फसल बीमा से प्राइवेट कंपनियों ने कमाए करीब 3000 करोड़, सरकारी कंपनियों को घाटा: रिपोर्ट

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2018 तक में फसल बीमा के तहत कार्यरत सरकारी कंपनियों को 4,085 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसमें से सबसे बड़ा घाटा एआईसी को हुआ है.

A farmer shows wheat crop damaged by unseasonal rains in his wheat field at Sisola Khurd village in the northern Indian state of Uttar Pradesh, March 24, 2015. To match Insight INDIA-MODI/ Picture taken March 24, 2015. REUTERS/Anindito Mukherjee
(फोटो फाइल: रॉयटर्स)

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2018 तक में फसल बीमा के तहत कार्यरत सरकारी कंपनियों को 4,085 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसमें से सबसे बड़ा घाटा एआईसी को हुआ है.

A farmer shows wheat crop damaged by unseasonal rains in his wheat field at Sisola Khurd village in the northern Indian state of Uttar Pradesh, March 24, 2015. To match Insight INDIA-MODI/ Picture taken March 24, 2015. REUTERS/Anindito Mukherjee
(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: 11 निजी बीमा कंपनियां मार्च 2018 के लिए फसल बीमा व्यवसाय से 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा दर्ज करने के लिए तैयार हैं, जबकि सरकारी बीमा कंपनियों को 4,085 करोड़ रुपये के नुकसान का नुकसान हुआ है.

इस दौरान बाढ़, भूकंप या बारिश की कमी से फसल के नुकसान के लिए किसानों द्वारा किए गए दावों की तुलना में सरकार द्वारा निजी बीमा कंपनियों ने भारी मात्रा में प्रीमियम इकट्ठा किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार निजी क्षेत्र की 11 बीमा कंपनियों ने कुल 11,905.89 करोड़ रुपये प्रीमियम इकट्ठा किया लेकिन उन्होंने केवल 8,831.79 करोड़ रुपये के दावों का ही भुगतान किया.

वहीं पांच सरकारी बीमा कंपनियों ने 13,411.10 करोड़ रुपये का प्रीमियम सरकार और किसानों से इकट्ठा किया और फसल नुकसान की वजह से किसानों को 17,496.64 करोड़ रुपये का भुगतान दावों के रूप में किया गया.

सरकारी बीमा कंपनियों में से एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (एआईसी) को सबसे बड़ा घाटा हुआ है. मालूम हो कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर 98 फीसदी प्रीमियम का भुगतान करते हैं, वहीं किसानों को दो फीसदी प्रीमियम का भुगतान करना होता है.

पीएसयू बीमा कंपनियों के डेटा से पता चलता है कि एकत्र किया गया प्रीमियम किसानों द्वारा किए गए दावों को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि इसका एक बड़ा हिस्सा – 80-85 प्रतिशत – पुनर्बीमा है और वे पुनर्बीमाकर्ता से नुकसान की वसूली कर सकते हैं.

आईआरडीएआई के पूर्व सदस्य के के श्रीनिवासन ने कहा, ‘आईआरडीएआई के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकारी बीमा कंपनियों (और एआईसी) द्वारा भुगतान किया गया दावा प्रीमियम से अधिक है. दूसरी ओर, ऐसी लगता है कि निजी क्षेत्र के बीमा कंपनियों ने भारी लाभ कमाया है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सरकारी और निजी बीमा कंपनियों को आवंटित किए जाने वाले तरीके को फिर से देखने की आवश्यकता हो सकती है.’

सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) से बीमाकर्ताओं के लिए लाभ और बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि वास्तविक दावा किसानों द्वारा किए गए दावों की तुलना में बहुत कम होने की संभावना है. निजी कंपनियों ने कम दावा देकर पहले ही 3,074 करोड़ रुपये का लाभ कमाया है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) के तहत कुल 474.9 लाख किसान कवर किए गए थे और इसमें से 275.4 लाख किसानों ने मार्च 2018 तक 26,050 करोड़ रुपये का दावा किया था. वहीं इस बीच कंपनियों ने कुल 25,291 करोड़ रुपये का प्रीमियम मिला था.

प्राइवेट कंपनियों में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड को एक हजार करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. आईसीआईसीआई लोम्बार्ड को कुल 2,371 करोड़ रुपये का प्रीमियम मिला था लेकिन इसने सिर्फ 1,362 करोड़ रुपये के ही दावे का भुगतान किया.

वहीं रिलायंस जनरल को कुल 706 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. रिलायंस को फसल बीमा के तहत 1,181 करोड़ रुपये का प्रीमियम मिला लेकिन इसने सिर्फ 475 करोड़ रुपये के दावे का ही भुगतान किया.

इसी तरह बजाज आलियांज को 687 करोड़ और एचडीएफसी को मार्च 2018 तक 429 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. सरकारी कंपनियों में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी को 500 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है.

बीमा क्षेत्र के एक अधिकारी के अनुसार, किसानों द्वारा किए गए सभी दावे वास्तविक भुगतान में नहीं तब्दील हो सकते हैं. अधिकारी ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा, ‘वास्तविक भुगतान बहुत कम होंगे. बीमा कंपनियों का मुनाफा केवल बढ़ेगा क्योंकि आने वाले महीनों में दावे संसाधित होंगे. इस बीच मानसून सामान्य था, लेकिन मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने अधिक दावे आए हैं.’

इससे पहले वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई वाली प्राक्कलन समिति ने कहा था कि सरकार द्वारा चलाई जा रही दोनों फसल बीमा योजनाओं में पारदर्शिता की कमी सहित कई समस्याएं हैं.

उन्होंने कहा कि जैविक खेती करने वाले किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कृषि बीमा योजना के पुनर्गठन की सिफारिश की है. इस योजना में बहु-फसल प्रणाली को भी शामिल किए जाने की अनुशंसा की गई है.

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