कई सारे रिपोर्ट्स के बावजूद केंद्र सरकार ने कहा, भूख से मौतों के बारे में कोई जानकारी नहीं

बीते मंगलवार को लोकसभा में सरकार ने कहा कि किसी भी राज्य ने भूख से मौत की जानकारी नहीं दी है. कई मीडिया रिपोर्टों में भूख से मौत का दावा किया गया है लेकिन जांच में ये सही नहीं पाया गया.

(प्रतीकात्मक फोटो रॉयटर्स)

बीते मंगलवार को लोकसभा में सरकार ने कहा कि किसी भी राज्य ने भूख से मौत की जानकारी नहीं दी है. कई मीडिया रिपोर्टों में भूख से मौत का दावा किया गया है लेकिन जांच में ये सही नहीं पाया गया.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: कई सारे मीडिया रिपोर्ट्स के बावजूद उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार को भूख से मौतों के बारे में जानकारी नहीं है. सरकार ने बीते मंगलवार को लोकसभा में एक सवाल को लेकर ये लिखित जवाब दिया है.

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्यमंत्री सीआर चौधरी ने कहा, ‘किसी भी राज्य/केंद्र शासित सरकार भूख से मौत की जानकारी नहीं दी है. मीडिया में ये रिपोर्ट्स आईं हैं कि कुछ राज्यों में भूख से मौत हुई है. हालांकि जांच में झारखंड समेत जगहों पर दावा सही साबित नहीं हुआ है.’

केंद्रीय मंत्री के जवाब में झारखंड को लेकर जिक्र इसलिए किया गया है क्योंकि पिछले दो सालों में, खासकर योजनाओं को आधार से लिंक कराने की शुरुआत से, राज्य सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली सवालों के घेरे में है.

पिछले साल सितंबर 2017 में खबर आई थी कि झारखंड के सिमडेगा जिले में भूख की वजह से 11 साल की संतोषी कुमार की मौत हो गई थी. इसे लेकर राज्य सरकार की काफी आलोचना हुई और पहली बार मीडिया में ये रिपोर्ट किया जाने लगा कि आधार की वजह से लोगों को राशन मिलने में दिक्कत हो रही है.

संतोषी के परिवार का राशन कार्ड इसलिए निरस्त कर दिया गया था क्योंकि वो आधार से लिंक नहीं था. हालांकि राज्य की भाजपा सरकार का दावा है कि संतोषी की मृत्यु मलेरिया की वजह से हुई थी. सरकार ने ये स्वीकार किया था कि परिवार का राशन कार्ड निरस्त कर दिया गया है.

संतोषी कुमारी पहला मामला नहीं था. झारखंड और अन्य राज्यों के कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने भुखमरी से संबंधित मौत के कई मामलों को रिपोर्ट किया है. भोजन का अधिकार अभियान के लोगों ने भुखमरी से जुड़ी मौत की एक सूची तैयार की है जिसे स्वतंत्र फैक्ट फाइंडिंग टीम और मीडिया रिपोर्टों द्वारा सत्यापित किया गया है.

इसके मुताबिक साल 2017 से लेकर अब तक में 42 लोगों की भूख से मौत हुई है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘सरकार ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किया है कि कोई भी लाभार्थी मात्र आधार न होने की वजह से लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सस्ते दाम पर खाद्य वस्तुएं देने से मना नहीं किया जाना चाहिए.’

सरकार से ये भी पूछा गया था कि क्यों भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) में नीचे चला गया है. इस पर चौधरी ने कहा कि भारत का रैंक 119 देशों में से 103वें नंबर पर है, न कि 115वें नंबर पर. सरकार ने कहा कि भारत का समग्र जीएचआई स्कोर साल 2000 में 38.8 था और अब यह सुधर कर साल 2018 में 31.1 हो गया है.

केंद्र सरकार झारखंड की तरह ही पीडीएस कार्यान्वयन की जिम्मेदारी से इंकार कर रही है. संसद में प्रश्न के जवाब में मंत्री ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की शर्तों का विस्तार से वर्णन किया लेकिन इसके कार्यान्वयन और हाशिए वाले समुदायों तक इसकी पहुंच की चिंताओं को संबोधित नहीं किया.

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