मध्य प्रदेश सरकार ने मीसाबंदी पेंशन योजना अस्थाई तौर पर बंद की, भाजपा ने की आलोचना

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान वर्ष 1975 से 1977 के बीच लगे आपातकाल के दौरान जेल में डाले गए लोगों को मीसाबंदी पेंशन योजना के तहत करीब 4000 लोगों को 25,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाती है.

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कमलनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक/कमलनाथ)

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान वर्ष 1975 से 1977 के बीच लगे आपातकाल के दौरान जेल में डाले गए लोगों को मीसाबंदी पेंशन योजना के तहत करीब 4000 लोगों को 25,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाती है.

कमलनाथ, कांग्रेस सांसद (फोटो साभार: फेसबुक/कमलनाथ)
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक/कमलनाथ)

भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर मीसा बंदियो को दी जाने वाली पेंशन इस महीने से अस्थाई तौर पर बंद कर दिया. बैंकों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं. मीसाबंदी पेंशन को लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि के नाम से भी जाना जाता है.

इस संबंध में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने बीते 29 दिसंबर को सर्कुलर जारी कर मीसाबंदी पेंशन योजना की जांच के आदेश दिए. सरकार ने बैंकों को भी मीसाबंदी के तहत दी जाने वाली पेंशन जनवरी 2019 से रोकने के निर्देश जारी किए हैं.

सर्कुलर के मुताबिक, ‘लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि भुगतान की वर्तमान प्रक्रिया को और अधिक सटीक एवं पारदर्शी बनाया जाना आवश्यक है. साथ ही लोकतंत्र सैनिकों का भौतिक सत्यापन कराया जाना भी आवश्यक है. अत: आगामी माह से लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि राशि का वितरण अगली कार्यवाही होने के पश्चात किया जाए.’

उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान वर्ष 1975 से 1977 के बीच लगे आपातकाल के दौरान जेल में डाले गए लोगों को मीसाबंदी पेंशन योजना के तहत मध्य प्रदेश में करीब 4000 लोगों को 25,000 रुपये की मासिक पेंशन दी जाती है.

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने साल 2008 में इस योजना की शुरूआत की थी.

प्रदेश भाजपा महासचिव विष्णु दत्त शर्मा ने मीसा बंदियो की पेंशन बंद करने के कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, ‘हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे.’

एनडीटीवी खबर के मुताबिक सामान्य प्रशासन विभाग ने पेंशन पर अस्थाई रोक लगाने की वजह पेंशन पाने वालों का भौतिक सत्यापन और पेंशन वितरण की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाना बताया. इसके लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट को आधार बनाया गया.

मध्य प्रदेश में फिलहाल 2000 से ज्यादा मीसाबंदी 25 हजार रुपये मासिक पेंशन ले रहे हैं. साल 2008 में शिवराज सरकार ने मीसा बंदियो को 3000 और 6000 पेंशन देने का प्रावधान किया था. बाद में पेंशन राशि बढ़ाकर 10,000 रुपये की गई थी. इसके बाद दुबारा साल 2017 में पेंशन राशि को बढ़ाकर 25 हजार कर दी गई. इस पर सालाना लगभग 75 करोड़ का ख़र्च आता है.

भाजपा का कहना है कि वह इस कटौती को सहन नहीं करेगी. पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, ‘मीसाबंदी लोकतंत्र की रक्षा करने वाले प्रहरी थे, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए त्याग किया. यदि सरकार ऐसी कार्रवाई करेगी तो पूरी तरह बदले की कार्रवाई होगी, जिसे सहन नहीं किया जाएगा.’

दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने कहा, ‘भाजपा ने 25 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन के नाम पर मीसाबंदी के लोगों को पैसा बांटा है. स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन नहीं मिल रही थी, लेकिन मीसा बंदियों को पेंशन दे डाली.’

साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान, थावरचंद गहलोत, पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह जैसे लोगों को भी मीसाबंदी के तहत पेंशन मिलता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)