रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए से दिया इस्तीफा, कहा- संघ का एजेंडा लागू किया जा रहा है

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि मोदी सरकार ओबीसी समुदाय के हितों की अनदेखी कर रही है और देश के शिक्षण संस्थानों में संघ के लोगों की भर्ती की जा रही है. कुशवाहा लंबे समय से सीट बंटवारे को लेकर नाराज़ चल रहे थे.

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Patna: Bihar Rashtriya Lok Samata Party (RLSP) president Upendra Kushwaha addresses a press conference at the Party office, in Patna, Friday, Nov 09, 2018. (PTI Photo)(PTI11_9_2018_000084B)
उपेंद्र कुशवाहा (फोटो: पीटीआई)

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि मोदी सरकार ओबीसी समुदाय के हितों की अनदेखी कर रही है और देश के शिक्षण संस्थानों में संघ के लोगों की भर्ती की जा रही है. कुशवाहा लंबे समय से सीट बंटवारे को लेकर नाराज़ चल रहे थे.

Patna: Bihar Rashtriya Lok Samata Party (RLSP) president Upendra Kushwaha addresses a press conference at the Party office, in Patna, Friday, Nov 09, 2018. (PTI Photo)(PTI11_9_2018_000084B)
उपेंद्र कुशवाहा (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से इस्तीफा दे दिया है. कुशवाहा 2019 लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर कुशवाहा नाराज़ चल रहे थे.

आज यानि कि सोमवार दोपहर में ही केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. कुशवाहा ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि देश में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के एजेंडे को लागू किया जा रहा है और ओबीसी समुदाय की अनदेखी की जा रही है.

कुशवाहा ने कहा कि देश के शिक्षण संस्थानों में ओबीसी का हक मार कर संघ के लोगों को भर्ती कराया जा रहा है.

बीते कुछ महीनों से बिहार में भाजपा की मुख्य सहयोगी दल जेडीयू के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर उपेंद्र कुशवाहा भाषणों से हमला कर रहे थे. कुशवाहा के इस्तीफे के बाद बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर समीकरण बदलने की उम्मीद जताई जा रही है.

रालोसपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में दो से ज्यादा सीटें नहीं मिलने के भाजपा के संकेतों के बाद से कुशवाहा नाराज चल रहे हैं. दूसरी ओर भाजपा और जदयू के बीच बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है.

रालोसपा के एक वरिष्ठ नेता ने इस्तीफ़े से पहले कहा था, ‘कुशवाहा सोमवार को भाजपा से अपनी राह अलग करने की घोषणा कर सकते हैं. वह केंद्रीय मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे देंगे.’

बता दें कि पिछले महीने ही कुशवाहा ने मुंगेर की एक सभा में कहा था कि वो एनडीए में हैं, लेकिन अपमान सहकर नहीं रह सकते हैं.

एनडीटीवी की ख़बर के अनुसार, बीते दिनों मोतिहारी में कुशवाहा ने कहा था कि लोग उनके भविष्य की रणनीति को लेकर आस लगाए बैठे हैं. उन्होंने कहा, ‘उनको मैं साफ़ करना चाहता हूं कि सुलह-समझौता करने के उनके सभी प्रयासों को अब तक सफलता नहीं मिली है. इसलिए आने वाले दिनों में उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता की पंक्तियां बोली कि ‘अब याचना नहीं रण होगा संघर्ष बड़ा भीषण होगा.’

मालूम हो कि कुशवाहा ने भाजपा पर मंदिर मुद्दे को लेकर भी हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि ये मुद्दा उठाकर भाजपा जनता का ध्यान भटकाने का काम कर रही है.

उन्होंने कहा था कि सरकार और राजनीतिक दलों का ये काम नहीं कि कहां मंदिर या मस्जिद बने.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि अगर मंदिर बनाना है तो उचित तरीके से बनाइये. ये देश संविधान से चलता है और संविधान धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत से चलता है.

एनडीए से बाहर आने के बाद कुशवाहा के महागठबंधन (राजद, कांग्रेस और हम) के साथ जाने के कयास लगाए जा रहे हैं. पिछले महीने उन्होंने शरद यादव और बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से भी मुलाक़ात की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)