपा नेता ने यहां अपने निवास पर गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के विषय पर संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा मानना है कि गंगा के लिए किसी एक को सत्ता छोड़कर (गंगा) किनारे जाना पडे़गा और मैं वह कर रही हूं. मैं गंगा किनारे की पैदल यात्रा डेढ़ साल तक करूंगी. इसके लिए मुझे पार्टी का पूरा समर्थन चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘अब मैं गंगा एवं भगवान राम के अलावा डेढ़ साल तक कुछ और नहीं करूंगी.’

उमा भारती ने कहा, ‘मैं अगले महीने मकर संक्रांति से डेढ़ साल के लिए गंगा के किनारे करीब 2500 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू करूंगी और इसे अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए लोगों एवं संत समाज से अपील करूंगी. अब मैं कुछ दिन हिमालय के लिए निकलूंगी और उसके बाद गंगा के प्रवास में रहूंगी.’

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, ‘इस दौरान मैं (भाजपा के लिए) चुनाव प्रचार में भाग लूंगी.’

उन्होंने जोर देकर कहा कि वह राजनीति मरते दम तक करेंगी. राजनीति में ताल ठोंककर रहेंगी.

केंद्रीय मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ‘आपको ऐसा क्यों लगता है कि चुनाव लड़ना ही राजनीति है. मैं तो राजनीति में ठोंक के रहूंगी बाबा. मैंने कहा न कि मैं डेढ़ साल में चुनाव प्रचार में भाग लूंगी.’

उन्होंने कहा, ‘राजनीति से संन्यास नहीं, कोई संन्यास नहीं. मैं राजनीति मरते दम तक करूंगी. मुझसे राजनीति कोई छुड़वा नहीं सकता. मैं भाजपा से ही राजनीति करूंगी. मगर डेढ़ साल गंगा के लिए चाहिए.’

उमा भारती ने कहा, ‘मैं गंगा के काम में वर्ष 2011 से लगी हुई थी. वर्ष 2014 में गंगा का मंत्रालय मुझे मिला. ठीक दो साल हमें गंगा की योजना बनाने में लगे थे, क्योंकि तब गंगा मंत्रालय का अस्तित्व नहीं था. दो साल में हम इसे पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) एवं वित्त मंत्री के सहयोग से क्रियान्वयन के चरण पर ले आये. वर्ष 2024 तक गंगा पूर्ण अविरल होगी.’

उन्होंने कहा कि और कठिन बात यह थी कि गंगा दुनिया की सबसे 10 गंदी नदियों में से थी और उसमें भी कानपुर की पट्टी गंगा की सबसे गंदी पट्टी थी. तो इसका मतलब है कि गंगा का जो हिस्सा कानपुर का था, वह दुनिया की किसी भी नदी का सबसे गंदा हिस्सा था. जल खंड में पहली बार हमने हाइब्रिड शोधन संयंत्र का प्रयोग किया, जिसमें ऋषिकेश, हरिद्वार, बनारस एवं मथुरा में नये तरीके के 15 साल की गारंटी के साथ में हाइब्रिड शोधन संयंत्र लगे.

भाजपा नेता ने कहा, ‘मैं गंगा के काम से प्रसन्न हूं और संतुष्ट हूं. लेकिन जो मूल काम गंगा का है, वह है जन भागीदारी. क्योंकि गंगा तो जन समाज की ही भागीदारी का हिस्सा है और अविरलता में सरकार की भागीदारी है. शहरों की निर्मलता में सरकार की भूमिका है लेकिन गंगा के मूल प्रवाह में गंगोत्री से सागर तक लोगों की ही भूमिका है. मैं उसको करना चाहती हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने देखा है कि गंगा के जिन कार्यों का मैंने क्रियान्वायन किया था, वे सब आगे बढ़ रहे हैं. अब जन समाज की भागीदारी होगी.’

 न गंगा के लिए आंदोलन की जरूरत, न अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए

उमा भारती ने कहा, ‘अब मैं कुछ दिन हिमालय के लिए निकलूंगी और उसके बाद गंगा प्रवास शुरू करूंगी.’ उन्होंने कहा, ‘गंगा के लिए आंदोलन की जरूरत नहीं है और न ही (अयोध्या में) राम मंदिर (निर्माण) के लिए आंदोलन की जरूरत है.’

भाजपा नेता ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में (आदित्यनाथ) योगी जी की सरकार है. देश में (नरेंद्र) मोदी जी की सरकार है. सभी राजनीतिक दलों से बात होनी चाहिए. अदालत ने भी कहा है कि यह मसला भूमि विवाद है. आस्था का विवाद का तो रहा ही नहीं.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी लड़ाई तो उसके लिए हुई थी. वह कहते थे कि यहां राम नहीं जन्मे और हम कहते थे कि यहां राम जन्मे थे. तब आंदोलन इसका था. और जब 2010 में तीन न्यायाधीशों की पीठ का फैसला आ गया कि बीच का गुंबद रामलला का है तो वह आंदोलन सफल हो गया.’

उमा भारती ने कहा, ‘अब बात रह गई है कि वहां मंदिर का निर्माण कैसे हो? अब रह गया है कि वर्तमान में भूमि पर मालिकाना हक किसका है? रामजन्मभूमि है या नहीं, यह तो प्रश्न ही नहीं रहा. रामजन्मभूमि है यह बात साबित हो गई है. अब है कि जमीन किसकी है?’

उन्होंने कहा, ‘जमीन का मसला तो ऐसा मसला है जो (अदालत से) बाहर भी बातचीत से सुलझ सकता है. अब बातचीत के लिए माहौल बनाने के लिए सब पार्टियों को एक करने का प्रयास होना चाहिए.’

राम मंदिर निर्माण पर अध्यादेश लाये जाने के सवाल पर उमा ने कहा, ‘अध्यादेश भी तभी लाया जा सकता है जब पहले बातचीत से बात हो जाये. अध्यादेश के लिए भी एक माहौल बनाना होगा, सकारात्मक माहौल बनाना होगा.’

उन्होंने कहा, ‘और (कांग्रेस अध्यक्ष) राहुल गांधी ने इतना नकारात्मक माहौल बना दिया है. इसके अलावा, (कांग्रेस के वरिष्ठ नेता) कपिल सिब्बल ने तो अदालत में हस्तक्षेप किया और कहा कि वर्ष 2019 तक इसके बारे में सुनवाई ही मत करिये. उसके बाद से कांग्रेस ने देश में माहौल इतना खराब कर दिया है कि अब कांग्रेस को ही अध्यादेश के लिए माहौल बनाने के लिए पहल करनी पडे़गी.’

भाजपा नेता ने कहा, ‘अध्यादेश की बात सरकार की तरफ से होगी. लेकिन अध्यादेश को इस देश के लोग स्वीकार करें, यह माहौल बनाना अब कांग्रेस की जिम्मेदारी है क्योंकि कांग्रेस ने माहौल खराब किया है.’

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