सीआईसी का आदेश, नोटबंदी के बाद 500, 2000 रुपये के नोटों की छपाई के आंकड़े सार्वजनिक करे आरबीआई

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि रोजाना छपाई होने वाले नोट का आंकड़ा इतना संवेदनशील नहीं है कि इसकी जानकारी देने से मना किया जाए.

(फोटो: रॉयटर्स)

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि रोजाना छपाई होने वाले नोट का आंकड़ा इतना संवेदनशील नहीं है कि इसकी जानकारी देने से मना किया जाए.

FILE PHOTO: A security personnel member stands guard at the entrance of the Reserve Bank of India (RBI) headquarters in Mumbai, India, August 2, 2017. REUTERS/Shailesh Andrade/File Photo
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने रिजर्व बैंक की अनुषंगी इकाई ‘भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण’ को नोटबंदी के बाद 500 और 2000 रुपये के नोटों की छपाई के बारे में आंकड़े सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है.

सीआईसी ने कहा कि ‘भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण’ कंपनी यह बताने में विफल रही है कि नोटबंदी के बाद जारी 2,000 और 500 रुपये के नोट के बारे में जानकारी देने से कैसे देश का आर्थिक हित प्रभावित होगा. सीआईसी ने कंपनी से इस बारे में जानकारी देने को कहा है.

आरबीआई की पूर्ण अनुषंगी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण का दावा था कि मुद्रा की छपाई और संबंधित गतिविधियां लोगों के साथ साझा नहीं की जा सकती क्योंकि इससे नकली मुद्रा का प्रसार होगा और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होगी.

हालंकि केंद्रीय सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने कंपनी की इन आपत्तियों को खारिज करते हुए पूरी जानकारी देने का आदेश दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1000 रुपये के नोट को चलन से हटाने की घोषणा की थी. उसके बाद 2000 रुपये और 500 रुपये के नये नोट जारी किए गए थे.

CIC Note ban
नोटबंदी के बाद 500 और 2000 रुपये के नोटों की छपाई के बारे में आंकड़े सार्वजनिक करने का निर्देश.

हरीन्द्र धींगड़ा नाम के एक शख्स ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत 9 नवंबर से 30 नवंबर 2016 के बीच छापे गए 2,000 रुपये और 500 रुपये के नोट की संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी. हालांकि उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई. जानकारी प्राप्त करने में विफल रहने के बाद धींगड़ा ने केंद्रीय सूचना आयोग में अर्जी दी.

आरबीआई की इकाई ने जवाब में कहा कि नोट छपाई एवं संबद्ध गतिविधियां काफी गोपनीय मामला है. इसमें कच्चे माल, छपाई, भंडारण, परिवहन आदि जैसे अहम ब्योरे जुड़े हैं तथा इसे लोगों के साथ साझा नहीं किया जा सकता है. अगर यह जानकारी दी जाती है तो इससे नकली नोट का प्रयास तथा आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होने की आशंका है.

जवाब में यह भी दावा किया गया है कि आंकड़ों की घोषणा से देश की संप्रभुता और एकता, सुरक्षा, आर्थिक हित को प्रभावित करेगा. अत: इस प्रकार की सूचना आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (ए) के तहत नहीं देने से छूट है.

भार्गव ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि रोजाना छपाई होने वाले नोट का आंकड़ा इतना संवेदनशील नहीं है, जिसे आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (ए) के तहत छूट मिले.
उन्होंने कहा कि यह नहीं माना जा सकता कि यह सूचना देने से छपाई से संबंधित कच्चे माल, भंडारण आदि की जानकारी का खुलासा होगा.

सूचना देने का निर्देश देते हुए भार्गव ने कहा कि पुन: मुख्य सूचना अधिकारी यह बताने में नाकाम रहे कि किस प्रकार से यह सूचना देश के आर्थिक हित को प्रभावित करेगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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