बुलंदशहर हिंसा: यूपी पुलिस का दावा, इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या का मुख्य आरोपी गिरफ़्तार

पुलिस का कहना है कि 3 दिसंबर को बुलंदशहर में हुई हिंसा के दौरान प्रशांत नट नाम के व्यक्ति ने इंस्पेक्टर सुबोध पर गोली चलाई थी. गिरफ़्तारी के बाद पूछताछ में उसने अपना अपराध स्वीकार किया है.

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इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह. (फोटो: पीटीआई)

पुलिस का कहना है कि 3 दिसंबर को बुलंदशहर में हुई हिंसा के दौरान प्रशांत नट नाम के व्यक्ति ने इंस्पेक्टर सुबोध पर गोली चलाई थी. गिरफ़्तारी के बाद पूछताछ में उसने अपना अपराध स्वीकार किया है.

इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह. (फोटो: पीटीआई)
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह. (फोटो: पीटीआई)

मेरठ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुरुवार को बुलंदशहर हिंसा मामले में एक कैब ड्राइवर प्रशांत नट को गिरफ्तार किया है.  पुलिस का कहना है कि हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को इसी व्यक्ति ने मारा था.

बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रभाकर चौधरी ने गुरुवार को नट की गिरफ्तारी की पुष्टि की. पुलिस ने बताया कि प्रशांत को बुलंदशहर-नोएडा की सीमा से गिरफ्तार किया गया और जल्द ही उसे न्यायिक हिरासत में भेजा जायेगा.

चौधरी ने यह भी बताया कि नट ने ही सिंह की हत्या की थी और उससे इस मामले में पूछताछ की जा रही है. हालांकि, हत्या में इस्तेमाल किया गया रिवॉल्वर अभी बरामद नहीं हो पाया है.

गौरतलब है कि तीन दिसंबर को गोहत्या के शक में बुलंदशहर में हिंसक प्रदर्शन हुआ था, जिसमें भीड़ के हमले में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के अलावा एक स्थानीय युवक सुमित की मौत हो गई थी.

तब पुलिस ने इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का मुख्य आरोपी बजरंग दल कार्यकर्ता योगेश राज को बताया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस का कहना है कि योगेश राज अब भी मामले में आरोपी है और अब तक फरार है.

मालूम हो कि नट का नाम एफआईआर में नहीं था. पुलिस का कहना है कि उसे घटना के वीडियो फुटेज के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया है, साथ ही कई तकनीकी सबूत और अन्य आरोपियों ने भी इस बात की पुष्टि की है.

पुलिस के मुताबिक 3 दिसंबर को उपद्रव के समय स्याना गांव के पास बढ़ती भीड़ को देखकर इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह ने आत्मरक्षा में अपनी पिस्तौल से फायर किया, जिसकी गोली सुमित को लगी जो उन पर पत्थर फेंक रहा था.

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया, ‘प्रशांत और अन्य प्रदर्शनकारी, जिनमें राहुल, डेविड और जॉनी थे, इन्होने खेत में इंस्पेक्टर सुबोध को घेरा और पत्थरों से उन पर हमला किया. उन्होंने आत्मरक्षा में फायर किया, जिसकी गोली सुमित को लगी… इस समय तक इंस्पेक्टर सुबोध गंभीर रूप से घायल हो चुके थे और इसलिए खुद को बचा नहीं सके.’

उन्होंने बताया, ‘इसके बाद प्रशांत ने सुबोध की रिवॉल्वर लेकर उनके सिर पर गोली मारी.’

पुलिस का कहना है कि इंस्पेक्टर पर गोली नट ने चलायी थी, जबकि अन्य आरोपियों ने उन्हें पकड़ रखा था. पुलिस का कहना है कि उन्हें घटनास्थल की तस्वीरें मिली हैं, जिसमें उपद्रव के दौरान पांचों आरोपियों को एक दूसरे से बात करते देखा जा सकता है.

नट की गिरफ़्तारी के बाद इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों की संख्या 29 हो गयी है.

