कमलनाथ को हाथों में होगी मध्य प्रदेश की कमान. मध्य प्रदेश 18वें मुख्यमंत्री बनने वाले कमलनाथ 17 दिसंबर को लेंगे शपथ.

राजस्थान के होने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मध्य प्रदेश के होने वाले मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया. (फोटो: पीटीआई)
नई दिल्ली/जयपुर/भोपाल: राजस्थान में मुख्यमंत्री के चयन को लेकर हुए लंबे मंथन के बाद आख़िरकार शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गतिरोध ख़त्म करते हुए अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री और सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री नामित किया.
राहुल गांधी के आवास पर दो दिनों तक कई दौर की बैठकों के बाद मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर सहमति बनी जिसे पार्टी ने ‘अनुभवी और ऊर्जावान नेतृत्व’ का मेल क़रार दिया है.
राजस्थान के लिए पार्टी पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष ने फैसला किया है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होंगे. इसके साथ सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री होंगे.’
उन्होंने कहा, ‘अनुभवी और ऊर्जावान नेतृत्व एक साथ आ रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष इसमें विश्वास करते हैं. यह नेतृत्व पार्टी को मज़बूत करेगा और राजस्थान के लोगों की अकांक्षाओं को पूरा करेंगे.’
गहलोत ने कहा, ‘मैं अपने नेता राहुल गांधी जी और नवनिर्वाचित विधायकों का आभारी हूं कि उन्होंने यह फैसला किया. मुझे एक बार फिर राजस्थान का सेवा करने का अवसर मिलेगा.’
उन्होंने कहा, ‘चुनाव प्रचार के दौरान हमने कई मुद्दे उठाए. हमने और राहुल गांधी जी ने सुशासन की बात है. इस मुबारक मौके पर मैं यह कह सकता हूं कि मैं और सचिन पायलट जी मिलकर राहुल गांधी जी की भावना के अनुरूप काम करेंगे.’
पायलट ने कहा, ‘किसको मालूम था कि दो-दो करोड़पति बन जाएंगे. मैं राहुल गांधी जी और विधायकों का धन्यवाद करना चाहता हूं. मैं गहलोत जी की बधाई देता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘तीनों राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के चुनाव देश की राजनीति को बदलने वाले चुनाव थे. ये देश को संतोष देने वाले थे. जो लोग आशा खो चुके थे उनको आशा देने वाले हैं.’
पायलट ने भरोसा जताया कि कांग्रेस का अच्छा चुनावी प्रदर्शन जारी रहेगा और पार्टी को 2019 चुनावों में बड़ा जनादेश मिलेगा और वह सरकार बनाएगी.
वेणुगोपाल ने कहा, ‘हम आज राज्यपाल से मिलेंगे और शपथ ग्रहण समारोह के कार्यक्रम पर फैसला लेंगे.’
कांग्रेस अध्यक्ष के आवास पर बृहस्पतिवार को कई दौर की बैठकों के बाद सहमति नहीं बन पाई थी. उन्होंने शुक्रवार को फिर से बैठक की जिसमें मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर सहमित बनी.
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रसन्नचित नज़र आ रहे दोनों नेताओं की अपने साथ तस्वीर ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, ‘द यूनाइटेड कलर्स ऑफ राजस्थान’.
The united colours of Rajasthan! pic.twitter.com/D1mjKaaBsa
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 14, 2018
पार्टी के प्रमुख नेताओं के बीच राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के नाम तय करने को लेकर लंबी चर्चा हुई जिसमें सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हुईं. शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान वरिष्ठ पार्टी नेता केसी वेणुगोपाल, अविनाश पांडे और जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद बीते 11 दिसंबर को हुई मतगणना में 199 सीटों में से कांग्रेस ने 101, भाजपा को 73 और 25 सीटों पर अन्य दलों ने जीत हासिल की.
राजनीति के जातिगत मिथकों को तोड़कर शीर्ष तक पहुंचे जादूगर पिता के पुत्र गहलोत
कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को आख़िरकार जादूगर पिता के पुत्र अशोक गहलोत को राजस्थान का नया मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर लिया.
राजस्थान की राजनीति के जातीय मिथकों को तोड़कर शीर्ष तक पहुंचे गहलोत को राज्य के शीर्ष नेताओं में से एक माना जाता है. वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बन रहे हैं और अब तक की उनकी छवि ‘छत्तीस कौमों’ यानी समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाले नेता की रही है.

