पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में गुरमीत राम रहीम और तीन अन्य दोषी क़रार

वर्ष 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. रामचंद्र ने अपने अख़बार ‘पूरा सच’ में प्रकाशित एक लेख में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था.

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सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति (बाएं) गुरमीत राम रहीम.

वर्ष 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. रामचंद्र ने अपने अख़बार ‘पूरा सच’ में प्रकाशित एक लेख में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था.

सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति (बाएं) गुरमीत राम रहीम
सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति (बाएं) गुरमीत राम रहीम

पंचकूला/हरियाणा: सीबीआई की एक अदालत ने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की 16 साल पहले हुई हत्या के मामले में स्वयंभू बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह (51) और तीन अन्य को शुक्रवार को दोषी करार दिया. उन्हें 17 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी.

विशेष सीबीआई न्यायाधीश जगदीप सिंह डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और अन्य को 17 जनवरी को सजा सुनाएंगे.

गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुआ. वह अपनी दो अनुयायियों से बलात्कार करने के मामले में फिलहाल 20 साल की कैद की सजा काट रहा है.

गौरतलब है कि वर्ष 2002 में छत्रपति की उनके आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. दरअसल उनके अखबार ‘पूरा सच’ ने एक पत्र प्रकाशित किया था, जिसमें सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय में गुरमीत पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था.

वकीलों ने बताया कि हत्या के मामले में दोषी करार देने के बाद गुरमीत को अब कम से कम उम्रकैद की सजा हो सकती है.

तीन अन्य आरोपी- कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और कृष्ण लाल- पंचकूला अदालत में पेश हुए. फैसले के बाद पुलिस ने उनको हिरासत में ले लिया और उनकी मेडिकल जांच की गई. इसके बाद उन्हें अंबाला जेल ले जाया गया.

सीबीआई के वकील एचपीएस वर्मा ने बताया कि सभी चारों आरोपियों को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक साजिश रचने) के तहत दोषी ठहराया.

निर्मल सिंह और कृष्ण लाल को शस्त्र अधिनियिम के तहत भी दोषी ठहराया गया है.

सुरक्षा की दृष्टि से पंचकूला अदालत परिसर के बाहर सख्त सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे. स्थिति शांतिपूर्ण बनी रही.

मामले में गुरमीत को मुख्य षड्यंत्रकर्ता नामजद किया गया था.

छत्रपति के परिवार ने 2003 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख़ कर यह मामला सीबीआई को सौंपने की मांग की थी. इसकी जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गई. जांच एजेंसी ने जुलाई, 2007 में आरोपपत्र दाखिल किया था.

दैनिक जागरण के मुताबिक इस मामले में सीबीआई की ओर से 46 गवाह कोर्ट में पेश किए गए. बचाव पक्ष की ओर 21 गवाही पेश किए गए थे. हत्या के चश्मदीद गवाह रामचंद्र के बेटे अंशुल और अदिरमन थे.

अंशुल ने बताया, ‘हमने एक ताकतवर दुश्मन के साथ इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी है और उम्मीद है कि 16 साल बाद अब हमें इंसाफ मिल जाएगा.’

गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम को 28 अगस्त, 2017 में दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई थी. अभी वे जेल में हैं.

गुरमीत को दोषी ठहराए जाने के बाद पंचकुला और पंजाब एवं हरियाणा के कुछ अन्य हिस्सों में हिंसा हुई थी. पंचकुला में हिंसा में करीब 30 लोगों की मौत हो गई. मृतकों में से ज्यादातर गुरमीत के समर्थक थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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