इस बीच समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए बुलंदशहर (सिटी) एएसपी अतुल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि नट ने अपना अपराध कबूल कर लिया है. उन्होंने कहा, ‘पूछताछ के दौरान उसने हिंसा ने शामिल होने की बात स्वीकारी और यह भी कबूल किया कि उसने ही इंस्पेक्टर पर गोली चलाई थी, जिससे उनकी मौत हुई.’

श्रीवास्तव ने आगे कहा कि पुलिस नट से पूछताछ जारी रखेगी और अन्य जानकारियां निकलवाने की कोशिश करेगी, जिसके आधार पर मामले की जांच की जाएगी.

मामले में अब तक छह से अधिक लोगों ने अदालत में आत्मसमर्पण भी किया है. इससे पहले पुलिस ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या का प्रमुख आरोपी सेना के जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी को माना था, जिसे गिरफ्तार कर स्थानीय अदालत में पेश भी किया गया था.

अब पुलिस ने बताया कि पहले जीतू फौजी पर संदेह था, लेकिन उसके खिलाफ सबूत नहीं मिले.

पुलिस ने बताया कि नट दिल्ली में टैक्सी चलाया करता था. वो पिछले 6 महीने से बेरोजगार है और चिंगरावठी में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा है. सूत्रों के अनुसार कथित तौर पर उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि रही है और उस पर आर्म्स एक्ट और शराब तस्करी के मामलों की जांच चल रही है.

पुलिस ने बताया कि इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या के दो मुख्य चश्मदीदों की गवाही, वीडियो फुटेज और कॉल डिटेल्स जैसे अन्य तकनीकी सबूतों के आधार पर नट को मुख्य आरोपी माना गया है.

एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘बीते दिनों में जब ज्यादा से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए, तब कई सह-आरोपियों द्वारा प्रशांत नट का नाम बार-बार लिया गया. हमें कई चश्मदीदों ने जो हुलिया बताया था, वो भी प्रशांत से मिलता है. हमने जांच के इस हिस्से को गोपनीय रखा, जिससे कहीं उसे इसकी जानकारी न मिल जाये. वो चिंगरावठी में हुए बवाल के बाद से ही गिरफ़्तारी से बच रहा था. उसका परिवार भी गांव छोड़ चुका है. हफ्तों तक उसकी तलाश के बाद ख़ुफ़िया जानकारी के आधार पर हमने उसे हिरासत में ले लिया है.’

पुलिस का यह भी कहना है कि नट और उसके साथियों ने इंस्पेक्टर सुबोध पर कुल्हाड़ी से हमला किया था और जब वो इससे बचने के लिए खेतों की ओर भागे तो उन पर पत्थर फेंके थे.

पत्रिका की खबर के मुताबिक प्रशांत नट की गिरफ्तारी के बाद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के परिवार ने संतोष जाहिर किया है. सुबोध सिंह के बेटे श्रेय ने कहा है कि उसके पिता की हत्या के अन्य आरोपियों को भी जल्द गिरफ्तार किया जाए और कड़ी से कड़ी सजा दी जाए.

इससे पहले सुबोध कुमार सिंह के परिजनों ने हत्या से जुड़े सारे सबूत मिटाने और सरकार द्वारा अपराधियों को बचाने का आरोप लगाया था.

वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि इंस्पेक्टर की हत्या एक दुर्घटना थी, मॉब लिंचिंग नहीं. इसके बाद उन्होंने इस हिंसा को राजनीतिक षड्यंत्र बताया था.

इसी मुद्दे को लेकर हाल ही में देश के पूर्व 83 नौकरशाहों ने पत्र लिखकर योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा भी मांगा था. उनका कहना था कि उत्तर प्रदेश में शासन प्रणाली के मौलिक सिद्धांतों, संवैधानिक नीति और मानवीय सामाजिक व्यवहार तहस-नहस हो चुके हैं. मुख्यमंत्री एक पुजारी की तरह धर्मांधता और बहुसंख्यकों के प्रभुत्व के एजेंडे पर काम कर रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)