मणिपुर यूनिवर्सिटी में इम्फाल से छपने वाले अख़बारों का बहिष्कार

मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की आलोचना करने पर रासुका के तहत गिरफ़्तार किए गए पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम के प्रति स्थानीय पत्रकारों के 'पक्षपातपूर्ण' रवैये पर विरोध ज़ाहिर करते हुए मणिपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ ने परिसर में इम्फाल से निकलने वाले अख़बारों के बहिष्कार की घोषणा की है.

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मणिपुर विश्वविद्यालय (फाइल फोटो, साभार: e-pao.net)

मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की आलोचना करने पर रासुका के तहत गिरफ़्तार किए गए पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम के प्रति स्थानीय पत्रकारों के ‘पक्षपातपूर्ण’ रवैये पर विरोध ज़ाहिर करते हुए मणिपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ ने परिसर में इम्फाल से निकलने वाले अख़बारों के बहिष्कार की घोषणा की है.

मणिपुर विश्वविद्यालय (फाइल फोटो, साभार: e-pao.net)
मणिपुर विश्वविद्यालय (फाइल फोटो, साभार: e-pao.net)

मणिपुर विश्वविद्यालय स्टूडेंट्स यूनियन (एमयूएसयू) ने सोमवार को विश्वविद्यालय परिसर में इम्फाल के अख़बारों पर प्रतिबंध लगा दिया है. उन्होंने ऐसा रासुका के तहत गिरफ्तार किए गए पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम के प्रति स्थानीय पत्रकारों के ‘पक्षपातपूर्ण’ रवैये के खिलाफ अपना विरोध जाहिर करने के लिए किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार एमयूएसयू के सचिव लैशरम केनेडी ने ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन (एएमडब्ल्यूजेयू) के किशोरचंद्र वांगखेम को पत्रकार मानने से इनकार करने की निंदा की है.

केनेडी ने कहा, ‘मणिपुर की पत्रकार बिरादरी से हमारा भरोसा उठ गया है. उन्होंने अपने ही साथी को अपनाने से इनकार कर दिया और इस पूरे मुद्दे पर चुप्पी साधे रहे. इस मामले पर उनका रवैया वाजिब नहीं लगता.’

मालूम हो कि किशोरचंद्र वांगखेम को बीते 26 नवंबर को सोशल मीडिया पर राज्य की भाजपा सरकार की आलोचना करते वीडियो अपलोड करने और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को कथित तौर पर अपमानजनक शब्द बोलने के चलते राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ़्तार किया गया था.

बीते दिनों इस हिरासत को बढ़ाते हुए 12 महीने कर दिया गया. वांगखेम एक स्थानीय समाचार चैनल आईएसटीवी में बतौर एंकर-रिपोर्टर काम करते थे. बीते 21 नवंबर को उन्हें पहली बार इम्फाल पश्चिम पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर राज्य की भाजपा सरकार की आलोचना करने को लेकर गिरफ्तार किया गया था.

वांगखेम को गिरफ्तार किए जाने के बाद एएमडब्ल्यूजेयू के अध्यक्ष और आईएसटीवी के मुख्य संपादक ब्रजेन्द्रो निन्गोमबा ने कहा था कि वे पत्रकार नहीं हैं. उनका तर्क था कि वांगखेम आईएसटीवी में बतौर न्यूज़ रीडर और अनुवादक काम करते थे, इसलिए उन्हें पत्रकार नहीं कहा जा सकता.

निन्गोमबा ने शुक्रवार को इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन (आईजेयू) को लिखे गए पत्र में भी यही बात दोहराई थी. इस पत्र के सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद इसकी काफी आलोचना हुई.

एमयूएसयू सचिव ने इस बारे में कहा, ‘एएमडब्ल्यूजेयू का यह कहना कि किशोर वांगखेम पत्रकार नहीं हैं, उसी तरह है कि बच्चे की किसी गलती पर उसके माता-पिता उसे बेदखल कर दें.’

उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में इन अख़बारों पर प्रतिबंध तब तक जारी रहेगा, जब तक वांगखेम को रिहा नहीं कर दिया जाता. हालांकि छात्रसंघ ने दो अख़बारों को इस बहिष्कार से बाहर रखा है.

वांगखेम की गिरफ़्तारी पर मणिपुर के मीडिया, खासतौर पर एएमडब्ल्यूजेयू के रवैये की काफी आलोचना हो रही है. एएमडब्ल्यूजेयू ने मंगलवार को इस बारे में चर्चा करने के लिए एक आपात बैठक बुलाई है.

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