मोदी सरकार ने माना, नोटबंदी के दौरान चार लोगों की हुई थी मौत

नोटबंदी के दौरान नोट बदलने के लिए बैंकों की लाइन में लगे लोगों की मौत का ब्योरा सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक ने दिया है. बैंक ने बताया है कि इस दौरान एक ग्राहक और बैंक के तीन कर्मचारियों की मौत हुई थी.

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नवंबर 2016 में राजस्थान के एक कसबे में एटीएम के बाहर कतार में लगे नागरिक. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नोटबंदी के दौरान नोट बदलने के लिए बैंकों की लाइन में लगे लोगों की मौत का ब्योरा सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक ने दिया है. बैंक ने बताया है कि इस दौरान एक ग्राहक और बैंक के तीन कर्मचारियों की मौत हुई थी.

People queue outside a bank to exchange and deposit their old high denomination banknotes in Masuda village in the desert Indian state of Rajasthan, India, November 15, 2016. REUTERS/Himanshu Sharma
नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 के नोट बदलवाने के लिए लाइन में खड़े लोग. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा कि नोटबंदी के दौरान नोट बदलने के लिए बैंकों की लाइन में लगे लोगों की मौत का ब्योरा सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने मुहैया कराया है और इसमें बैंक की लाइन में एक ग्राहक और बैंक के तीन कर्मचारियों की मौत हुई.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि नोटबंदी के दौरान नोट बदलने के लिए लाइन में खड़े होने से, सदमे से और काम के दबाव आदि से व्यक्तियों और बैंक के कर्मचारियों की मौत और परिजनों को दिए गए मुआवजे के बारे में एसबीआई को छोड़कर सरकारी क्षेत्र के किसी अन्य बैंक ने कोई सूचना नहीं दी है.

जेटली ने बताया कि एसबीआई ने नोटबंदी के दौरान तीन कर्मचारियों और एक ग्राहक की मौत होने की जानकारी दी है. बैंक ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे के रूप में 44.06 लाख रुपये दिए. इसमें से तीन लाख रुपये मृतक ग्राहक के परिजनों को दिए गए.

माकपा के ई. करीम ने 500 रुपये और एक हजार रुपये के पुराने नोट वापस लेने और नष्ट करने तथा नए नोट जारी करने पर रिजर्व बैंक द्वारा खर्च की गई धनराशि तथा नोटबंदी के दौरान बैंकों में नोट बदलने वालों की लाइन में लगे लोगों की मौत का ब्योरा मांगा था.

Demonetisation
राज्यसभा में अरुण जेटली द्वारा नोटबंदी पर दिया गया जवाब. (स्रोत: राज्यसभा)

इसके जवाब में अरुण जेटली ने बताया कि रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के बाद नए नोटों की छपाई पर हुआ व्यय का लेखा-जोखा अपनी रिपोर्ट में अलग से नहीं दर्शाया है. नोटबंदी से पहले 2015-16 में नोटों की छपाई पर 34.21 अरब रुपये खर्च हुए थे जबकि 2016-17 में यह राशि 79.65 अरब रुपये और 2017-18 में 49.42 अरब रुपये थी.

उन्होंने नोटबंदी से उद्योग और रोजगार पर पड़े असर का कोई अध्ययन कराने के सवाल पर कहा कि सरकार ने इस संबंध में कोई अध्ययन नहीं कराया है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी जिसके तहत, उन दिनों चल रहे 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट तत्काल प्रभाव से चलन से बाहर हो गए थे.

नोटबंदी की वजह से लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा था. पुराने नोटों को बदलने के लिए कई महीनों तक बैंकों के सामने लंबी-लंबी लाइनें लगी थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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