राजस्थान के होने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. (फोटो: पीटीआई)
स्कूली दिनों में जादूगरी करने वाले गहलोत को ‘राजनीति का जादूगर’ भी कहा जाता है जो कांग्रेस को विकट से विकट हालात से निकाल लाते रहे हैं. अपनी इसी खासियत व निष्ठा के चलते वह गांधी परिवार के बहुत क़रीबी माने जाते हैं और ज़रूरत पड़ने पर पार्टी ने उन्हें कई महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां सौंपी हैं.
दरअसल साल 2013 के विधानसभा और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बावजूद गहलोत ने राज्य में कांग्रेस की प्रासंगिकता न केवल बनाए रखी बल्कि उसे नए सिरे से खड़ा होने में बड़ी भूमिका निभाई.
इस बार राज्य के विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े के पास पहुंची तो उसमें गहलोत की राजनीतिक सूझबूझ व कौशल का बड़ा योगदान माना गया है.
पिछले कुछ समय से कांग्रेस के महासचिव (संगठन) का पदभार संभाल रहे गहलोत को जमीनी नेता और अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है. मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले गहलोत (67) 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
गहलोत पहली बार 1998 में राजस्थान के मुख्यमंत्री बने. उस समय कांग्रेस को 150 से ज्यादा सीटें मिली थीं और गहलोत पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष थे. तब परसराम मदेरणा नेता प्रतिपक्ष थे. उस समय भी पार्टी आलाकमान ने गहलोत पर भरोसा जताया था.
दूसरी बार दिसंबर 2008 में कांग्रेस फिर सत्ता में लौटी. उस समय भी कई नेता मुख्यमंत्री पद की होड़ में थे. अंतत: जीत गहलोत की ही हुई थी और वह मुख्यमंत्री बने.
तीन मई 1951 को जन्मे गहलोत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में की थी. वह 1979 तक इस पद पर रहे. गहलोत कांग्रेस पार्टी के जोधपुर ज़िला अध्यक्ष रहे और 1982 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने.
उसी दौरान 1980 में गहलोत सांसद बने. इसके बाद वे लगातार पांच बार जोधपुर से सांसद रहे. गहलोत ने 1999 में जोधुपर की ही सरदारपुरा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और लगातार पांचवीं बार वहां से जीते हैं.
वह केंद्र में भी मंत्री रह चुके हैं तथा पार्टी के संगठन में प्रमुख पदों पर काम कर चुके हैं.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में 17 दिसंबर को शपथ लेंगे कमलनाथ
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ 17 दिसंबर को दोपहर बाद डेढ़ बजे भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. वह प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री होंगे.
कमलनाथ शुक्रवार की सुबह करीब 11 बजे राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने पहुंचे और उन्होंने प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश कर शपथ की तारीख़ और समय पर करीब 50 मिनट उनसे चर्चा की.

शुक्रवार को भोपाल स्थित राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलकर कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश किया. (फोटो: पीटीआई)
राज्यपाल से मिलने के बाद बाहर आते वक़्त वहां मौजूद मीडियाकर्मियों को कमलनाथ ने बताया, ‘17 दिसंबर को डेढ़ बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा और लाल परेड ग्राउंड में होगा.’
इसके बाद वह सभी का अभिवादन करते हुए वहां से रवाना हो गए.
इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दीपक वाबरिया, अजय सिंह, विवेक तनखा, अरूण यादव एवं सुरेश पचौरी उनके साथ मौजूद थे.
एक नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन होने के बाद से कमलनाथ प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री होंगे.
11 दिसंबर को आए चुनाव परिणाम में मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं. वह बसपा के दो, सपा के एक और चार अन्य निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बना रही है. पार्टी का दावा है कि उसके पास फिलहाल 121 विधायकों का समर्थन हासिल है.
राज्यपाल ने कमलनाथ को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री नियुक्त करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं और कहा कि मध्यप्रदेश विधानसभा के कांग्रेस विधायक दल के निर्वाचित सदस्यों ने सर्व सम्मति से आपको कांग्रेस पार्टी का नेता निर्वाचित किया है. आपको बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों तथा नवनिर्वाचित निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है.
आनंदीबेन ने आगे लिखा है, ‘‘कांग्रेस विधायीदल को विधानसभा में बसपा, सपा एवं निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त होने से प्रदेश में सबसे बड़े दल के नेता के नाते भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 के अंतर्गत आपको (कमलनाथ) मुख्यमंत्री नियुक्त करती हूं तथा मंत्रिमंडल का गठन करने के लिए आमंत्रित करती हूं.’
कृषि क्षेत्र को मज़बूती और महिलाओं को सुरक्षित माहौल देना मेरी प्राथमिकता: कमलनाथ
मध्य प्रदेश में कांग्रेस को जनसमर्थन देने के लिए लोगों का धन्यवाद करते हुए राज्य के निर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को कहा कि कृषि क्षेत्र को मज़बूती प्रदान करना, महिलाओं को सुरक्षित माहौल देना तथा युवाओं के लिए रोज़गार की व्यवस्था करना उनकी सरकार की प्राथमिकता में है.
प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिल कर सूबे में सरकार गठन करने का दावा पेश करने के बाद अपने आवास पर कमलनाथ ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘हमारी प्राथमिकता कृषि क्षेत्र को मज़बूत करना होगा ताकि प्रदेश में कृषि आधारित अर्थव्यवस्था मज़बूत हो.’
उन्होंने कहा, ‘युवाओं के लिए रोज़गार की व्यवस्था करना और महिलाओं को सुरक्षित माहौल देना मेरी सरकार की प्राथमिकता होगी.’
उन्होंने कहा, ‘हम हमारे वचन पत्र (घोषणा पत्र) पर प्राथमिकता से काम करेंगे. हम अपने वादे के मुताबिक किसानों का क़र्ज़ भी माफ करेंगे.’
कमलनाथ ने कहा, ‘मैं मध्य प्रदेश की जनता को कांग्रेस को अपार जनसमर्थन देने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद देता हूं और उन्हें भरोसा दिलाता हूं कि हम उनकी अपेक्षा पर खरा उतरेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)