सामान्य वर्ग को आरक्षण एक अव्यवस्थित सोच, गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं: अमर्त्य सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि भाजपा समाज को बांटने वाली नीतियों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है. उन्होंने नागरिकता बिल को भेदभावपूर्ण बताया है.

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अमर्त्य सेन (फोटो: पीटीआई)

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि भाजपा समाज को बांटने वाली नीतियों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है. उन्होंने नागरिकता बिल को भेदभावपूर्ण बताया है.

अमर्त्य सेन (फोटो: पीटीआई)
अमर्त्य सेन (फोटो: पीटीआई)

कोलकाता: नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान को ‘अव्यवस्थित सोच’ बताया है. उन्होंने कहा कि इस फैसले के गंभीर राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं.

सेन ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के शासनकाल में हुई उच्च आर्थिक वृद्धि को कायम तो रखा लेकिन उसे नौकरियों के सृजन, गरीबी के उन्मूलन और सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य तथा शिक्षा में नहीं बदला जा सका.

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के सरकार के कदम पर उन्होंने कहा, ‘उच्च जाति वाले कम आय के लोगों के लिए आरक्षण एक अलग समस्या है.’

उन्होंने कहा, ‘अगर सारी आबादी को आरक्षण के दायरे में लाया जाता है तो यह आरक्षण खत्म करना होगा.’ सेन ने कहा, ‘अंतत: यह एक अव्यवस्थित सोच है. लेकिन इस अव्यवस्थित सोच के गंभीर राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं.’

सेन ने कहा कि मोदी सरकार में रोजगार निर्माण, असमानता को कम करने, गरीबी उन्मूलन और सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा के संदर्भ में आर्थिक विकास का लाभ हासिल नहीं किया जा सका. उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी के क्रियान्वयन के तरीके की भी आलोचना की.

सेन ने कहा, ‘हमें यह कहने के लिए चुनावी सफलता या विफलता को सामने नहीं रखना चाहिए कि नोटबंदी बहुत नकारात्मक थी और खराब आर्थिक नीति थी और जिस तरह से जीएसटी को लागू किया गया, वह भी बहुत खराब रहा.’

जब अर्थशास्त्री से पूछा गया कि क्या इन दोनों वजहों से भाजपा को हाल ही में पांच विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा तो उन्होंने कहा कि इसके लिए चुनावी अध्ययन की जरूरत है जो उन्होंने नहीं किया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में अमर्त्य सेन ने मोदी सरकार पर अपने कई वादों को पूरा करने में विफल होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भाजपा समाज को बांटने वाली नीतियों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है.

सेन ने कहा, ‘अगर उच्च वर्ग आरक्षण बिल जैसी नीतियों का भाजपा समर्थन करती है तो हमें उससे पूछना होगा कि क्या उन्हें इससे फायदा हो रहा है?’ सेन का संकेत था कि सवर्ण वोटरों को लुभाने के लिए इस तरह की नीतियां लाई जा रहीं हैं.

अमर्त्य सेन देश में बढ़ती असहिष्णुता पर काफी मुखर रहे हैं. उन्होंने नागरिकता बिल पर भी अपनी राय रखते हुए इसे भेदभावपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि नागरिकता बिल और एनआरसी एक तरह का भेदभावपूर्ण फैसला है.

उन्होंने कहा, ‘नए नियमों में धर्म के आधार पर काफी भेदभाव दिखाई देता है, मेरे हिसाब से यह संविधान की भावना के खिलाफ है.’

सेन ने आगे कहा, अगर आप हिंदू या ईसाई हैं तो आपको टिप्पणी करने का अधिकार है लेकिन अगर आप मुस्लिम हैं तो आप ऐसा नहीं कर सकते तो मेरे विचार में यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.

उन्होंने कहा, ‘न्याय के पक्ष में बोलने वालों की तरफ अक्सर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जाता है. जब वो लोग अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाते हैं तो उन पर पक्षपात का आरोप लगाया जाता है, जैसा कि नसरुद्दीन शाह के मामले में हुआ.

क़र्ज़ माफ़ी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि क़र्ज़ माफ़ी के फ़ायदे भी है पर यह कुछ परेशानियां भी खड़ी कर सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि उच्च आर्थिक विकास गरीबी उन्मूलन, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, रोजगार सृजन और असमानता में कमी लाने में विफल रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)