भारत में कंटेंट को सेंसर करेंगे नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग कंपनियों ने भारत में अपने कंटेंट के नियमन के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है, हालांकि अमेजन के प्राइम वीडियो ने इसे मानने से इनकार किया है. अमेजन का कहना है कि वर्तमान नियम पर्याप्त हैं.

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एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग कंपनियों ने भारत में अपने कंटेंट के नियमन के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है, हालांकि अमेजन के प्राइम वीडियो ने इसे मानने से इनकार किया है. अमेजन का कहना है कि वर्तमान नियम पर्याप्त हैं.

Netflix Hotstar

मुंबई/नई दिल्ली: सेंसरशिप न होने के कारण पिछले कुछ समय से विवादों का सामना कर रहे नेटफ्लिक्स जैसे ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर लगातार सवाल खड़े किए गए हैं. ऐसे किसी भी संभावित सेंसरशिप से बचने के लिए नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार सहित अन्य प्लेटफॉर्म अपने कंटेंट के लिए स्व-विनियमन दिशा निर्देशों को लागू करने की योजना बना रहे हैं.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार और अन्य भारतीय कंपनियां एक मसौदे को अपनाने जा रही हैं. ये प्लेटफॉर्म ऐसे कंटेंट पर प्रतिबंध लगाएंगे जिसमें किसी बच्चे को ‘वास्तविक या नकली यौन गतिविधियों में लिप्त’ दिखाया गया हो या जिसमें भारत के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया है या फिर किसी भी दृश्य में ‘आतंकवाद’ को प्रोत्साहित करने जैसी बात कही या दिखाई गई हो.

मसौदे में कहा गया है कि जो कंपनियां इस पर हस्ताक्षर करती हैं उन्हें अपने प्लेटफॉर्म के ऐसे कंटेंट, जिनमें जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण रूप से किसी भी वर्ग, अनुभाग या समुदाय की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने की क्षमता है, उसे प्रतिबंधित करना होगा.

हालांकि अमेजन के वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो ने ऐसे किसी नियम-कानून के मसौदे पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है. उसने एक बयान में कहा कि वे स्थितियों को आकलन कर रहे हैं, लेकिन मानते हैं कि ‘वर्तमान कानून पर्याप्त हैं.’

सूत्रों के मुताबिक कंपनी का कहना है कि जब तक सरकार की तरफ से ऐसा कोई अनिवार्य विनियमन नहीं आ जाता, तब तक वह ऐसे मसौदे का पालन नहीं करेगी. हालांकि मसौदे को तैयार करने में अमेजन के प्राइम वीडियो का भी सहयोग था.

हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स और स्टार इंडिया ने इस बारे में अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है. मसौदा तैयार करने वाले इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुभो रे ने कहा कि इस मसौदे को बृहस्पतिवार को सार्वजनिक किया जाएगा. मसौदे के अंतिम संस्करण में कुछ बदलाव भी किए जा सकते हैं.

वहीं ऑनलाइन स्ट्रीमिंग कंपनियां किसी भी उपभोक्ता संबंधी शिकायतों को प्राप्त करने और पता करने के लिए किसी व्यक्ति, टीम या विभाग को आंतरिक रूप से नियुक्त करेंगी.

बता दें कि भारत में फिल्म और टीवी के लिए प्रमाणन संस्थाएं हैं जो कि सार्वजनिक कंटेंट की निगरानी करती हैं लेकिन देश के मौजूदा कानून में ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के कंटेंट की सेंसरशिप के लिए कोई प्रावधान नहीं हैं.

अमेजन प्राइम के साथ काम कर चुके एक प्रोडक्शन हाउस एबनडंटिया एंटरटेनमेंट (Abundantia Entertainment) के विक्रम मल्होत्रा का कहना है, ‘दिशानिर्देश लाना एक स्वागत-योग्य कदम है लेकिन इसे किसी भी तरीके से  अभिव्यक्ति या रचनात्मक स्वतंत्रता को नुकसान नहीं होना चाहिए.’

मालूम हो कि कोई सेंसरशिप नियम न होने के बावजूद यह कंपनियां कानूनी विवादों ने फंसती रही हैं. पिछले साल नेटफ्लिक्स के खिलाफ की गयी एक शिकायत में कहा गया था कि उसकी पहली ओरिजनल भारतीय सीरीज सेक्रेड गेम्स में पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता राजीव गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गयी है.

बीते साल ही एक नॉन-प्रॉफिट संस्था जस्टिस फॉर राइट्स फाउंडेशन ने भी अमेजन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार द्वारा अश्लील सामग्री दिखाने की शिकायत करते हुए मामला दर्ज करवाते हुए ऑनलाइन कंटेंट के लिए नियामक लाने की मांग रखी थी. इस मामले में अगली सुनवाई फरवरी में होनी है.

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